Monday, October 14, 2024
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सीएम योगी की राह पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उज्जैन में रात बिताकर तोड़ा मिथक: बोले- महाकाल तो ब्रह्मांड के राजा, हम उनके बेटे

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नोएडा आकर मिथक तोड़ने के बाद अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन में रात बिताकर दशकों पुरानी मिथक को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि महाकाल तो ब्रह्मांड के राजा हैं और वे उनके सेवक और पुत्र हैं।

राजनीति भी अंधविश्वास से अछूता नहीं है। कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस डर से नोएडा नहीं आते थे कि उनकी कुर्सी चली चली जाएगी। हालाँकि, इस प्रथा को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तोड़ दिया। इसके बाद ना सिर्फ उनकी कुर्सी बची रही, बल्कि लगातार दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। इसी तरह की एक प्रथा को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तोड़ा है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारी तक महाकाल की नगरी उज्जैन में नहीं रूका करते थे। उन्हें डर होता था कि इससे उनकी कुर्सी चली जाएगी। हालाँकि, भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री बनाए गए डॉक्टर मोहन यादव ने इस प्रथा को तोड़ दिया। उन्होंने शनिवार (16 दिसंबर 2023) की रात उज्जैन में बिता कर दशकों पुराने मिथक को तोड़ दिया।

उज्जैन का प्राचीन नाम अवंतिका नगरी है। इसे महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। इसे माता हरसिद्धि की नगरी भी कहा जाता है। माता हरसिद्धि महाराजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। उज्जैन को लेकर अब तक यही मिथक रही है कि उज्जैन के राजा महाकाल हैं। इसलिए यहाँ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री रात नहीं गुजार सकते।

चूँकि मोहन यादव उज्जैन में जन्मे और पले-बढ़े हैं। इतना ही नहीं, वे उज्जैन दक्षिण से भाजपा के विधायक भी हैं। इसलिए उनका कहना है कि वे महाकाल के पुत्र हैं और यह मिथक उन पर लागू नहीं होता। दरअसल, मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव उज्जैन पहुँचे और एक रोड शो किया। इसमें लोगों को संबोधित करते हुए इस मिथक बारे में भी जानकारी दी।

मराठा राजपरिवार ने फैलाया यह भ्रम

सीएम मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन में रात नहीं बिताने के मिथक को मराठों के तत्कालीन राजा दौलतराव सिंधिया ने चलाया था। उन्होंने कहा कि महादजी सिंधिया के निधन के बाद उनके बेटे दौलतराव सिंधिया अपनी राजधानी को उज्जैन से हटाकर ग्वालियर ले जाना चाहते थे।

मोहन यादव ने कहा कि महादजी सिंधिया सन 1812 में राजधानी ग्वालियर ले भी गए, लेकिन लोगों के बीच एक मंत्र फूँक गए कि उज्जैन में कोई राजा रात को नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि यह महादजी सिंधिया की राजनीति और रणनीति का हिस्सा था, ताकि यहाँ कोई कब्जा करने नहीं आए।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, “हम भी कहते हैं कि राजा रात में नहीं रहेगा। अरे राजा तो बाबा महाकाल हैं। हम सब तो उनके बेटे हैं। क्यों रात में नहीं रहेंगे। अगर बाबा महाकाल ने टेढ़ी निगाह कर दी तो ब्रह्मांड में कोई बच नहीं सकता। मुझे पीएम मोदी ने कहा कि बनारस मैं संभालता हूँ मोहन जी, आप उज्जैन संभालो। मैं मुख्यमंत्री नहीं, मुख्य सेवक हूँ यहाँ।”

उज्जैन में रुकने के बाद मोरारजी देसाई PM पद और येदियुरप्पा CM पद गँवाए

हालाँकि, मोहन यादव का दावे से अलग राजनीति में इसे बड़े लगन से पालन किया गया। कोई भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री रात में उज्जैन नहीं रुकते थे। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश के 18 साल मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान भी रात में कभी उज्जैन में नहीं रूके। उनसे पहले की सरकारों के मुख्यमंत्री भी यहाँ रात में नहीं रूके।

कहा जाता है कि देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक बार उज्जैन में रात में रूक गए थे। इसके अगले ही दिन उनकी कुर्सी चली गई थी। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा भी एक रात यहाँ विश्राम कर चुके हैं। इसके 20 दिन बाद उन्हें मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र देना पड़ गया था।

नोएडा के मिथक को सीएम योगी ने तोड़ा

बता दें कि उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा (NOIDA) के बारे में यह मिथक प्रचलित था। कहा जाता था कि पद पर रहते हुए जो भी मुख्यमंत्री नोएडा जाता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनता। इस मिथक को वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तोड़ दिया है। वे कई अब तक कई बार नोएडा आ चुके हैं और कई परियोजनाओं का शुभारंभ कर चुके हैं।

छत्तीसगढ़ का अकलतरा नगरपालिका को लेकर भी मिथक

ऐसा ही मिथक छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की अकलतरा नगरपालिका को लेकर भी प्रचलित है। कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री यहाँ आता है, उसे दोबारा कुर्सी नहीं मिलती है। मुख्यमंत्री रहते हुए भूपेश बघेल भी वहाँ कभी नहीं गए। हालाँकि, ये अलग बात है कि वे फिर भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

इस नगरपालिका क्षेत्र में वर्ष 1958 में अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू आए थे। इसके बाद वे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने। इसकी तरह 1973 में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी यहाँ आए। वे भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने। छत्तीसगढ़ बनने के बाद साल 2002 में मुख्यमंत्री अजीत जोगी आए। इसके बाद वे भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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