प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल (25 फरवरी, 2024) को गुजरात के राजकोट में देश के पाँच नए AIIMS का उद्घाटन करेंगे। यहाँ से पीएम राजकोट के अलावा मंगलागिरी, बठिंडा, रायबरेली और कल्याणी AIIMS का भी उद्घाटन करेंगे। इनमें से रायबरेली को छोड़ कर बाकी का ऐलान भी पीएम मोदी ने ही किया था और अब उद्घाटन भी वही कर रहे हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान पिछली सरकारों से दोगुनी सँख्या में AIIMS बनाए हैं।
मोदी सरकार मात्र AIIMS ही नहीं बल्कि अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने में भी काफी सफल रही है। बीते 10 वर्षों में देश मेडिकल कॉलेज की सँख्या जहाँ दोगुनी हो चुकी है, वहीं देश का स्वास्थ्य बजट भी इस दौरान लगभग तीन गुना हो चुका है। देश में MBBS सीट की सँख्या भी इस बीच दोगुनी हुई है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ भी लाई गई हैं। इन सबसे देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव आए हैं।
पीएम मोदी ने दिए देश को 15 AIIMS
पीएम मोदी वर्ष 2014 में सत्ता में आए थे। तब देश में कुल 8 AIIMS थे। उनके कार्यकाल के लगभग 10 वर्ष बाद देश में कुल AIIMS की सँख्या 23 हो चुकी है। इनमें से अधिकांश चालू हो चुके हैं जबकि कुछ का निर्माण चल रहा है। पीएम मोदी के कार्यकाल में 2015 से ही युद्धस्तर पर AIIMS बनाने का काम चालू हो गया था।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) को दोबारा पीएम मोदी ने जीवित किया। उन्होंने अक्टूबर 2015 में एक साथ 3 AIIMS को मंजूरी दी। यह तीनों AIIMS मंगलागिरी (आंध्र प्रदेश), नागपुर और कल्याणी (पश्चिम बंगाल) में बनाए जाने थे। वर्तमान में मंगलागिरी में MBBS कक्षाएँ चल रही हैं। यह 2018 में ही चालू हो गईं थी। 25 फरवरी को प्रधानमंत्री इसमें और भी सुविधाओं के साथ इसका उद्घाटन करेंगे।
इसी तरह AIIMS नागपुर का निर्माण कार्य 2017 में चालू हुआ था। यहाँ भी वर्तमान में MBBS कक्षाएँ चल रही हैं और साथ OPD भी चालू है। पश्चिम बंगाल के कल्याणी में बनाए जाने वाले AIIMS ने भी 2019 में कक्षाएँ चालू कर दी थीं और साथ ही इसमें भी OPD एवं IPD सेवाएँ चालू हैं। राजकोट में जिन AIIMS का लोकार्पण होना है, उनमें यह कल्याणी भी शामिल है।
मोदी सरकार मात्र इतने पर ही नहीं रुकी। उसने जुलाई 2016 में AIIMS गोरखपुर और AIIMS बठिंडा को मंजूरी दी। वर्तमान में गोरखपुर और बठिंडा AIIMS कार्यरत हैं। यहाँ भी MBBS कक्षाएँ चल रही हैं और OPD सुविधाएँ मौजूद हैं। इसके बाद मई 2017 में AIIMS गुवाहाटी को मंजूरी दी गई। AIIMS गुवाहाटी उत्तरपूर्व के लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। मणिपुर में भी एक AIIMS बनाए जाने का प्रस्ताव है।
दिसम्बर 2018 और जनवरी 2019 में मदुरई, बीबीनगर (तेलंगाना) और हिमाचल प्रदेश को AIIMS की मंजूरी सरकार ने दी। इनमें से बिलासपुर AIIMS का बीते वर्ष पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था, AIIMS मदुरई में MBBS कक्षाएँ एक अस्थायी कैम्पस में चल रही हैं और मुख्य बिल्डिंग पर काम जारी है। बीबीनगर में MBBS और OPD सुविधाएँ मौजूद हैं।
इसके अलावा AIIMS देवघर में भी OPD, IPD और MBBS कक्षाएँ भी चालू हो चुकी हैं। चुनावी साल 2019 में 4 AIIMS (जम्मू, रेवाड़ी, अवन्तिपुराऔर राजकोट) का ऐलान किया गया। इनमें से हाल ही में पीएम मोदी ने जम्मू AIIMS का उद्घाटन किया।
