महाराष्ट्र में सियासी तकरार के बीच अब दोनों गुटों की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई समाप्त हो गई है। वहीं आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को बड़ी राहत देते हुए अयोग्य ठहराए जाने वाले नोटिस पर जवाब देने के लिए अब 12 जुलाई की शाम 5: 30 तक का समय दे दिया है। पहले यह समय 11 जुलाई को 5: 30 बजे तक ही था। जबकि डिप्टी स्पीकर को आज ही जवाब देना है। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट की अर्जी पर सभी पक्षों को नोटिस भेजा है। और सभी से पाँच दिन में नोटिस का जवाब माँगा है। मामले पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में बागी विधायकों को डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर जवाब देने का समय बढ़ा दिया है। कोर्ट ने बागियों को जबाव देने के समय 12 जुलाई शाम 5.30 तक बढ़ा दिया। कोर्ट ने सभी 39 बागी विधायकों और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश भी राज्य सरकार को दिया है। महाराष्ट्र राज्य के वकील ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि सभी 39 विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन और संपत्ति को कोई नुकसान न पहुँचे।
#Update | The cases are listed before a bench of Supreme Court Justices Surya Kant and JB Pardiwala and are likely to come up for hearing after 12-12.30pm.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
आज सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट द्वारा दाखिल याचिका में विधानसभा के उपसभापति को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई से रोकने की माँग की गई है। वहीं अजय चौधरी के विधायक दल का नेता बनाए जाने को भी चुनौती दी गई है। उप सभापति द्वारा जारी किए गए नोटिस भी सवालों के घेरे में थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना।
Senior advocate Neeraj Kishan Kaul appearing for Eknath Shinde and others tells the Supreme Court that the Deputy Speaker cannot proceed with the disqualification proceedings when the resolution seeking his removal is pending.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
सुनवाई की खास बातें
एकनाथ शिंदे गुट की दलीलों पर शिवसेना के वकील के तौर पर पेश हुए कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस केस में पहले हाईकोर्ट का ही रुख करना था, लेकिन मीडिया में यह केस इतना चर्चित हो गया है कि जान की धमकी की बात करते हुए वे सीधे सुप्रीम कोर्ट में ही आ गए हैं।
Kaul says they didn’t approach the High Court as Supreme Court had passed the order in many number of cases like floor test, disqualification.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
वहीं इसके जवाब में वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि कानून हमें सुप्रीम कोर्ट आने से नहीं रोकता। पहले भी ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं। जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि आप हाई कोर्ट क्यों नहीं गए।
Senior advocate Neeraj Kishan Kaul appearing for Eknath Shinde and others says threats have been given to these MLAs and it was said that bodies of 40 MLAs will arrive back.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल शिंदे गुट की तरफ से कहा कि स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो उन्हें विधायकों की अयोग्यता पर विचार नहीं करना चाहिए। नोटिस जारी करें तो उसके जवाब के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए।
जज ने कहा कि आप कह रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर के खिलाफ 21 को प्रस्ताव दिया। ऐसे में उन्हें सुनवाई नहीं करनी चाहिए। आप यही बात डिप्टी स्पीकर को क्यों नहीं कहते हैं। इस पर वकील कौल ने कहा कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का भी पुराना फैसला है। यह बात उन्हें बताई भी गई है। फिर भी उन्होंने कार्रवाई जारी रखी है।
कोर्ट में शिंदे गुट की तरफ से कहा गया कि स्पीकर साबित करें कि उनके पास बहुमत है। फ्लोर टेस्ट से डिप्टी स्पीकर क्यों डर रहे हैं?
शिंदे गुट के वकील ने कहा कि जब स्पीकर के खिलाफ खुद अविश्वास प्रस्ताव हो, तब विधायकों को अयोग्य करार देकर विधानसभा सदस्यों की संख्या में उन्हें बदलाव नहीं करना चाहिए।
वरिष्ठ वकील कौल लगातार 2016 के नबाम रेबिया मामले का फैसला पढ़ रहे हैं। उसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव लंबित रहते स्पीकर को विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
शिंदे गुट के वकील नीरज कौल ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा नियमावली के नियम 11 का भी पालन नहीं किया गया। 14 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था। फिर नोटिस को विधानसभा में आगे विचार के लिए रखा जाना चाहिए था। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अभी विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है।
जज ने कहा कि हम पहले डिप्टी स्पीकर के वकील को सुनना चाहते हैं। वही दूसरा मुख्य पक्ष हैं। डिप्टी स्पीकर के लिए पेश राजीव धवन ने कहा कि पहले सिंघवी को बोलने दिया जाए। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मैं शिकायत करने वाले विधायकों के लिए पेश हुआ हूँ। मैं बताना चाहता हूँ कि नबाम रेबिया केस का उदाहरण गलत तरीके से दिया जा रहा है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कौल ने सुप्रीम कोर्ट के इस बात का जवाब नहीं दिया कि मामला हाई कोर्ट में नहीं चलना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि राजस्थान का अपवाद छोड़ दें तो सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी स्पीकर के पास लंबित कार्रवाई पर सुनवाई नहीं की है। उनका अंतिम फैसला आने पर कोर्ट में सुनवाई होती है। स्पीकर गलत भी तय करते हैं, तो पहले उन्हें अपना काम करने दिया जाता है।
Senior advocate Abhishek Manu Singhvi, appearing for Uddhav Thackeray group, tells Supreme Court that Article 212 of the Constitution bars court’s scrutiny when the Speaker is deciding the issue. All internal management is barred from judicial scrutiny, he says.
