Friday, November 15, 2024
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क्या इस बार राजस्थान में बदलेगा स्याही का रंग? राज्यसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की तीसरी सीट पर ‘खतरा’, विधायकों को उदयपुर के होटल में कर रही ‘कैद’

कुछ इसी तरह की परिस्थितियों में चंद्रा ने 2016 में हरियाणा से राज्यसभा का चुनाव जीता था। तब भी वे निर्दलीय लड़े थे। उन्हें बीजेपी का समर्थन था, लेकिन जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं थे। फिर भी वे जीते क्योंकि कॉन्ग्रेस के 14 वोट रद्द हो गए थे।

कुछ दिनों पहले तक राजस्थान में 10 जून 2022 को होने वाले राज्यसभा चुनाव का गणित साफ-साफ दिख रहा था। लेकिन बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय मैदान में उतरे सुभाष चंद्रा ने इस गणित को उलझा दिया है। आशंका जताई जा रही है कि वे राज्यसभा के लिए कॉन्ग्रेस के तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। क्रॉस वोटिंग की आशंका से डरी कॉन्ग्रेस ने अब उदयपुर के होटल में विधायकों को रखने का फैसला किया है।

इस बीच बसपा (BSP) की राजस्थान इकाई ने माँग की है कि उसके टिकट पर चुनाव जीतने के बाद कॉन्ग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को इन चुनाव में मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाए। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत मामला चल रहा है। ऐसे में इन छह विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोट देने से रोका जाना चाहिए क्योंकि बसपा ने फैसला किया है कि वह राज्यसभा चुनाव में किसी भी पार्टी या निर्दलीय का समर्थन नहीं करेगी।

राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए अब कुल 5 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें कॉन्ग्रेस के तीन, बीजेपी का एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार है। मतदान 10 जून को होगा। कॉन्ग्रेस पार्टी के सूत्रों ने बुधवार (1 जून 2022) को बताया कि सभी विधायकों को उदयपुर पहुँचने के लिए कहा गया है। कुछ विधायक आज ही उदयपुर के लिए रवाना हो रहे हैं, जबकि कुछ गुरूवार (2 जून 2022) को जाएँगे। कॉन्ग्रेस सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय और अन्य विधायक भी उदयपुर जा रहे हैं। ये विधायक उदयपुर के उसी होटल में रुकेंगे जहाँ पिछले महीने कॉन्ग्रेस का नव संकल्प चिंतन शिविर हुआ था।

कॉन्ग्रेस ने 2020 में भी इसी तरह दो मौकों पर होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी की थी। एक बार ऐसे राज्यसभा चुनाव से पहले किया गया और दूसरी बार सचिन पायलट और उनके करीबी 18 विधायकों की बगावत से उत्पन्न राजनीतिक संकट के दौरान। अब मीडिया दिग्गज सुभाष चंद्रा के नामांकन के बाद फिर से विधायकों की उसी तरह निगरानी की जा रही।सुभाष चंद्रा वर्तमान में हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल एक अगस्त को समाप्त होने जा रहा है। इस चुनाव में बीजेपी उनका समर्थन कर रही है। 

उल्लेखनीय है कि कुछ इसी तरह की परिस्थितियों में चंद्रा ने 2016 में हरियाणा से राज्यसभा का चुनाव जीता था। तब भी वे निर्दलीय लड़े थे। उन्हें बीजेपी का समर्थन था, लेकिन जीत के लिए पर्याप्त वोट नहीं थे। फिर भी वे जीते क्योंकि कॉन्ग्रेस के 14 वोट रद्द हो गए थे। इसका कारण यह था कि इन विधायकों बैंगनी की जगह नीली स्याही वाली पेन से वोट डाले थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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