Thursday, March 28, 2024
Homeराजनीति'मनमोहन को PM पद दान में मिला, जबकि मोदी ने हासिल किया, कॉन्ग्रेस खो...

‘मनमोहन को PM पद दान में मिला, जबकि मोदी ने हासिल किया, कॉन्ग्रेस खो चुकी है अपना करिश्माई नेतृत्व’: प्रणब मुखर्जी

प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कॉन्ग्रेस ने दिशा खो दी थी और सोनिया गाँधी सही फैसले नहीं कर पा रही थी। मनमोहन सिंह का ज्यादा वक्त अपनी सरकार बचाने में गया जिसका बुरा असर सरकार के कामकाज पर पड़ा।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी का पिछले साल ब्रेन सर्जरी के बाद निधन हो गया था। हालाँकि, आखिरी समय में उन्होंने अपने संस्मरण को पूरा किया था। अब उनकी लिखी किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’ के सामने आने के बाद इसके कई पहलुओं पर हर तरफ चर्चा भी शुरू हो गई है।

पूर्व राष्ट्रपति ने यह पुस्तक पिछले साल अपने निधन से पहले लिखी थी। मंगलवार (जनवरी 5, 2021) को यह पुस्तक बाजार में आई। उनकी आत्मकथा ‘The Presidential Years’ (द प्रेसिडेंसियल ईयर्स) के अनुसार, कॉन्ग्रेस का अपना करिश्माई नेतृत्व खत्म होने की पहचान नहीं कर पाना 2014 के लोकसभा में उसकी हार के कारणों में से एक रहा।

पूर्व राष्ट्रपति ने आत्मकथा में उल्लेख किया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव की मतगणना वाले दिन उन्होंने अपने सहायक को निर्देश दिया था कि उन्हें हर आधे घंटे पर रुझानों के बारे में सूचित किया जाए। उन्होंने लिखा है, ‘‘नतीजों से इस बात की राहत मिली कि निर्णायक जनादेश आया, लेकिन किसी समय मेरी अपनी पार्टी रही कॉन्ग्रेस के प्रदर्शन से निराशा हुई।’’ 

उन्होंने पुस्तक में लिखा है, ‘‘यह यकीन कर पाना मुश्किल था कि कॉन्ग्रेस सिर्फ 44 सीट जीत सकी। कॉन्ग्रेस एक राष्ट्रीय संस्था है जो लोगों की जिदंगियों से जुड़़ी है। इसका भविष्य हर विचारवान व्यक्ति के लिए हमेशा सोचने का विषय होता है।’’ 

कॉन्ग्रेस की कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे मुखर्जी ने 2014 की हार के लिए कई कारणों का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है, ‘‘मुझे लगता है कि पार्टी अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान करने में विफल रही। पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत अपने अस्तित्व को कायम रखे और एक मजबूत एवं स्थिर राष्ट्र के तौर पर विकसित हो। दुखद है कि अब ऐसे अद्भुत नेता नहीं हैं, जिससे औसत लोगों की सरकार बन गई।’’ 

प्रणब मुखर्जी ने अपनी इस किताब में ये खुलासा भी किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी, लेकिन इससे उन्हें हैरानी नहीं हुई क्योंकि ऐसी घोषणा के लिए आकस्मिकता जरूरी है।

अपनी पुस्तक में प्रणब मुखर्जी ने लिखा, “मैंने जिन दो पीएम के साथ काम किया, उनके लिए प्रधानमंत्री बनने का मार्ग बहुत अलग था। सोनिया गाँधी द्वारा डॉ सिंह को पद की पेशकश की गई थी। दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी 2014 में ऐतिहासिक जीत के लिए भाजपा का नेतृत्व करने के बाद लोकप्रिय पसंद के माध्यम से प्रधानमंत्री बन गए।”

प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि कई नेताओं ने उनसे कहा था कि अगर 2004 में वो प्रधानमंत्री बने होते तो 2014 में इतनी करारी हार नहीं मिलती। प्रणब मुखर्जी ने आगे लिखा है कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कॉन्ग्रेस ने दिशा खो दी थी और सोनिया गाँधी सही फैसले नहीं कर पा रही थी। मनमोहन सिंह का ज्यादा वक्त अपनी सरकार बचाने में गया जिसका बुरा असर सरकार के कामकाज पर पड़ा।

इसके साथ ही उन्होंने अपनी पुस्तक में खुलासा किया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अगर चाहते तो आज नेपाल भी भारत का हिस्सा होता, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। इसमें उन्होंने लिखा है कि अगर तब जवाहरलाल नेहरू की जगह पर इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री होतीं, तो वो इस मौके को नहीं छोड़तीं और इसे लपक लेतीं। उन्होंने याद दिलाया है कि इंदिरा ने सिक्किम के मामले में भी ऐसा ही किया था।

प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’ को लेकर उनके बेटे और बेटी में टकराव देखने को मिला। पूर्व राष्ट्रपति के बेटे-बेटी पिछले महीने ही ट्विटर पर उनकी किताब के प्रकाशन को लेकर आपस में भिड़ गए। अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता की किताब को उनकी मर्जी के बिना न छापा जाए। वहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कोई सस्ती लोकप्रियता के लिए उनके पिता की किताब को छपने से न रोके। ऐसा करना पूर्व राष्ट्रपति का अपमान होगा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

गिरफ्तारी के बाद भी CM बने हुए हैं केजरीवाल, दिल्ली हाई कोर्ट का दखल देने से इनकार: कहा – कानूनी प्रावधान दिखाओ, ये कार्यपालिका...

याचिका में आशंका जताई गई थी कि केजरीवाल के CM बने रहने से कानूनी कार्यवाही में बाधा आएगी, साथ ही राज्य की संवैधानिक व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।

‘न्यायपालिका पर दबाव बना रहा एक खास गुट, सोशल मीडिया पर करता है बदनाम’: हरीश साल्वे समेत सुप्रीम कोर्ट के 600+ वकीलों की CJI...

देशभर के 600 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है। वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका पर उठते सवाल और अखंडता को कमजोर करने के प्रयासों को देखते हुए वो चिंतित हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe