दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार और उसके मुखिया अरविंद केजरीवाल की आम लोगों के नजर में साख की पोल सोमवार (19 अप्रैल 2020) की शाम होते-होते खुल गई। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन का ऐलान करते हुए कहा था कि वे हाथ जोड़ कर प्रवासी मजदूरों से विनती करते हैं कि ये एक छोटा सा लॉकडाउन है जो मात्र 6 दिन ही चलेगा, इसलिए वे दिल्ली को छोड़ कर कहीं और न जाएँ।
लेकिन उनके इस ऐलान के साथ ही पहले दिल्ली के ठेकों पर भीड़ उमड़ी और फिर उसके कुछ ही घंटों बाद दिल्ली से घर लौटने की मजदूरों के बीच होड़ शुरू हो गई। ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था।
आनंद विहार बस टर्मिनल पर मजदूरों की भारी भीड़ जुटी हुई है। वहाँ हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही इकट्ठा होने शुरू हो गए थे। इनमें से अधिकतर यूपी, बिहार और झारखंड के हैं। सभी अपने घर वापस लौटना चाहते हैं।
Delhi: Migrant workers wait for buses at Anand Vihar Bus Terminal amid 1-week lockdown in NCT
— ANI (@ANI) April 19, 2021
“We’re daily wagers, CM should have given us some time before announcing it. It takes us Rs 200 to reach home, but they’re charging Rs 3,000-4,000 now,how will we go home?” say migrants pic.twitter.com/6bJIL2TbXb
प्रवासी मजदूरों ने कहा कि दिल्ली की AAP सरकार को कर्फ्यू की घोषणा से पहले उन्हें समय देना चाहिए था, ताकि वो अपने घर लौट सकें। मजदूरों ने कहा कि वो दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग हैं, ऐसे में अब उनके जीवन-यापन पर संकट आ खड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि जहाँ बस से वापस जाने के लिए मात्र 200 रुपए लगते थे, वहाँ अब 3000-4000 रुपए लग रहे हैं। प्रवासियों ने पूछा कि अब वो वापस कैसे जाएँगे?
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अब वो किसी भी सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। आनंद विहार बस टर्मिनल पर तो भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस भी नाकाम रही है। प्रवासी मजदूर अपने परिवारों के साथ वहाँ पहुँचे हुए हैं। कोरोना के दिशा-निर्देशों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। एक 7 साल के बच्चे ने बताया कि लॉकडाउन में उसके पिता की नौकरी चली गई, जिसके बाद वह अवसाद में उसकी माँ को पीटा करता था।
मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जा सकता है, ऐसे में उनकी ज़िंदगी फिर से नरक हो जाएगी। उनका कहना है कि पिछले साल वो कई दिनों तक भूखे रहने को मजबूर हुए थे। कंस्ट्रक्शन कार्य में लहे मजदूरों को तो उनके मालिकों ने ही वापस जाने को कह दिया है। मजदूरों का कहना है कि दिल्ली छोड़ना ही अब एकमात्र उचित विकल्प है। ये वो मजदूर हैं, जिनकी आय कुछ दिनों पहले दोबारा शुरू ही हुई थी।
#WATCH | Delhi: A huge rush of migrant workers at Anand Vihar Bus Terminal.
— ANI (@ANI) April 19, 2021
Delhi Govt has imposed a 6-day lockdown beginning at 10 pm tonight. pic.twitter.com/LDFesCKiKQ
इस बार ट्रेनें भी चल रही हैं, ऐसे में कई प्रवासी मजदूर रेलगाड़ी से घर लौट रहे हैं। अधिकतर के पास कन्फर्म टिकट नहीं है। बसों में बैठने के लिए होड़ सी मची हुई है और लोग किसी तरह जगह लेकर जाने के लिए भी तैयार हैं। कौशांबी में भी भारी भीड़ है। पिछली बार जो पैदल लौटे थे, वो भी इस बार बस से जा रहे हैं। रविवार को दिल्ली से लगभग 5 लाख लोगों ने ट्रेन पकड़ी। आनंद विहार टर्मिनल पर जुटे लोगों की संख्या करीब 50,000 बताई गई है।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि गेहूँ की कटाई और शादी-ब्याह के इस सीजन में लोग वैसे भी लौटते हैं, ऐसे में सिर्फ लॉकडाउन इसका कारण नहीं है। बस की छत पर बैठ कर भी लोग लौट रहे हैं। भीड़ में कुछ लोगों के मोबाइल फोन्स भी खो गए। सराय काले खाँ और कश्मीरी गेट पर भी यही स्थिति है।
पिछले 1 दिन की बात करें तो दिल्ली में कोरोना के 23,686 नए मामले सामने आए हैं, जिससे वहाँ सक्रिय संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 76,887 हो गई है। 21,500 लोग ठीक भी हुए। वहीं पिछले 1 दिन में 240 लोगों को कोरोना के कारण अपनी जान गँवानी पड़ी। इसके साथ ही प्रदेश में मृतकों की संख्या अब 12,361 पर पहुँच गई है। पूरे भारत में कोरोना के 2,56,828 नए मामले सामने आए हैं।
केजरीवाल ने लॉकडाउन की घोषणा के साथ भरोसा दिलाया था कि सरकार प्रवासियों का ख्याल रखेगी। लेकिन, जिस तरह घर वापसी की होड़ लगी है वह देखकर तो लगता है कि मजदूर पिछले साल के अनुभवों को नहीं भूले हैं, जब आप पर ही अफवाह फैलाकर उन्हें घर से निकलने को मजबूर करने के आरोप लगे थे।