Tuesday, April 16, 2024
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बिहार के नए कानून मंत्री का किडनैपिंग केस में नामः बोले नीतीश कुमार- मुझे नहीं पता, दावा- जब करना था कोर्ट में सरेंडर, तब ले रहे थे शपथ

नीतीश कुमार सरकार की नई कैबिनेट में कई दागियों को जगह मिली है। इनमें कार्तिकेय सिंह के अलावा सुधाकर सिंह, चंद्रशेखर यादव और सुरेंद्र यादव शामिल हैं। सुधाकर सिंह पर चावल घोटाला और चंद्रशेखर यादव पर एयरपोर्ट पर कारतूस ले जाने का आरोप है।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) उर्फ मास्टर साहब को मंत्री बनाने पर विवाद हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कार्तिकेय सिंह पर अपहरण का आरोप है और 16 अगस्त को उन्हें कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन वे उसी दिन प्रदेश में कानून मंत्री की शपथ ले रहे थे।

कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के नेता रहे बाहुबली अनंत सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं कार्तिकेय सिंह और वह राजद के विधान पार्षद हैं। कार्तिकेय सिंह पर केस को लेकर सीएम नीतीश ने अनभिज्ञता जाहिर की है।

अपहरण मामले में कार्तिकेय सिंह की गिरफ्तारी के खिलाफ वॉरंट पर जब सवाल किया गया तो नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि इस मामले को भाजपा नेताओं ने जोर-शोर से उठाया है और नीतीश सरकार पर सवाल खड़ा किया है।

बिहार के उप-मुख्यमंत्री रह चुके भाजपा के वर्तमान राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा, “मैं नीतीश से पूछता हूँ कि क्या वह बिहार को लालू के जमाने में वापस ले जाने की कोशिश कर रहे हैं? कार्तिकेय सिंह को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।”

केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कार्तिकेय सिंह को बर्खास्त कर तुरंत जेल भेजने की माँग की है। उन्होंने कहा कि गैंगस्टर अनंत सिंह के दाहिना हाथ कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बना दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का सुशासन से दूर-दूर तक रिश्ता नहीं रह गया है।

कार्तिकेय सिंह पर अपहरण सहित कई आरोप

जिस आरोप को लेकर कार्तिकेय सिंह पर सवालों के घेरे में हैं, यह मामला साल 2014 का है। दानापुर थाना क्षेत्र के बिहटा इलाके में राजू सिंह का अपहरण हुआ था। इस मामले में बिहार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह भी आरोपित हैं। कोर्ट ने उनके खिलाफ वॉरंट जारी किया था और उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था।

हालाँकि, कार्तिकेय सिंह कोर्ट नहीं पहुँचे और उस दिन कानून मंत्री पद की शपथ लिए। उन्होंने इस मामले में ना ही कोर्ट के सामने सरेंडर किया है और ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई एक सितंबर को करेगी। 

कार्तिकेय ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने ऊपर चार केस दर्ज होने की जानकारी दी है। इनमें चोरी, अपहरण, दंगा करने, सरकारी काम में बाधा पहुँचाने, आपराधिक साजिश रचने, जबरन वसूली से जुड़े आरोप लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, उन पर सार्वजनिक सड़क, पुल, नदी को नुकसान पहुँचाने का भी आरोप है। 

अनंत सिंह के बेहद खास हैं कार्तिकेय सिंह

मोकामा के बाहुबली नेता अनंत सिंह एके-47 के मामले में अभी जेल में हैं। उनकी विधायकी भी चली गई है, लेकिन उनके खासम-खास कार्तिकेय सिंह कानून मंत्री बन गए हैं। कार्तिकेय सिंह मोकामा के शिवनार गाँव के रहने वाले हैं और भूमिहार जाति के दबंग नेता माने जाते हैं।

राजनीति में आने से पहले वह शिक्षक थे। वह साल 2005 में मोकामा के तत्कालीन विधायक अनंत सिंह के संपर्क में आए। बाद में वह उनके चुनावी रणनीतिकार बन गए। जब अनंत सिंह जेलों में जाते थे तो कार्तिकेय सिंह उनकी अनुपस्थिति में उनके सारे काम देखते थे। उनकी पत्नी रंजना कुमारी दो बार मुखिया भी रह चुकी हैं।

इस साल अनंत सिंह की विधायकी जाने के बाद मोकामा सीट पर उप-चुनाव होना है। यहाँ अनंत सीट की पत्नी नीलम सिंह चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में कार्तिके सिंह को उनके साथ चुनाव प्रचार करते भी देखा गया है। पिछले साल वह राजद के टिकट पर विधान पार्षद बने थे। कहा जाता है कि उनके नाम की पैरवी खुद लालू यादव ने अनंत सिंह के कहने पर की थी।

कई दागियों को कैबिनेट में जगह

राजद से हाथ मिलाते ही नीतीश कुमार सरकार की नई कैबिनेट में कई दागियों को जगह मिली है। इनमें कार्तिकेय सिंह के अलावा सुधाकर सिंह, चंद्रशेखर और सुरेंद्र यादव भी शामिल हैं। बक्सर के रामगढ़ से राजद के विधायक और अब मंत्री सुधाकर सिंह पर चावल घोटाले का आरोप है। कहा जाता है कि 2013-14 में उन्होंने चावल जमा नहीं कराया और उसे गबन कर गए। इसी तरह सुरेंद्र यादव पर भी कई आरोप हैं।

इसी तरह नीतीश कुमार की सरकार में एक और मंत्री बने हैं चंद्रशेखर यादव, जो मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगा कर विधानसभा पहुँचे हैं। उन्हें 20 फरवरी, 2022 को दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (IGIA) से गिरफ्तार किया गया था। वो अपने सामान के साथ 10 कारतूस लेकर भी जा रहे थे। हालाँकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। पेशे से वो प्रोफेसर हैं। उन्हें शिक्षा मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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