Friday, April 26, 2024
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अध्यक्ष बनने के लिए राहुल गाँधी का हो रास्ता साफ… इसलिए कॉन्ग्रेस कार्य समिति की बैठक में रचा गया ड्रामा

“मैं पीएम मोदी से नहीं डरता। वह मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते। मैं उनकी आलोचना करना जारी रखूँगा। अगर यहाँ के लोगों को इससे कोई समस्या है, तो CWC मुझे चुप रहने के लिए कहे।" इसके बाद राहुल गाँधी ने अपने वरिष्ठ नेताओं की तरफ भी इशारा करते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी से 'पुराने' डर गए था, जबकि नया 'निर्भीक' है और...

कॉन्ग्रेस पार्टी ने मंगलवार 23 जून, 2020 को कॉन्ग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक आयोजित की थी। यहाँ राहुल गाँधी को दोबारा से कॉन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने को लेकर पार्टी के नेताओं को राहुल के गुस्से का सामना करना पड़ा – ऐसी रिपोर्ट आई थी। अब यह बताया जा रहा है कि यह पूरा ड्रामा संभवतः राहुल गाँधी और प्रियंका द्वारा स्क्रिप्ट किया गया होगा।

मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान, राहुल गाँधी से जब भारत-चीन गतिरोध को लेकर उनके द्वारा अपनाई गई रणनीति के बारे में सवाल पूछा गया तो वे भड़क गए थे। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गाँधी ने तब उत्तेजना दिखाई, जब आरपीएन सिंह ने राहुल को सुझाव दिया कि गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के बारे में बात करते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री पर हमला नहीं करना चाहिए।

इस पर राहुल गाँधी ने आरपीएन सिंह से कहा, “मैं पीएम मोदी से नहीं डरता। वह मेरे साथ कुछ नहीं कर सकते। मैं उनकी आलोचना करना जारी रखूँगा। अगर यहाँ के लोगों को इससे कोई समस्या है, तो सीडब्ल्यूसी मुझे चुप रहने के लिए कहे।” दरअसल, ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गाँधी ने पीएम मोदी की आलोचना के साथ अपने वरिष्ठ नेताओं की तरफ भी इशारा करते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी से ‘पुराना गार्ड’ डर गया था, जबकि नया गार्ड ”निर्भीक नेता” (जो वह खुद को बता रहे थे) है, जो पीएम मोदी की राजनैतिक क्षमता को भाँप सकता है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट अनुसार, “राहुल गाँधी ने पहले से ही AICC की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को अपने समर्थन में तैयार किया था, जिन्होंने कहा कि ‘राहुल जी और कुछ लोगों को छोड़कर’ कॉन्ग्रेस के बाकी नेता पीएम मोदी और अमित शाह की प्रत्यक्ष रूप से आलोचना करने से बचते हैं।

यह नाटक यहीं नहीं रुका। राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा, प्रधानमंत्री मोदी को गाली देने के लिए खुद की पीठ खुद से ही थपथपाई। सीडब्ल्यूसी की बैठक में अशोक गहलोत, हरीश रावत और युवा विंग के प्रमुख बीएस श्रीनिवास को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गाँधी की वापसी की माँग करते हुए भी देखा गया।

अब यह बताया जा रहा है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान का पूरा एपिसोड राहुल गाँधी-प्रियंका गाँधी वाड्रा की जोड़ी द्वारा एक स्क्रिप्टेड ड्रामा हो सकता है।

इकोनॉमिक टाइम्स की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, कॉन्ग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान हंगामा राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा द्वारा किए जाने की संभावना है। यह कोई रहस्य नहीं है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में राहुल की टीम और सोनिया की टीम अलग अलग बँटी हुई है। ऐसे कई नेता हैं, जो महसूस करते हैं कि केवल सोनिया गाँधी ही कॉन्ग्रेस का नेतृत्व कर सकती हैं, जबकि कुछ अन्य हैं जो मानते हैं कि पार्टी को राहुल गाँधी जैसे नेता की आवश्यकता है।

सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान, ईटी रिपोर्ट बताती है कि इस ड्रामे की स्क्रिप्ट पर संदेह इसलिए व्यक्त किया जा रहा है, क्योंकि जिन लोगों को सवाल पूछने की अनुमति दी गई थी, वे टीम-राहुल से सावधानीपूर्वक तय किए गए थे। कथित तौर पर, महासचिव केसी वेणुगोपालन ने इस बैठक का समन्वय किया था और फैसला किया था कि सभी को विशेष रूप से राहुल गाँधी से सवाल पूछने की अनुमति दी जानी चाहिए।

