पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की सीटों पर 6 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। उससे पहले ममता बनर्जी ने ‘मुस्लिम भाई-बहनों’ को याद किया है। उनसे अपना वोट नहीं बँटने देने की अपील की है।
वैसे मुस्लिम तुष्टिकरण ममता बनर्जी की राजनीति का अहम पहलू रहा है। लेकिन ‘जय श्रीराम’ के नारे से बिदकने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले दो चरण के चुनावों में अपने हिंदू होने की दुहाई देते नजर आईं थी। न केवल वे मंदिर जाते, चंडी पाठ करते दिखीं बल्कि मतदाताओं को यह भी बताया कि वे किस गोत्र से ताल्लकुक रखती हैं।
अब सारी स्थिति देखते हुए वह एक बार फिर अपने पुराने एजेंडे पर लौट आईं हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार नॉर्थ परगना की एक चुनाव रैली में उन्होंने कहा, “मैं सभी अल्पसंख्यक भाइयों और बहनों से अनुरोध करती हूँ कि वे अपना वोट न बॅंटने दें।”
I request to all the minority brothers and sisters not to allow their vote division: West Bengal CM & TMC chief Mamata Banerjee in North 24 Parganas pic.twitter.com/58O7KqAbu7
— ANI (@ANI) April 3, 2021
बता दें कि ममता बनर्जी ने पूरे चुनाव में भाजपा पर लगातार ‘जय श्रीराम’ नारे के कारण विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है। लेकिन अब सवाल है कि वह खुद अलग से मुस्लिम वोटरों से अपील करके कौन सी धर्मनिरपेक्षता की नई परिभाषा गढ़ रही हैं। शायद ममता बनर्जी को पता लगने लगा है कि इन चुनावों के बाद सत्ता उनके हाथ से निकल जाएँगी, इसलिए उन्हें तीसरे चरण से पहले अपने मुस्लिम भाई-बहनों की याद आ गई।
उल्लेखनीय है कि बंगाल विधानसभा चुनाव का मुख्या मुकाबला तृणमूल कॉन्ग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच होता नजर आ रहा है। लेकिन दो अन्य गुट भी हैं जो राज्य में मुस्लिमों से वोट पाने की आस लगाए बैठे हैं। पहली असुद्दीन ओवैसी की AIMIM है, जिसके कारण ममता बनर्जी को डर है कि उनके वोट ओवैसी की पार्टी ले जाएगी। दूसरा गुट CPIM, कॉन्ग्रेस और अब्बास सिद्दिकी का गठबंधन है। कहा जा रहा है कि बंगाल में अब्बास सिद्दकी की 30-35 सीटों पर अच्छी पकड़ है।
इन्हीं दो गुटों के कारण ममता बनर्जी को अपना मुस्लिम वोट बैंक बँट जाने का डर है। यही वजह है कि उन्होंने राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को देख खुलेआम अपने भाई-बहनों को याद किया है।
मालूम हो कि कुछ समय पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ने स्वयं स्वीकारा था कि वह राज्य में भाजपा को अकेले नहीं हरा पाएँगी, इसलिए उन्हें विपक्षी पार्टियों का साथ चाहिए। उन्होंने इस संबंध में बड़ी विपक्षी पार्टियों को खत लिखकर समर्थन माँगा था। ये पत्र पहले चरण के बाद लिखा गया था।
ममता ने यह खत 15 गैर भाजपा नेताओं को भेजा था। इसमें कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, डीएमके चीफ एमके स्टालिन, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, आँध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, राजद प्रमुख तेजस्वी यादव, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला के साथ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी शामिल थीं।