Thursday, April 18, 2024
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लखपत गुरुद्वारा का जीर्णोद्धार, गुरु नानक को याद और किसान जितेन्द्र-असलम की ‘असली ताकत’: PM मोदी के मन की बात

इधर किसान आंदोलन हाईजैक कर रहे खालिस्तानी, उधर PM मोदी ने गुरु नानक को याद कर यह बताया कि कैसे 2001 के भूकंप से क्षतिग्रस्त लखपत गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार कर उन्होंने उसके गौरव और भव्यता को फिर से स्थापित किया था। इसके लिए 'UNESCO Asia Pacific Heritage Award' भी मिला था।

जहाँ एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों को लेकर हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को खालिस्तानियों ने हाईजैक कर लिया है, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 71वें संस्करण में सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी को याद किया। बता दें कि सोमवार (नवंबर 30, 2020) को गुरु नानक देव जी का 551वाँ प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। पीएम मोदी ने पूरी दुनिया में उनके प्रभाव को याद करते हुए कहा कि ये स्पष्ट रूप से दिखता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैंकुवर (Vancouver) से वेलिंग्टन और सिंगापुर से दक्षिण अफ्रीका तक, उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है – “सेवक को सेवा बन आई”, यानी, सेवक का काम, सेवा करना है। उन्होंने बताया कि बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला और गुरु साहिब ने हमसे सेवा ली।

उन्होंने याद दिलाया कि गुरु नानक देव जी का ही 550वाँ प्रकाश पर्व, श्री गुरु गोविंद सिंह जी का 350वाँ प्रकाश पर्व, अगले वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वाँ प्रकाश पर्व भी है। उन्होंने अपने विश्वास की बात करते हुए कहा कि गुरु साहब की उन पर विशेष कृपा रही, जो उन्होंने मुझे हमेशा अपने कार्यों में बहुत करीब से जोड़ा है। इस दौरान उन्होंने कच्छ लखपत गुरुद्वारा साहिब का जिक्र किया, जहाँ गुरु नानक देव जी भी अपनी ‘उदासी’ के दौरान रुके थे।

पीएम ने आज से दो दशक पहले की घटना को याद करते हुए कहा कि 2001 के भूकंप से इस गुरुद्वारा को भी नुकसान पहुँचा था। उन्होंने कहा कि यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया। उन्होंने बताया कि ना केवल गुरुद्वारा की मरम्मत की गई बल्कि उसके गौरव और भव्यता को भी फिर से स्थापित किया गया। पीएम ने कहा कि हम सब को गुरु साहिब का भरपूर आशीर्वाद भी मिला।

उन्होंने आगे जानकारी दी कि लखपत गुरुद्वारा के संरक्षण के प्रयासों को 2004 में ‘UNESCO Asia Pacific Heritage Award’ में Award of Distinction दिया गया। अवॉर्ड देने वाली जूरी ने ये पाया कि मरम्मत के दौरान शिल्प से जुड़ी बारीकियों का विशेष ध्यान रखा गया। जूरी ने यह भी नोट किया कि गुरुद्वारा के पुनर्निर्माण कार्य में सिख समुदाय की ना केवल सक्रिय भागीदारी रही, बल्कि, उनके ही मार्गदर्शन में ये काम हुआ।

उन्होंने याद किया कि लखपत गुरुद्वारा जाने का सौभाग्य उन्हें तब भी मिला था, जब वो मुख्यमंत्री भी नहीं थे। पीएम ने कहा कि उन्हें वहाँ जाकर असीम ऊर्जा मिलती थी। उन्होंने कहा कि इस गुरुद्वारा में जाकर हर कोई खुद को धन्य महसूस करता है। बकौल पीएम मोदी, वो इस बात के लिए बहुत कृतज्ञ हैं कि गुरु साहिब ने उनसे निरंतर सेवा ली है। उन्होंने उदाहरण दिया कि पिछले वर्ष नवम्बर में ही करतारपुर साहिब कॉरिडोर का खुलना बहुत ही ऐतिहासिक रहा। पीएम मोदी ने कहा:

