Friday, April 26, 2024
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केरल के गुरुवायुर मंदिर का ₹5 करोड़ CM रिलीफ फंड में ट्रांसफर, कोरोना के नाम पर तमिलनाडु में भी मंदिरों से वसूली

केरल भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने हिंदू मंदिरों से रिलीफ फंड में पैसा ट्रांसफर करने के लिए राज्य सरकार पर हमला किया और कहा कि देवास्वोम बोर्ड का कदम गलत है। उन्होंने कहा कि यह पैसा उन मंदिरों में भेजा जाना चाहिए जो दीपक जलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

केरल के मशहूर गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur) को दान में मिले 5 करोड़ रुपए CM रिलीफ फंड में ट्रांसफर कर दिया गया है। इससे पहले कोरोना के बहाने तमिलनाडु सरकार ने भी मंदिरों से रिलीफ फंड में 10 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था।

गुरुवायुर मंदिर के देवास्वोम बोर्ड ने पैसा रिलीफ फंड में ट्रांसफर किया है। केरल भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्रन ने इसके लिए पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली राज्य की वामपंथी सरकार की आलोचना की है।

उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु सरकार से लेकर वामपंथियों की सरकारों की निगाह मंदिरों में हिन्दुओ द्वारा मंदिर के कल्याण के लिए दान किए गए धन पर बनी हुई है। केरल सरकार द्वारा बनाए गए बोर्ड ने पैसे को फिक्स्ड डिपाजिट में जमा कर दिया था और अब उसी में से ₹5 करोड़ रुपए रिलीफ फंड में ट्रान्सफर कर दिए हैं।

मंदिरों में जमा धन की एक तरह से यह कोरोना के नाम पर वसूली है। हिंदुओं के मंदिरों से एक ओर जहाँ मनमानी वसूली की जा रही है, वहीं दूसरी ओर तुष्टिकरण के नाम पर रमजान में खुलकर मुफ्त राशन बाँटी जा रही है।

केरल सरकार ने एक बार फिर मंदिरों की स्वायत्तता और उनकी स्वतन्त्रता पर सवालिया निशान लगा दिया है। सोशल मीडिया पर भी लोगों में इस कारण आक्रोश देखा जा सकता है।

केरल भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने हिंदू मंदिरों से रिलीफ फंड में पैसा ट्रांसफर करने के लिए राज्य सरकार पर हमला किया और कहा कि देवास्वोम बोर्ड का कदम गलत है। उन्होंने कहा कि यह पैसा उन मंदिरों में भेजा जाना चाहिए जो दीपक जलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने केरल सरकार से यह भी पूछा कि मुख्यमंत्री का फंड अन्य धार्मिक संस्थानों से पैसा क्यों नहीं ले रहा है। मंगलवार (मई 05, 2020) को गुरुवायुर देवास्वोम ने मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹5 करोड़ का योगदान दिया था।

जिला कलेक्टर एस शनवास को कोष सौंपने पर, गुरुवायुर देवास्वोम के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा कि निधि में योगदान देवास्वोम की सामाजिक जिम्मेदारी (सोशल रिस्पांसिबिलिटी) का एक हिस्सा था।

उन्होंने कहा, “गुरुवायुर देवास्वोम ने बाढ़ के बाद CMDRF को एक कोष दान किया था और देवास्वोम आयुक्त की अनुमति प्राप्त करने के बाद यह दिया गया था।” देवास्वोम ने बैंकों से फिक्स्ड डिपॉज़िट (सावधि जमा) से प्राप्त ब्याज राशि का उपयोग किया है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान मंदिर की आय में भारी कमी आई है। गुरुवायुर देवास्वोम के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा कि स्टाफ के वेतन भुगतान के लिए देवस्वाम अपनी फिक्स्ड डिपॉज़िट प्राप्त से ब्याज राशि के माध्यम से ही वेतन का प्रबंधन करेंगे।

इस बीच, बीजेपी नेता बी गोपालकृष्णन ने यह कहकर आपत्ति जताई थी कि देवास्वोम द्वारा मंदिर की आय से CM राहत कोष में योगदान कानूनी नहीं था।

उन्होंने कहा, “गुरुवायुर देवास्वोम अधिनियम की धारा 27 के अनुसार, मुख्य देवता, श्रीकृष्ण, एक नाबालिग और सभी संपत्ति और आय के मालिक हैं। यह कानून में अच्छी तरह से लिखा गया है कि इस आय और संपत्तियों का उपयोग केवल मंदिर के उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। इसके अलावा, 2018 की बाढ़ के बाद CMDRF में गुरुवायूर देवास्वोम के योगदान को चुनौती देने वाले उच्च न्यायालय में पहले से ही एक मामला मौजूद है।”

गौरतलब है कि तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्त (HR and CE) विभाग ने गत 22 अप्रैल को एक विवादास्पद आदेश जारी किया था, जिसमें हिंदू मंदिरों को राज्य के मुख्यमंत्री कोरोना वायरस रिलीफ फंड में ₹10 करोड़ हस्तांतरित करने के लिए कहा गया था।

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) सरकार ने 47 मंदिरों को सीएम राहत कोष के लिए ₹10 करोड़ की धनराशि देने का निर्देश दिया था।

तमिलनाडु सरकार हिंदुओं के मंदिरों से हंडी संग्रह, प्रसाद, विभिन्न दर्शन टिकट, विशेष कार्यक्रम शुल्क, आदि के माध्यम से प्रतिवर्ष 3000 करोड़ रुपए से अधिक वसूल करती है, जबकि केवल 4-6 करोड़ रुपए रखरखाव के लिए दिए जाते हैं। बाकी 2,995 करोड़ रुपए सरकार के पास रहते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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