इसके अलावा, राजीव सातव, सुष्मिता देव और युवा विंग के प्रमुख बी श्रीनिवास ने सबसे पहले राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके कठोर और अपमानजनक हमलों को लेकर प्रशंसा की थी। और यह भी कहा कि कैसे बाकि के नेता ऐसा करने से इनकार करते हैं।

ईटी ने कॉन्ग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा, “मैंने स्पष्ट रूप से सोनिया जी को सुष्मिता को संकेत देते हुए देखा था। मैंने यह भी स्पष्ट रूप से देखा कि कैसे रणदीप सिंह सुरजेवाला ड्रामा करते हुए सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव को पढ़ने का नाटक कर रहा था। यह नाटक बहुत ही स्पष्ट था।”

रिपोर्ट के अनुसार देखा जाए तो यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने पूरे नाटक की स्क्रिप्ट लिखी होगी। अगर शुरुआत से देखा जाए कि जिन लोगों को सवाल पूछने की अनुमति दी गई थी, उन्हें चुना गया था। ऐसा लग रहा था मानों कॉन्ग्रेस पार्टी में हर कोई जानता है कि आरपीएन सिंह राहुल की आलोचना करेंगे। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कॉन्ग्रेस के नेता आरपीएन सिंह, एनडीटीवी के पत्रकार सोनिया सिंह के पति भी हैं।

इसके अलावा, इस ड्रामे से पहले ही राहुल के करीबी विश्वासपात्रों ने उनकी प्रशंसा की थी, जो इस तरफ इशारा करता है कि राहुल का साहसी नेता होने का नैरेटिव बैठक का प्रमुख मुद्दा था।

सीडब्लूसी बैठक में हुआ ड्रामा राहुल प्रियंका द्वारा स्क्रिप्टेड

भारत-चीन गतिरोध के दौरान कॉन्ग्रेस अपने रुख के लिए भारी आलोचना में आई है। पीएम मोदी को नीचा दिखाने की कोशिश के दौरान राहुल गाँधी ने तथ्यों के बारे में गलत जानकारी देते हुए झूठ बोला और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया। कई लोगों का मानना ​​है कि कॉन्ग्रेस ने राजनीतिक विरोध और सत्ता हथियाने की कोशिशों में राष्ट्र के हित में काम करना भूल गई है।

राहुल गाँधी द्वारा लिखी गई यह पूरी कहानी न केवल दूसरों को, बल्कि उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों को भी समझाने की कोशिश हो सकती है कि उनकी द्वारा अपनाई गई रणनीति प्रभावी है। जिसके चलते पार्टी के युवाओं द्वारा उनकी सराहना भी की जा रही है।

इसके अलावा, स्क्रिप्टेड ड्रामा का उद्देश्य पार्टी के भीतर होने वाले झगड़े को बढ़ाना भी हो सकता है ताकि राहुल गाँधी को कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष के रूप में फिर से स्थापित किया जा सके। बता दें कि 2019 में भी, राहुल गाँधी ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि पार्टी के भीतर, वरिष्ठ नेता सीधे प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की आलोचना करने से कतराते हैं। ऐसे में ये सारा ड्रामा एक बहाना भी हो सकता है कि खुद को पार्टी अध्यक्ष के पद पर दोबारा स्थापित करने का। ताकि वो सबसे यह बोल सकें कि उनकी अपनी कोई इच्छा नहीं थी। उनके पार्टी के सदस्य उन्हें वापस चाहते थे।

सलमान खुर्शीद ने फरवरी 2020 में, बिना किसी के नेतृत्व के जूझ रही कॉन्ग्रेस पार्टी को लेकर यह कहा था कि पार्टी अभी ट्रेडिशनल प्रोसेस में है। और सोनिया गाँधी के नेतृत्व में किसी को कोई परेशानी नहीं थी। दिलचस्प बात यह है कि जब पूछा गया कि क्या राहुल गाँधी की कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में वापसी पार्टी के बहुमत का विकल्प है, तो खुर्शीद ने सकारात्मक जवाब में कहा कि “पार्टी के एक बड़े वर्ग के बीच हमेशा से यह भावना रही है”।

इन सभी बातों से लगता है कि कॉन्ग्रेस पूरी कोशिश कर रही है कि राहुल गाँधी को अध्यक्ष के रूप में वापस आने के लिए एक सुरक्षित बहाना मिल जाए। क्यूँकि पहले उन्होंने पद छोड़ते हुए घोषणा की थी कि वह पार्टी अध्यक्ष के रूप में कभी वापस नहीं आएँगे। इसलिए राहुल गाँधी की बयानबाजी और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने की राजनीतिक रणनीति को सही ठहराने के उद्देश्य से स्क्रिप्टेड ड्रामा रचा गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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