“इस बात को मैं जीवन भर अपने हृदय में सँजो कर रखूँगा। यह, हम सभी का सौभाग्य है कि हमें श्री दरबार साहिब की सेवा करने का एक और अवसर मिला। विदेश में रहने वाले हमारे सिख भाई-बहनों के लिए अब दरबार साहिब की सेवा के लिए राशि भेजना और आसान हो गया है। इस कदम से विश्व-भर की संगत, दरबार साहिब के और करीब आ गई है। ये गुरु नानक देव जी ही थे, जिन्होंने लंगर की परंपरा शुरू की थी और आज हमने देखा कि दुनिया-भर में सिख समुदाय ने किस प्रकार कोरोना के इस समय में लोगों को खाना खिलाने की अपनी परंपरा को जारी रखा है, मानवता की सेवा की – ये परंपरा, हम सभी के लिए निरंतर प्रेरणा का काम करती है। मेरी कामना है, हम सभी, सेवक की तरह काम करते रहे। गुरु साहिब मुझसे और देशवासियों से इसी प्रकार सेवा लेते रहें। एक बार फिर, गुरु नानक जयंती पर, मेरी, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।” 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ में पूरा फोकस किसानों और कृषि को लेकर चल रहे मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में समझाने को लेकर रखा और विरोध प्रदर्शन में फ़ैल रहे अफवाहों को भी काटा। उन्होंने बताया कि कैसे भारत में खेती और उससे जुड़ी चीजों के साथ नए आयाम जुड़ रहे हैं और बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।

उन्होंने कहा कि वर्षों से किसानों की जो माँग थी, जिन माँगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वायदा किया था, वो माँगें पूरी हुई हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि काफ़ी विचार-विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं।

बकौल पीएम मोदी, इन अधिकारों ने बहुत ही कम समय में, किसानों की परेशानियों को कम करना शुरू कर दिया है। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के धुले ज़िले के किसान जितेन्द्र भोइजी का जिक्र किया, जिन्होंने कृषि कानूनों का सटीक इस्तेमाल किया। पीएम ने बताया कि जितेन्द्र भोइजी ने मक्के की खेती की थी और सही दामों के लिए उसे व्यापारियों को बेचना तय किया। फसल की कुल कीमत तय हुई करीब 3.32 लाख रुपए।

पीएम ने आगे बताया कि जितेन्द्र भोइजी को 25,000 रुपए एडवांस भी मिल गए थे। तय ये हुआ था कि बाकी का पैसा उन्हें 15 दिन में चुका दिया जाएगा। लेकिन, बाद में परिस्थितियाँ ऐसी बनी कि उन्हें बाकी का पेमेन्ट नहीं मिला। किसान से फसल खरीद लो, महीनों–महीनों पेमेन्ट न करो, संभवतः मक्का खरीदने वाले बरसों से चली आ रही उसी परंपरा को निभा रहे थे। इसी तरह 4 महीने तक जितेन्द्र जी का पेमेन्ट नहीं हुआ। इस स्थिति में उनकी मदद की सितम्बर मे जो पास हुए हैं, जो नए कृषि क़ानून बने हैं – वो उनके काम आए।

इस क़ानून में ये तय किया गया है कि फसल खरीदने के तीन दिन में ही, किसान को पूरा पेमेन्ट करना पड़ता है और अगर पेमेन्ट नहीं होता है तो किसान शिकायत दर्ज कर सकता है। कानून में एक और बहुत बड़ी बात है, इस क़ानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के SDM को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा। पीएम ने कहा, “अब, जब, ऐसे कानून की ताकत हमारे किसान भाई के पास थी, तो, उनकी समस्या का समाधान तो होना ही था, उन्होंने शिकायत की और चंद ही दिन में उनका बकाया चुका दिया गया।

पीएम ने समझाया कि कानून की सही और पूरी जानकारी ही जितेन्द्र जी की ताकत बनी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र कोई भी हो, हर तरह के भ्रम और अफवाहों से दूर, सही जानकारी हर व्यक्ति के लिए बहुत बड़ा संबल होता है। उन्होंने एक अन्य किसान का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों में जागरूकता बढ़ाने का ऐसा ही एक काम कर रहे हैं, राजस्थान के बाराँ जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम। ये एक किसान उत्पादक संघ के CEO भी हैं |

प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में कहा कि बड़ी बड़ी कम्पनियों के CEOs को ये सुनकर अच्छा लगेगा कि अब देश के दूर-दराज वाले इलाको में काम कर रहे किसान संगठनों में भी CEOs होने लगे हैं। पीएम ने आगे बताया कि मोहम्मद असलम ने अपने क्षेत्र के अनेकों किसानों को मिलाकर एक बना लिया है और वो इस ग्रुप पर हर रोज़, आस-पास की मंडियो में क्या भाव चल रहा है, इसकी जानकारी किसानों को देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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