कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं, उन्हें कोविड की समझ नहीं है। उन्होंने कोरोना के आँकड़ों में हेराफेरी का आरोप भी केंद्र सरकार पर ही मढ़ा। वायनाड के सांसद ने कहा कि पीएम मोदी ने दरवाजा खुला छोड़ दिया, जिसे अब तक बंद नहीं किया गया है।
राहुल गाँधी ने 1 दिन पहले भी NYT की भ्रामक खबर शेयर कर के दावा किया था कि भारत में कोरोना से सरकारी आँकड़ों के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है। शुक्रवार (मई 28, 2021) को किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने आँकड़ों की हेराफेरी की बात की। साथ ही कहा कि कोरोना की पहली लहर के समय किसी को कुछ समझ नहीं आया था, लेकिन दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं।
यहाँ राहुल गाँधी को सबसे पहली बात ये याद दिलानी ज़रूरी है कि भारत में अब तक कोरोना का डेटा केंद्र सरकार नहीं, बल्कि राज्य सरकारें जुटाती हैं। अगर वो कोरोना के आँकड़ों में हेराफेरी की बातें कर रहे हैं तो क्या वो ये कहना चाहते हैं कि भाजपा शासित राज्यों में कोरोना के आँकड़ों की हेराफेरी हुई है और कॉन्ग्रेस शासित राज्य पाक साफ़ हैं? लाशों पर राजनीति की बजाए उन्हें वास्तविकता पर ध्यान देना चाहिए।
सबसे पहली बात तो ये है कि कोरोना के कारण होने वाली मौतों के आँकड़ों में गड़बड़ी का आरोप राजस्थान सरकार पर लगा है। ‘दैनिक भास्कर’ ने अपनी ग्राउंड तहकीकात में पाया था कि 1 अप्रैल से लेकर 20 मई के बीच 25 ग्रामीण जिलों में सरकारी आँकड़ों के हिसाब से 3918 मौतें हुई हैं, जबकि वहाँ के 512 गाँव-प्रखंडों में इस अवधि में 14,482 लोगों के अंतिम संस्कार हुए। आँकड़ों की इस हेराफेरी पर क्या वो ‘जादूगर’ अशोक गहलोत को क्लीन चिट देंगे?
अब आते हैं मौत के आँकड़ों पर। महाराष्ट्र में शिवसेना-NCP-कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही है और वहाँ कोरोना से अब तक 92,225 मौतें हुई हैं। इसकी एक तिहाई मौतें भी किसी अन्य राज्य में नहीं हुई। वहाँ अब तक 56,72,180 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। इसके आधे लोग भी किसी अन्य राज्य में संक्रमित नहीं हुए। आइए, कॉन्ग्रेस और भाजपा शासित राज्यों में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर देखते हैं:
राज्य | मृत्यु दर (%) | सरकार |
महाराष्ट्र | 1.62 | कॉन्ग्रेस-NCP-शिवसेना |
पंजाब | 2.51 | कॉन्ग्रेस |
छत्तीसगढ़ | 1.33 | कॉन्ग्रेस |
झारखंड | 1.47 | कॉन्ग्रेस-झामुमो |
राजस्थान | 0.87 | कॉन्ग्रेस |
उत्तर प्रदेश | 1.18 | भाजपा |
गुजरात | 1.21 | भाजपा |
कर्नाटक | 1.08 | भाजपा |
मध्य प्रदेश | 1.01 | भाजपा |
हरियाणा | 1.05 | भाजपा |
अगर आप ऊपर के आँकड़े देखेंगे तो पाएँगे कि 5 में से 4 कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले मृत्यु दर ज्यादा है। पंजाब में तो मृत्यु दर 2.51% है, देश में सर्वाधिक। इन 5 बड़े भाजपा शासित राज्यों की मृत्यु दर उसकी आधी से भी कम है। बाकियों के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में राजस्थान की मृत्यु दर काफी कम है, लेकिन उसकी असलियत हम ऊपर देख चुके हैं। अब सवाल ये उठता है कि झूठ कौन बोल रहा है?
अब राहुल गाँधी सरकारों के आधार पर ये तय करेंगे कि फलाँ राज्य में फलाँ पार्टी का शासन है तो वो वहाँ के आँकड़े सच्चाई की प्रतिमूर्ति है, जबकि अगर किसी राज्य में भाजपा की सत्ता है तो उसकी हर एक बात झूठ है? राहुल गाँधी पंजाब और महाराष्ट्र में अपनी सरकारों से क्यों नहीं पूछते कि वहाँ कोरोना से ज्यादा मौतें क्यों हो रही हैं? केंद्र सरकार को कोसने की बजाए जहाँ उनकी सरकार है, अपनी ‘महत्वपूर्ण’ राय वहाँ दें, क्योंकि स्थिति खराब है।
इसे यूँ भी समझिए। अगर कॉन्ग्रेस शासित राज्य ही केवल सच बोल रहे होते तो भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले उनके आँकड़ों में बड़ा अंतर होता, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर ये राज्य झूठ बोल रहे हैं तो राहुल गाँधी को केंद्र की बजाए इनकी क्लास लेनी चाहिए और पूछना चाहिए कि वो गलत आँकड़े देकर केंद्र को बरगला क्यों रहे हैं? अगर भाजपा शासित राज्य झूठे होते तो अन्य राज्यों के मुकाबले उनके आँकड़ों में बड़ा अंतर होता, जबकि ऐसा नहीं है।
राहुल गाँधी कह रहे हैं कि कोरोना के कारण होने वाली मौतों के आँकड़ों में ‘बड़ा अंतर’ है। अधिकतर भाजपा और कॉन्ग्रेस शासित राज्यों में मृत्यु दर (ऊपर के 10 में 8 राज्यों में) 1-2% के बीच में ही घूम रही है, ऐसी में ये बड़ा अंतर कहाँ से आ गया? अगर झूठे हैं तब तो भारत के सारे राज्यों की सरकारें झूठी हुईं? और हाँ, अगर कॉन्ग्रेस सरकारें सच बोल रही हैं तो मृत्यु दर में जमीन-आसमान का अंतर होना चाहिए था अलग-अलग राज्यों में।
हमने ऊपर तालिका में देखा कि ऐसा कुछ भी नहीं है। केंद्र सरकार अगर मौतों के आँकड़े जुटाती तो भला उसका दोष हो सकता था, लेकिन राज्य सरकारों के कार्य को लेकर केंद्र को दोष देना कहाँ तक उचित है? विदेशी मीडिया NYT सत्यवादी हो गया और राजस्थान की ग्राउंड रिपोर्ट झूठी हो गई? राहुल गाँधी अपनी सरकारों के आँकड़ों और भाजपा सरकारों के आँकड़े का मिलान करें, उन्हें पता चलेगा कि उनके सारे आरोपों की जड़ ही टूटी हुई है।