Saturday, April 20, 2024
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अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व सीट पर ओवैसी ने हिजाब वाली ‘ललिता कुमारी’ को बनाया प्रत्याशी, बोलीं- अल्लाह के करम से जीतेंगे

ओवैसी ने अपने पार्टी कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया बल्कि उनकी हिंदू नाम वाली बीवी को टिकट दे दिया। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि ललिता शादी से पहले अनुसूचित जाति की थीं जो अब वर्तमान में हिजाब पहनती हैं।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर असदुनद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहालदुल (AIMIM) ने जब से अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है उसके बाद से ललिता कुमारी एक ऐसा नाम हैं जो हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई हैं। पार्टी ने ललिता को नगीना सीट से टिकट दिया है। सब हैरान हैं कि नगीना सीट जहाँ पर दलितों के बराबर मुस्लिम हैं वहाँ ललिता कुमारी को क्यों उतारा गया। आइए आज इन्हीं ललिता के बारे में आपको जानकारी दें और बताएँ कि इन्हें टिकट दिए जाने के पीछे क्या राज है।

दरअसल, ललिता कुमारी के शौहर इफ्तिखार चौधरी AIMIM के समर्थक हैं और प्रदेश में ओवैसी के आने के बाद से उनके प्रचार प्रसार में जुटे हैं। ऐसे में सोचना जाहिर है कि चुनावी टिकट तो ओवैसी को इफ्तिकार को देनी चाहिए। लेकिन नहीं! ओवैसी ऐसा नहीं कर सके, इसके पीछे की वजह है चुनाव आयोग के नियम। चुनाव आयोग ने बिजनौर की सीट नगीना को अनुसूचित जाति वालों के लिए रिजर्व किया हुआ है। यही वजह है कि ओवैसी ने अपने पार्टी कार्यकर्ता को टिकट नहीं दिया बल्कि उनकी हिंदू नाम वाली पत्नी को टिकट दे दिया। ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि ललिता शादी से पहले अनुसूचित जाति की थीं और अब वर्तमान में हिजाब पहनती हैं इस्लाम को फॉलो करती हैं।

यानी देखा जाए तो ओवैसी ने सीट पर ललिता को टिकट देकर एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है। उन्होंने एक मुस्लिम की बीवी को वोट देकर मुस्लिमों को तो अपने पक्ष में रखा है। साथ ही साथ चुनाव आयोग को भी ये दिखा दिया कि उन्होंने अनुसूचित जाति वाली महिला को टिकट दिया है।

बता दें कि AIMIM से टिकट मिलने से पहले ललिता कुमारी और उनके पति इफ्तिखार चौधरी ने एक वेब चैनल को दिए इंटरव्यू दिया था। इस साक्षात्कार में ललिता को कहते सुना गया था, “इंशाअल्लाह टिकट मिला तो मैं सभी वर्गों के विकास के लिए हमेशा आगे खड़ी रहूँगी।” जब उनसे पूछा गया कि जब कॉन्ग्रेस की प्रियंका गाँधी भी लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ के नारे के साथ मैदान में है फिर वो ओवैसी के साथ क्यों है। इस पर ललिता ने जवाब दिया- “ओवैसी काफी पढ़ी लिखे हैं, उनकी पार्टी पढ़े लिखे वालों की है, इसलिए साथ आई हूँ… यही पार्टी है जो सबको साथ लेकर चल सकती है। इंशाल्लाह ताला के करम से हमें हिंदू-मुस्लिम सबका साथ मिल रहा है।” 

गौरतलब है कि नगीना में मुसलमानों और दलितों की संख्या बराबर है। यहाँ मुस्लिम आबादी 65 हजार है। ऐसे में ओवैसी का यहाँ आना-जाना प्रत्याशी घोषित किए जाने से पहले से रहा है। कुछ दिन पहले ओवैसी ने इसी इलाके में राहुल गाँधी पर सवाल खड़ा कर कहा था- अच्छा हिंदू कौन है? तुम्हारे पिता जी जिनके रहते बाबरी मस्जिद का ताला तुड़वाया गया था। वहीं अब उनके पार्टी समर्थक और ललिता के शौहर जो कि पहले कॉन्ग्रेस में थे उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस छोड़ने का कारण है कि जनता उनसे सवाल करती थी कि जितने दंगे हुए हैं, जितने ताले खुलवाए गए हैं वो कन्ग्रेस ने ही तो किए हैं, उस समय उन पर जवाब नहीं होता था, इसलिए उन्होंने कॉन्ग्रेस को छोड़ aimim में जाने का फैसला किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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