— ANI (@ANI) June 27, 2022
डिप्टी स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 212 कोर्ट को विधानसभा में लंबित किसी विषय पर दखल देने से रोकता है। जिस नोटिस का विरोध किया जा रहा है, वह विधानसभा के काम का हिस्सा है। इस पर जज ने कहा कि क्या हम यह सुनवाई कर विधानसभा की कार्यवाही में दखल दे रहे हैं? जिसका सिंघवी ने जवाब दिया कि अगर नबाम रेबिया का इस तरह से पालन हुआ तो इसके गलत परिणाम आएँगे। कल को कोई भी गुट पार्टी से अलग होने से पहले स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव दे देगा।
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आप यह बताइए कि नबाम रेबिया इस केस में लागू क्यों नहीं हो सकता? अनुच्छेद 212 पर आपकी दलील को मानें तो यही लगता है कि नबाम रेबिया केस में इस पर विचार नहीं किया गया या फिर यह विचार के लायक ही नहीं था।
जज ने कहा, “अगर आपको जवाब के लिए समय चाहिए तो हम दे सकते हैं। हम विधानसभा के सक्षम अधिकारी से जवाब माँगेंगे कि डिप्टी स्पीकर को प्रस्ताव मिला था या नहीं? क्या उन्होंने उसे खारिज कर दिया? तब सवाल यह उठेगा कि क्या स्पीकर अपने ही मामले में जज हो सकते हैं?”
एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान अदालत ने एकनाथ शिंदे के वकील से पूछा, “आखिर इस मामले में पहले हाई कोर्ट का रुख क्यों नहीं किया?”
इस पर शिंदे के वकील ने कहा कि यह मामला गंभीर है और विधायकों को जान से मारने तक की धमकियाँ मिल रही हैं। इसलिए हमने शीर्ष अदालत का रुख किया है। शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा, “अदालत चाहे तो फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकती है। 2019 में सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल का नेता चुना गया था, लेकिन बिना प्रक्रिया का पालन किए उन्हें हटा दिया गया।”
SC says 14 days is the time for Speaker to put up notice before the House. Here MLAs have served notice calling upon him to put resolution under Art 179
— ANI (@ANI) June 27, 2022
Senior Adv Rajeev Dhavan appearing for Dy Speaker says Speaker has rejected the notice saying its authenticity is not verified
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे के वकील ने सुनवाई के दौरान संजय राउत की ओर से धमकी दिए जाने का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “डिप्टी स्पीकर ने 15 विधायकों को नोटिस भेजकर 2 दिन में जवाब माँगा है, जबकि कम से कम 14 दिनों का वक्त मिलना चाहिए। जबकि ऐसे मामलों में जबकि सुप्रीम कोर्ट ही पहले भी साफ कर चुका है कि जरूरी वक्त दिया जाना चाहिए।” शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का नोटिस असंवैधानिक है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि डिप्टी स्पीकर के नोटिस से आपत्ति है तो आपने उनसे ऐतराज क्यों नहीं जताया? अदालत के इस सवाल पर एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा, ‘विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है। ऐसे में उनके आगे कैसे इस पर दलील दी जा सकती है।’
बहुमत गुवाहाटी में है तो कैसे लिया डिप्टी स्पीकर ने फैसला
शिंदे के वकील ने कहा, “पार्टी के ज्यादातर विधायक तो गुवाहाटी में ही हैं। ऐसे में कैसे उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर ने नोटिस जारी कर दिया।” बता दें कि केस की सुनवाई के दौरान अरुणाचल प्रदेश के मामले का भी जिक्र हुआ। वकील ने कहा कि स्पीकर ने जब भी अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया गया, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दिया है। एकनाथ शिंदे गुट ने कहा कि पहले तो डिप्टी स्पीकर की स्थिति पर ही फैसला होना चाहिए। उसके बाद ही उनकी ओर से की गई किसी कार्यवाही पर बात की जा सकती है।