उन्होंने हालिया हरियाणा दौरे में रेवाड़ी AIIMS की आधारशिला रखी और थी और 25 फरवरी को वह राजकोट AIIMS का उद्घाटन करेंगे। अवन्तिपुरा (श्रीनगर) AIIMS का काम चल रहा है और इसका निर्माण 50% पूरा हो चुका है। सितम्बर 2020 में बिहार दरभंगा में AIIMS बनाए जाने के लिए भी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई थी।
हालाँकि, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच इस सम्बन्ध में जमीन को लेकर सहमति नहीं बनी है। ऐसे में इसका काम अभी लटका हुआ है। हालिया राजनीतिक बदलावों से यह उम्मीद जगी है कि जल्द ही काम चालू होगा और यह धरातल पर उतरेगा। यहाँ की जनता भी इस बात को लेकर आशान्वित है।
नेहरु-इंदिरा-राजीव के दौर में एक AIIMS, वाजपेयी काल में 6
देश का पहला AIIMS दिल्ली में बनाया गया था। यह वर्ष 1956 में स्थापित हुआ था। इसकी स्थापना में बड़ा योगदान स्वास्थ्य मंत्री अमृत कौर का था, जिनकी इसमें निजी रूचि थी। इसके बाद देश के दूसरे हिस्सों में AIIMS या इनके जैसे ही बड़े अस्पताल बनाने के नाम पर कॉन्ग्रेस चुप बैठ गई। इस दौरान गाँधी-नेहरु परिवार से पीएम बनने वाले लोगों की सँख्या 3 हो गई लेकिन AIIMS की सँख्या 1 ही रही। हालाँकि, जब देश में सत्ता परिवर्तन हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने इस पर ध्यान दिया।
2003 के 15 अगस्त को लाल किले से देश को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा था, “मैं जानता हूँ कि पिछड़े राज्यों के लोगों को अच्छे अस्पताल की कमी के कारण क्या नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत अगले तीन वर्षों में पिछड़े राज्यों में दिल्ली के एम्स जैसी आधुनिक सुविधाओं से युक्त छह नए अस्पताल स्थापित किए जाएँगे।”
जैसा कि हम जानते हैं कि इसके बाद वाजपेयी सरकार करीब 9 महीने ही सत्ता में रही और 2004 में कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आई। उस सरकार के दौरान उन छह एम्स का कार्य आगे बढ़ा जिनकी नींव वाजपेयी सरकार में डल गई थी। यह AIIMS जोधपुर, भोपाल, भुबनेश्वर, रायपुर, ऋषिकेश और पटना में बनाए गए।
इन पर काम कॉन्ग्रेस सरकार के दौरान चलता रहा। हालाँकि कॉन्ग्रेस सरकार ने 10 साल देश की सत्ता सँभालने के दौरान मात्र एक नया AIIMS की स्थापना करने का ऐलान किया, वह भी सोनिया गाँधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में। इसका ऐलान भी फरवरी, 2024 में किया गया जब देश आम चुनावों की तरफ बढ़ रहा था।
AIIMS ही नहीं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए और भी काम
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार का ध्यान मात्र AIIMS जैसे ही संस्थानों पर है। हाल ही में सरकार द्वारा जारी किया गया श्वेतपत्र बताता है कि आजादी के 67 सालों में जितने डॉक्टर तैयार करने की क्षमता देश बना पाया, उससे अधिक मोदी सरकार ने लगभग 10 वर्षों में ही बना दी। वर्ष 2014 में देश में MBBS सीटों की सँख्या 51,438 थी। वर्तमान में देश में 1.08 लाख मेडिकल सीट हैं। यानी यह बीते 10 वर्षों में दोगुनी हो गई हैं। इस दौरान देश में मेडिकल कॉलेज की सँख्या 387 से बढ़ कर 706 हो चुकी है।
बीते 10 वर्षों में देश का स्वास्थ्य बजट भी बढ़ चुका है। वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए लगभग ₹37,000 करोड़ का आवंटन किया था। 2024-25 के अंतरिम बजट में इस क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ा कर लगभग ₹90,000 करोड़ हो चुका है। इसके अलावा आयुष्मान कार्ड और प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र जैसी योजनाएँ भी लाई गई हैं।