Friday, April 26, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'CDRI या IRIS सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बल्कि है मानव कल्याण' : ग्लासगो में PM...

‘CDRI या IRIS सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बल्कि है मानव कल्याण’ : ग्लासगो में PM मोदी ने क्लाइमेट चेंज को लेकर विश्व को चेताया

"IRIS के लॉन्च को बहुत अहम मानता हूँ। IRIS के माध्यम से सिड्स को technology, finance, जरूरी जानकारी तेजी से Mobilise करने में आसानी होगी। Small Island States में क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहन मिलने से वहाँ जीवन और आजीविका दोनों को लाभ मिलेगा।"

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हो रहे संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन COP26 को दूसरे दिन संबोधित करते हुए दुनिया को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के बारे में चेताया। पीएम मोदी ने IRIS की लॉन्चिंग को लेकर कहा, “IRIS के लॉन्च को बहुत अहम मानता हूँ। IRIS के माध्यम से सिड्स को technology, finance, जरूरी जानकारी तेजी से Mobilise करने में आसानी होगी। Small Island States में क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहन मिलने से वहाँ जीवन और आजीविका दोनों को लाभ मिलेगा।”

उन्होंने कहा, “भारत की स्पेस एजेंसी इसरो, सिड्स के लिए एक स्पेशल डेटा विंडो का निर्माण करेगी। इससे सिड्स को सैटेलाइट के माध्यम से सायक्लोन, कोरल-रीफ मॉनीटरिंग, कोस्ट-लाइन मॉनीटरिंग आदि के बारे में समय से जानकारी मिलती रहेगी। मेरे लिए CDRI या IRIS सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात नहीं है बल्कि ये मानव कल्याण के अत्यंत संवेदनशील दायित्व का हिस्सा है। ये मानव जाति के प्रति हम सभी की कलेक्टिव जिम्मेदारी है। ये एक तरह से हमारे पापों का साझा प्रायश्चित है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ”पिछले कुछ दशकों ने सिद्ध किया है कि climate change के प्रकोप से कोई भी अछूता नहीं है। चाहे वो विकसित देश हों या फिर प्राकृतिक संसाधनों से धनी देश हों सभी के लिए ये बहुत बड़ा खतरा है। इसमें भी climate change से सब से अधिक खतरा Small Island Developing States- सिड्स को है।”

इससे पहले उन्होंने सोमवार को कहा था, ”मैं इस चुनौती से निपटने के लिए आपको पंचामृत तत्वों की सौगात देना चाहता हूँ।” उन्होंने कहा, “पहला- भारत, 2030 तक अपनी जीवाश्म रहित ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुँचाएगा। दूसरा- भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतें, रीन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा। तीसरा- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक अरब टन की कमी को पूरी करेगा। चौथा- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा और पाँचवाँ- वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन से इतर माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की। प्रधानमंत्री देउबा के पदभार ग्रहण करने के बाद हुई इस पहली मुलाकात में दोनों नेताओं ने हमारे घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। जलवायु, कोविड-19 पर भी चर्चा की और महामारी से उबरने की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लिया।”

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दुनिया को याद दिलाते हुए कहा था कि भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों के किसानों के लिए क्लाइमेट बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि फसलों के पैटर्न में बदलाव आ रहा है और बेमौसम बारिश, बाढ़ और लगातार आ रहे तूफानों से किसानों की फसलें तबाह हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पेयजल के स्रोत से लेकर वहन करने योग्य मकान तक, सभी को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने इस संदर्भ मेरे तीन विचार पेश किए।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इस्लामी-वामी फिलीस्तीन समर्थकों का आतंक देख US भूला मानवाधिकारों वाला ज्ञान, भारत के समय खूब फैलाया था प्रोपगेंडा: अमेरिका का दोहरा चरित्र बेनकाब

यूएस आज हिंसक प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन यही काम जब भारत ने देश में कानून-व्यवस्था बनाने के लिए करता है तो अमेरिका मानवाधिकारों का ज्ञान देता है।

स्त्री धन पर सिर्फ पत्नी का हक, पति या सुसराल वालों का नहीं: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, शख्स से कहा- बीवी को देने पड़ेंगे...

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी साझीदार या हिस्सेदार नहीं बन सकता।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe