Saturday, April 27, 2024
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योग, सरदार पटेल, राम मंदिर और अब किसान… कॉन्ग्रेसियों के फर्जी विरोध पर फूटा PM मोदी का गुस्सा

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों को लेकर कॉन्ग्रेस को आईना दिखाया और जनता को समझाया कि कैसे वो हर उस चीज का विरोध करते हैं, जिसे जनता की भलाई के लिए लाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान राम मंदिर और योग दिवस को भी याद किया, जिसका कॉन्ग्रेस ने विरोध किया था।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरदार पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है। सरदार वल्लभभाई पटेल कॉन्ग्रेस के ही नेता थे।

कॉन्ग्रेस पार्टी अक्सर योग दिवस का मजाक बनाती रही है। जिस चीज ने दुनिया भर में भारत को नई पहचान दी, पार्टी उसका विरोध करती है। राहुल गाँधी ने सेना की ‘डॉग यूनिट’ के एक कार्यक्रम की तस्वीर शेयर कर के इसे ‘न्यू इंडिया’ बताते हुए न सिर्फ योग का बल्कि सेना का भी मजाक उड़ाया था। तभी पूर्व-सांसद और अभिनेता परेश रावल ने कहा था कि ये कुत्ते राहुल गाँधी से ज़्यादा समझदार हैं। सेना के डॉग्स के योगासन का मजाक बनाने वाले राहुल गाँधी की खूब किरकिरी हुई थी।

इसी तरह कॉन्ग्रेस ने अपनी ही पार्टी के नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ का विरोध किया, जिसके कारण न सिर्फ भारत का मान बढ़ा बल्कि केवडिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर आए। कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस स्टेचू के निर्माण को ‘चुनावी नौटंकी’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था। राहुल गाँधी ने दावा कर दिया था कि सरदार पटेल के बनाए सभी संस्थाओं को मोदी सरकार बर्बाद कर रही है।

पीएम मोदी ने मंगलवार (सितम्बर 29, 2020) को कहा कि पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कानूनों के अजीबोगरीब विरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।

कॉन्ग्रेस पार्टी कृषि कानूनों के विरोध के लिए एक ट्रैक्टर को 20 सितम्बर को अम्बाला में जला रही है तो फिर 28 सितम्बर को उसी ट्रैक्टर को दिल्ली के इंडिया गेट के पास राजपथ पर जला कर सुर्खियाँ बटोर रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरना दे रहे हैं। सोनिया गाँधी राज्यों को क़ानून बना कर केंद्र के क़ानूनों को बाईपास करने के ‘फर्जी’ निर्देश दे रही है। जबकि अधिकतर किसानों ने भ्रम और झूठ फैलाए जाने के बावजूद इन क़ानूनों का स्वागत किया है।

राम मंदिर मुद्दे की याद दिलाना भी आज के परिप्रेक्ष्य में सही है क्योंकि इसी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2009 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर कहा था कि भगवान श्रीराम का कोई अस्तित्व नहीं है। वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल तो राम मंदिर की सुनवाई टालने के लिए सारे प्रयास करते रहे। वहीं दिसंबर 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे पूछा था कि कॉन्ग्रेस बाबरी मस्जिद चाहती है या राम मंदिर?

इसी कॉन्ग्रेस ने जब राम मंदिर के शिलान्यास के बाद जनता के मूड को भाँपा तो वो राम मंदिर के खिलाफ टिप्पणी करने से बचने लगी। कोई पार्टी नेता इसके लिए राजीव गाँधी को क्रेडिट देने लगा। प्रियंका गाँधी बयान जारी कर के इसका समर्थन करने लगीं। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल रामायण कॉरिडोर बनाने लगे। कमलनाथ हनुमान चालीसा पढ़ने लगे। तभी तो आज पीएम ने कहा – ये विरोध के लिए विरोध करते हैं।

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जाँबाजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जाँबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत माँग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं। देखा जाए तो एक तरह से सारे विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध किया था।

नवम्बर 2016 में मोदी सरकार ने भारतीय सेना को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए हरी झंडी दिखा कर इतिहास को बदल दिया। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाक़े में घुस कर आतंकियों को मारा लेकिन राहुल गाँधी इसे ‘खून की दलाली’ बताते हुए कहते रहे कि सरकार ‘सैनिकों के खून’ के पीछे छिप रही है। कॉन्ग्रेस पार्टी के लोग सबूत माँगने में लगे थे। कइयों ने तो पाकिस्तान वाला सुर अलापना शुरू कर दिया था।

पीएम मोदी ने कहा कि देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है। जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे। देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। उन्होंने कहा कि आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं।

बकौल पीएम मोदी, ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए। जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं। बता दें कि किसानों को सरकार के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों को अपनी उपज बेचने के लिए मिली आज़ादी का विरोध समझ से परे है। इसके लिए सीएए विरोध जैसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।

अमित शाह बता चुके हैं कि जिस पार्टी ने अपनी सरकार रहते अनाजों की खरीद में भी अक्षमता दिखाई लेकिन मोदी सरकार ने इस मामले में रिकॉर्ड बनाया, इसके बावजूद वो किसानों को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। एमएसपी के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, उलटा उसे बढ़ाया गया है। बावजूद इसके किसानों को भाजपा के खिलाफ ऐसे ही भड़काया जा रहा है, जैसे लॉकडाउन में मजदूरों को भड़काया गया था।

पीएम मोदी ने ये भी याद दिलाया कि भारतीय वायुसेना के पास राफेल विमान आये और उसकी ताकत बढ़ी, ये उसका भी विरोध करते रहे। उन्होंने कहा कि वायुसेना कहती रही कि हमें आधुनिक लड़ाकू विमान चाहिए, लेकिन ये लोग उनकी बात को अनसुना करते रहे। हमारी सरकार ने सीधे फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमान का समझौता कर लिया तो, इन्हें फिर दिक्कत हुई। आज अम्बाला से लद्दाख तक वायुसेना का परचम लहरा रहा है।

राफेल मुद्दे पर ज्यादा कुछ याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि पूरा 2019 का लोकसभा चुनाव ही इसी पर लड़ा गया था। जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस पोषित मीडिया संस्थानों द्वारा एक के बाद एक झूठ फैलाया जा रहा था, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट और कैग से क्लीन-चिट मिलने के बावजूद राफेल को लेकर झूठ फैलाया गया। वही कॉन्ग्रेस अब राफेल का नाम नहीं लेती क्योंकि जब 5 राफेल की पहली खेप भारत आए तो जनता के उत्साह ने सब साफ़ कर दिया। 2019 का लोकसभा चुनाव हारे, सो अलग।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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