केंद्र सरकार की प्रत्येक योजनाओं के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी करने वाले राहुल गाँधी ने अब सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को निशाना बनाया है। वो प्रोजेक्ट, जिसे लेकर कोरोना के शुरू होने के कई वर्ष पहले से ही बात चल रही थी और जिसे अचानक से हरी झंडी नहीं दिखाई गई। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सेन्ट्रल विस्टा को रुपयों की ‘आपराधिक बर्बादी’ करार दिया है। उन्होंने ऐसा दिखाने का प्रयास किया जैसे ये प्रोजेक्ट पीएम मोदी का कोई निजी प्रोजेक्ट हो।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “लोगों की जान बचाने को केंद्र में रखा जाना चाहिए, नए घर के लिए अपने इस अंधे दंभ को नहीं।” पहले सवाल तो यही उठता है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने या अपने परिवार के लिए कोई ‘घर’ बनवा रहे हैं? दिल्ली की तस्वीर बदलने वाली सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जब तैयार होगी तब ये राष्ट्र की संपत्ति ही होगी, किसी खास व्यक्ति या पार्टी की नहीं। नए संसद भवन में कॉन्ग्रेस के भी सांसद बैठेंगे।
Central Vista is criminal wastage.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 7, 2021
Put people’s lives at the centre- not your blind arrogance to get a new house!
यहाँ राहुल गाँधी का दोहरा रवैया दखिए। अगर उनकी सरकार किसी राज्य में सैकड़ों करोड़ खर्च कर रही है तो वो इस पर बात नहीं करते, लेकिन जब केंद्र सरकार देश के लिए कुछ बनवा रही है तो वो ऐसा दिखा रहे हैं जैसे स्वास्थ्य बजट में से रुपए निकाल कर ही वो सब किया जा रहा हो। क्या आपको पता है कि महाराष्ट्र के नरीमन प्वाइंट में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) 900 करोड़ रुपयों की लागत से विधायकों के लिए हॉस्टल बनवा रही है?
अगर राहुल गाँधी को इसी सोच के हिसाब से काम करनी है तो सबसे पहले तो उन्हें जहाँ अपनी सरकार है, वहाँ से शुरू करनी चाहिए। वो महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी पार्टी शिवसेना को क्यों नहीं कहते कि वह विधायकों के भोग-विलास की बजाए जनता की जान बचाने की फ़िक्र करे, क्योंकि कोरोना के सबसे ज्यादा मामले तो महाराष्ट्र में ही हैं और दूसरे राज्यों से कई गुना ज्यादा लोगों की मौत यहाँ हुई है।
पहले तो इस MLA हॉस्टल को ‘नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन’ बनाने वाला था, लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार ने इसकी समीक्षा कर इसका जिम्मा राज्य के PWD विभाग को सौंप दिया। एक केंद्रीय संस्था से इसका जिम्मा लेकर राज्य सरकार ने खुद के विभाग पर भरोसा जताया। इसमें पहले 400 करोड़ रुपए का खर्च आना था, लेकिन अब 900 करोड़ रुपए की लागत से इस आलीशान MLA हॉस्टल का निर्माण कराया जा रहा है।
सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट तो समय की ज़रूरत है। इसके लिए आज नहीं बल्कि 90 के दशक में ही सिफारिश की गई थी। भारत सरकार के अधिकतर सरकारी निवास और दफ्तर उसी क्षेत्र में हैं, जहाँ की इमारतें ब्रिटिश राज की ही हैं। सरकार का कामकाज बढ़ने के साथ ही अधिकारियों-नेताओं की संख्या भी बढ़ी है और 90 के दशक में कराए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि सेन्ट्रल विस्टा देश की ज़रूरतों के साथ समन्वय बनाने में नाकाम रहा है और इसके पुनर्विकास की ज़रूरत है।
What is the Maharashtra government building that costs 900 crores for a 47 storey 520,000 sqft building (75,000 sqft plot, FSI 6.85)? ₹17,300 per square feet???? Even ultra luxury never goes beyond ₹5000 per sqft or 250 crores. pic.twitter.com/zGwAuijiD6
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) May 6, 2021
उस समय नरेंद्र मोदी प्रधामंत्री तो क्या, गुजरात के मुख्यमंत्री भी नहीं बने थे। कोरोना काल में इससे मजदूरों को रोजगार भी मिला है और मेडिकल दिशा-निर्देशों का प्लान कराते हुए कार्य किया जा रहा है। इससे जनता को फायदा होगा क्योंकि लोगों के आवागमन और पर्यटकों के लिए सुगमता होगी। ज्यादा पेड़ भी लगाए जाने हैं, जिससे इस क्षेत्र के ‘ग्रीन कवर’ में वृद्धि होगी। लेकिन, राहुल गाँधी ऐसा भ्रम फैलाना चाहते हैं जैसे ये भाजपा का दफ्तर बन रहा हो।
महाराष्ट्र में विधायकों को 1 लाख रुपए प्रति महीने या फिर सरकारी कमरे के साथ-साथ 50 हजार रुपए प्रति महीने का खर्च राज्य सरकार देती है, अगर उन्हें उचित फ्लैट न मिला हो तो। नए ‘मनोरमा एमएलए हॉस्टल’ में सारी आधुनिक सुविधाएँ होंगी और इसे बनाने का औसत खर्च 17,500 रुपए प्रति स्क्वायर फ़ीट होगा। अभिजीत अय्यर मित्रा ने इस पर निशाना साधते हुए कहा कि अल्ट्रा लक्जरी होटल भी 5000 रुपए प्रति स्क्वायर फ़ीट में बन जाते हैं।
बता दें कि दिसंबर 10, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन का भूमि पूजन किया था, जिसे लगभग 971 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच की जगह का पुनर्विकास शामिल है। इसका भूमि पूजन हो चुका है।
एक तरह से आप देखिए तो जितना धन पूरे सेन्ट्रल विस्टा पुनर्विकास प्रोजेक्ट में लग रहा है, उतने में महाराष्ट्र में विधायकों के लिए आलीशान भोग-विलास वाला निवास बनकर खड़ा होगा। फिर किस मुँह से राहुल गाँधी महाराष्ट्र की अपनी सरकार की आलोचना न कर केंद्र सरकार को घेर रहे हैं? एक पूरे क्षेत्र का विकास करना अगर ‘गुनाह’ है तो फिर उतने ही सरकारी पैसे से नेताओं का आवास बनवाना उचित है क्या?