अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान की कॉन्ग्रेसी सरकार विधायकों के लिए लग्जरी हॉस्टल बनवा रही है। इसके लिए 266 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इससे एक दिन पहले गहलोत सरकार द्वारा कुछ परियोजनाओं के शिलान्यास की खबर आई थी। ये सब तब हो रहा है जब कोरोना संक्रमण का हवाला दे कॉन्ग्रेस सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी तो इसे ‘क्रिमिनल वेस्टेज’ भी बता चुके हैं।
After maligning the pride of our nation, symbol of India’s thriving democracy, the #CentralVistaProject for being an unnecessary expense, the #Rajasthan govt is splurging on an ultra-luxury MLA hostel in Jaipur to be built at the cost of hundreds of crores. No questions asked!! pic.twitter.com/7YXn8B96lH
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) June 4, 2021
इससे पहले राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने जोधपुर में 125 करोड़ रुपए की पुनर्निर्माण परियोजनाओं को मँजूरी दी थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बकायदा विज्ञापन देकर इन परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। अब खबर आ रही है कि जयपुर के ज्योतिनगर में विधायकों के लिए हॉस्टल निर्माण के लिए 266 करोड़ रुपए की राशि मँजूर की गई है।
राजस्थान विधानसभा के नजदीक ही बनने वाले इस हॉस्टल में 160 फ्लैट होंगे। यह निर्माण लगभग 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में किया जाना है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में विधायक अलग-अलग स्थानों पर ठहरते हैं। इससे उनकी सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यही कारण है कि उनके लिए नया हॉस्टल बनाया जा रहा। लेकिन महामारी के हालात में लग्जरी हॉस्टल को प्राथमिकता देना समझ से परे है।
इसी तरह कॉन्ग्रेस गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार मुंबई के नरीमन प्वाइंट में 900 करोड़ रुपए से एमएलए हॉस्टल बनवा रही है। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत 400 करोड़ रुपए थी जो अब बढ़कर 900 करोड़ रुपए हो गई है। साथ ही शुरुआत में ‘नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन’ को इसका जिम्मा दिया गया था, लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार ने अब इसे PWD को सौंप दिया है।
Central Vista is criminal wastage.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 7, 2021
Put people’s lives at the centre- not your blind arrogance to get a new house!
आपको बता दें कि राजस्थान और महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस की सरकारों द्वारा शुरू किए गए इन प्रोजेक्ट्स के इतर सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट समय की ज़रूरत है। इसके लिए आज नहीं बल्कि 90 के दशक में ही सिफारिश की गई थी। भारत सरकार के अधिकतर सरकारी निवास और दफ्तर उसी क्षेत्र में हैं, जहाँ की इमारतें ब्रिटिश राज की ही हैं। सरकार का कामकाज बढ़ने के साथ ही अधिकारियों-नेताओं की संख्या भी बढ़ी है और 90 के दशक में कराए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि सेन्ट्रल विस्टा देश की ज़रूरतों के साथ समन्वय बनाने में नाकाम रहा है और इसके पुनर्विकास की ज़रूरत है।