Thursday, November 14, 2024
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मुस्लिम उम्मीदवारों को हवलदार की ट्रेनिंग: उद्धव सरकार के बाद अब मदरसा की घोषणा, कॉन्ग्रेस MLA भी मीटिंग में

कॉन्ग्रेस विधायक अमीन पटेल ने कहा - “यह बहुत अच्छी बात है कि मुस्लिम उमीदवारों के लिए इतने प्रयास हो रहे हैं। लिखित परीक्षा की तैयारी के अलावा अभ्यर्थियों को सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।”

भारत में पहली बार किसी मदरसे ने ऐलान किया है कि वह मुस्लिम समुदाय के 200 लोगों को हवलदार बनाने का प्रशिक्षण देगा। यह प्रशिक्षण केवल मुस्लिम उम्मीदवारों को हवलदार चयनित होने से पहले दिया जाएगा और यह पूरी तरह मुफ्त होगा। महाराष्ट्र के मदरसे ने अपनी घोषणा में कहा है कि वह राज्य की हवलदार भर्ती की तैयारी कर रहे मुस्लिम उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देगा। 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ ग्रांट रोड स्थित मदरसा जामिया अशरफ़िया कादरिया ने इस प्रशिक्षण की योजना का ऐलान किया। इसके अनुसार मुस्लिम समुदाय के लगभग 200 युवाओं को 3 महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत तैयार कराया जाएगा।

मदरसे के मौलानाओं ने इस सम्बंध में विस्तार से चर्चा करने के लिए बैठक भी बुलाई। जिसमें मदरसे के मुखिया मौलाना मोईन अशरफ कादरी (मोईन आलम), कॉन्ग्रेस विधायक अमीन पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता एमए खालिद शामिल थे। बैठक में शामिल होने वाले हर सदस्य ने तय किया कि प्रशिक्षण की पूरी रूपरेखा क्या होगी।  

मोईन आलम ने इस मुद्दे पर कहा, “जामिया अशरफ़िया कादरिया प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के निःशुल्क रहने और खाने का प्रबन्ध करेगा। कुछ लोगों ने इस प्रक्रिया में हमारी आर्थिक मदद करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है।” इसके अलावा महाराष्ट्र में पहले ही अल्पसंख्यक समुदाय के विकास के लिए एक विभाग बना हुआ है।

कुछ और लोगों ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। कैसर खालिद आईजीपी (नागरिक अधिकार सुरक्षा) ने कहा, “पिछले काफी समय से कॉन्स्टेबुलरी (पुलिस विभाग) में अल्पसंख्यकों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व की ज़रूरत महसूस हो रही थी। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ने से विश्वास बढ़ता है और पुलिस को लेकर भ्रम दूर होते हैं। क़ानून व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने के लिए हर समुदाय के हवलदार का मौजूद होना ज़रूरी है। जिससे हर समुदाय के लोगों से संवाद करके क़ानून व्यवस्था बनाए रखे।”

सामाजिक कार्यकर्ता एमए खालिद ने कहा:

“कॉन्स्टेबुलरी में मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या कम होने का एक बड़ा कारण है मराठी भाषा। मैंने साल 2018 में इसकी परीक्षा दी थी लेकिन मराठी भाषा की अच्छी समझ नहीं होने की वजह से मेरा चयन नहीं हो पाया था। जबकि मैं शारीरिक रूप से पूरी तरह सही था। परीक्षा में सारे प्रश्न मराठी भाषा में होते हैं और मुस्लिम उम्मीदवारों के वह बहुत मुश्किल होता है। सरकार की तरफ से यह प्रशिक्षण लगभग 2 महीने का है लेकिन हमारे प्रशिक्षण की अवधि 3 महीन होगी। एक महीने का समय हम मुस्लिम उम्मीदवारों की मराठी भाषा सुधारने में लगाएँगे।” 

इसके बाद कॉन्ग्रेस विधायक अमीन पटेल ने कहा, “यह बहुत अच्छी बात है कि मोईन मियां मुस्लिम उमीदवारों के लिए इतने प्रयास कर रहे हैं। लिखित परीक्षा की तैयारी के अलावा अभ्यर्थियों को सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।”

ख़बरों की मानें तो बहुत जल्द महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग उम्मीदवारों की तैयारी के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा। मुस्लिम समुदाय से जुड़े नेताओं का कहना है कि फंड्स की कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि उन्होंने इस योजना के लिए डोनेशन (आर्थिक सहयोग) लेने की योजना बनाई है। 

इसके पहले भी उद्धव सरकार पर महाराष्ट्र में मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लग चुका है। राज्य सरकार ने हाल ही में फैसला लिया था, जिसके मुताबिक़ वहाँ अल्पसंख्यक युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पुलिस में उनकी भर्ती हो। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में अल्पसंख्यक विकास और स्किल डेवलपमेंट मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने इसकी घोषणा करते हुए इससे जुड़ी जानकारी साझा की थी।

शरद पवार की एनसीपी के नेता व मंत्री नवाब मलिक ने ट्विटर पर साझा की गई सूचना में बताया था कि पुलिस में भर्ती से पहले अल्पसंख्यक युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में अल्पसंख्यक पुलिस में भर्ती हों, इसीलिए उन्हें पहले ही प्रशिक्षित किया जाएगा। बताया गया कि अभी प्रशिक्षण के लिए उत्सुक अभ्यर्थियों के चयन के लिए 14 जिलों में अभियान शुरू भी कर दिया गया है।

कुछ दिनों बाद डायरेक्ट ट्रेनिंग की शुरुआत कर दी जाएगी। बाकी जिलों में भी ट्रेनिंग जल्द ही शुरू होगी। इस साल के अंत तक राज्य में 12,500 पुलिस कर्मियों की भर्ती करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि इस भर्ती में राज्य में मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी, जैन और यहूदी अल्पसंख्यक समुदायों के अधिक से अधिक उम्मीदवारों को भर्ती के लिए तैयारी करने का अवसर दिया जाएगा।

उम्मीदवारों को सामान्य ज्ञान और शारीरिक परीक्षण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वर्तमान में, इच्छुक उम्मीदवारों से वर्धा, गढ़चिरोली, अमरावती, नांदेड़, जालना, पुणे, यवतमाल, परभणी, सोलापुर, औरंगाबाद, बुलदाना, नासिक, बीड और अकोला जिलों में आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं। कहा गया है कि इच्छुक उम्मीदवार उस जिले में प्रशिक्षण के लिए जिला कलेक्टर या चयनित एनजीओ के पास आवेदन करें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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