Thursday, June 27, 2024
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अब नहीं होती पत्थरबाजी, शांति से चल रहे स्कूल: 370 पर सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार, पंचायत चुनाव और G20 बैठक का भी जिक्र

आज जम्मू कश्मीर में गाँव और शहरों की पंचायतों में 34,000 चुने हुए प्रतिनिधि हैं जो जमीनी लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई होने वाली है। इसी क्रम में केंद्र सरकार ने भी एफिडेविट दायर कर अपने फैसले का बचाव किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि 2019 के बाद से ही जम्मू कश्मीर में शांति, उन्नति और समृद्धि का ऐसा है जैसा पहले कभी नहीं रहा। साथ ही बताया गया है कि घाटी में 3 दशक की अस्थिरता के बाद जन-जीवन सामान्य हो गया है। बता दें कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 को निरस्त किया गया था।

इसके साथ ही राज्य को दो हिस्से में विभाजित किया गया था। जम्मू कश्मीर और लद्दाख – इन दोनों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। अब मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एफिडेविट में कहा है कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों का संचालन सुचारु रूप से हो रहा है। न तो किसी प्रकार का धरना प्रदर्शन हो रहा है और न ही पिछले 3 वर्षों से इनके कामकाज में किसी प्रकार की बाधा डाली गई है। सब शांतिपूर्वक चल रहा है।

इस एफिडेविट में मोदी सरकार ने ये भी साफ़ कर दिया है कि पहले जो रोज के रोज हड़ताल, बंद, हमलों और पत्थरबाजी की घटनाएँ होती थीं अब वो बंद हो गई हैं। इस एफिडेविट में ये जानकारी भी दी गई है कि लोकतांत्रिक तरीके से किए गए संवैधानिक बदलावों के बाद जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। उदाहरण देते हुए समझाया गया है कि पहली बार जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया है।

केंद्र की मोदी सरकार ने एफिडेविट में बताया है कि नवंबर-दिसंबर 2020 में जिला विकास परिषदों के लिए चुनाव संपन्न कराए गए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय को एक बड़ी जानकारी ये भी दी गई है कि आज जम्मू कश्मीर में गाँव और शहरों की पंचायतों में 34,000 चुने हुए प्रतिनिधि हैं जो जमीनी लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही आतंकी नेटवर्क के खिलाफ हुई कार्रवाई के संबंध में भी जानकारी दी गई है। बताया गया है कि प्रदेश का आम आदमी भी इस शांति और अस्थिरता को अनुभव कर रहा है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये समझाने का भी प्रयास किया है कि कैसे मई 2023 में G-20 के टूरिज्म ग्रुप की बैठक जिस तरह से श्रीनगर में आयोजित की गई, वो जम्मू कश्मीर के इतिहास में पर्यटन के क्षेत्र में ऐतिहासिक क्षण था। भारत ने गौरव के साथ दुनिया भर को दिखाया कि आतंकियों के प्रभाव वाले इलाकों को एक ऐसे क्षेत्र में बदला जा सकता है जहाँ अंतरराष्ट्रीय अतिथियों की बैठक हो, वैश्विक कार्यक्रम हों।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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