Friday, October 4, 2024
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‘शौचालय की कमी की वजह से मुस्लिम बेटियों को छोड़नी पड़ती थी पढ़ाई, अब बदले हालात’: AMU में PM मोदी

"यहाँ उर्दू-हिन्दी-अरबी-संस्कृत पढ़ाई जाती है और साथ ही यहाँ की लाइब्रेरी में कुरान है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी हैं। AMU की दीवारों में भारत का इतिहास है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (दिसंबर 22, 2020) को सुबह 11 बजे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित किया। 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के बाद वो पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने AMU को सम्बोधित किया हो। आयोजन के दौरान उन्होंने डाक टिकट भी जारी किया। यूनिवर्सिटी में धर्मशास्त्र संकाय के प्रोफेसर रेहान अख्तर काजमी सहित कई प्रोफेसरों ने पीएम मोदी के सम्बोधन का स्वागत किया।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी कोरोना के इस संकट के दौरान भी AMU ने जिस तरह समाज की मदद की, वो अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि हजारों लोगों का मुफ्त टेस्ट करवाना, आइसोलेशन वार्ड बनाना, प्लाज्मा बैंक बनाना और पीएम केयर फंड में बड़ी राशि का योगदान देना, समाज के प्रति आपके दायित्वों को पूरा करने की गंभीरता को दिखाता है। बकौल पीएम मोदी, 100 वर्षों में AMU ने दुनिया के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त करने का भी काम किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उर्दू, अरबी और फारसी भाषा पर यहाँ जो रिसर्च होती है, इस्लामिक साहित्य पर जो रिसर्च होती है, वो समूचे इस्लामिक वर्ल्ड के साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को नई ऊर्जा देती है। पीएम ने अपनी सरकार की सफलताओं की चर्चा करते हुए कहा कि आज देश जो योजनाएँ बना रहा है, वो बिना किसी मत-मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुँच रही हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे बिना किसी भेदभाव, 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खुले।

प्रधानमंत्री ने आँकड़े गिनाते हुए कहा कि बिना किसी भेदभाव, 2 करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर दिए गए, बिना किसी भेदभाव 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस मिला, बिना किसी भेदभाव आयुष्मान योजना के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज संभव हुआ। उन्होंने कहा कि जो देश का है, वो हर देशवासी का है और इसका लाभ हर देशवासी को मिलना ही चाहिए, हमारी सरकार इसी भावना के साथ काम कर रही है।

पीएम मोदी ने AMU को मिनी इंडिया और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की तस्वीर बताते हुए कहा कि यहाँ उर्दू-हिन्दी-अरबी-संस्कृत पढ़ाई जाती है और साथ ही यहाँ की लाइब्रेरी में कुरान है तो गीता-रामायण के अनुवाद भी हैं। उन्होंने कहा कि AMU की दीवारों में भारत का इतिहास है और देश का नाम रौशन कर रहे यहाँ के छात्रों से जब वो विदेश में मिलते हैं, तो वो हँसी-मजाक व शेर-ओ-शायरी के अंदाज़ में बातें करते हैं। AMU शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने कहा:

“सरकार उच्च शिक्षा में दाखिलों की संख्या बढ़ाने और सीटें बढ़ाने के लिए भी लगातार काम कर रही है। वर्ष 2014 में हमारे देश में 16 IITs थीं। आज 23 IITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे देश में 9 IIITs थीं। आज 25 IIITs हैं। वर्ष 2014 में हमारे यहाँ 13 IIMs थे। आज 20 IIMs हैं। मेडिकल शिक्षा को लेकर भी बहुत काम किया गया है। 6 साल पहले तक देश में सिर्फ 7 AIIMS थे। आज देश में 22 AIIMS हैं। शिक्षा चाहे ऑनलाइन हो या फिर ऑफलाइन, सभी तक पहुँचे, बराबरी से पहुँचे, सभी का जीवन बदले, हम इसी लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं। आज देश की नीति-नीयत में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना है, जिसमें देश उस पथ पर आगे बढ़ रहा है, जहाँ कोई मजहब पीछे न छूटे। सभी को समान अवसर मिले।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले मुस्लिम बेटियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट 70% से ज्यादा हुआ करता था, लेकिन अब ये अब घट कर 30% के आसपास रह गया है। उन्होंने कहा कि पहले लाखों मुस्लिम बेटियाँ शौचायल की कमी की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती थीं, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब जब पूरे विश्व की नजर भारत पर है, हमें समय गँवाए बिना ‘आत्मनिर्भर भारत’ का निर्माण करना है।

साथ ही उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वो स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में रिसर्च करें, जिनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने शताब्दी समारोह के माध्यम से छात्रों से कहा कि वो इनमें 75 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, 25 महिला स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानकारी इकट्ठा करें। उन्होंने पुरानी पांडुलिपी को डिजिटल क्षेत्र के जरिए दुनिया के सामने लाने का प्रयास करने को कहा।

पीएम ने कहा कि एक सशक्त महिला का हर फैसले में उतना ही योगदान होता है, जितना किसी और का। फिर चाहे बात परिवार को दिशा देने की हो या देश को। उन्होंने कहा, “मैं देश की अन्य शिक्षा संस्थानों से भी कहूँगा कि ज्यादा से ज्यादा बेटियों को शिक्षा से जोड़ें।” उन्होंने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 21वीं सदी में भारत के छात्र-छात्राओं की जरूरतों को सबसे ज्यादा ध्यान में रखा गया है। उन्होंने भरोसा जताया कि हमारे देश के युवा ‘नेशन फर्स्ट’ के आह्वान के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज में वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन जब बात राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति की हो, तो हर मतभेद किनारे रख देने चाहिए। जब सभी युवा साथी इस सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो ऐसी कोई मंजिल नहीं, जो हम हासिल न कर सकें। उन्होंने याद दिलाया कि पिछली शताब्दी में इन्हीं मतभेदों के कारण न जाने कितना ही समय जाया हो गया। उन्होंने समझाया कि सियासत सोसाइटी का अहम हिस्सा है, लेकिन सोसाइटी में सियासत के अलावा भी दूसरे मसले हैं। सियासत और सत्ता की सोच से बहुत बड़ा, बहुत व्यापक किसी देश का समाज होता है।

बता दें कि AMU द्वारा पीएम मोदी को भेजे गए आमंत्रण से कुछ कट्टरपंथी, वामपंथी और लिबरल समाज के लोग बेहद आहत थे। कॉन्ग्रेस समर्थक साकेत गोखले ने इस पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए लिखा, “CAA विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा AMU छात्रों पर क्रूर हमले को एक साल हो गया है। और अब मोदी को एएमयू शताब्दी समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। कितना रीढ़हीन प्रशासन है।” कई अन्य कट्टरपंथियों ने भी सोशल मीडिया में कड़वी प्रतिक्रिया दी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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