Friday, March 29, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्दे'मैं हारी हुई बाजी जीतना जानता हूँ': हरियाणा के बाद क्या राजस्थान से कॉन्ग्रेस...

‘मैं हारी हुई बाजी जीतना जानता हूँ’: हरियाणा के बाद क्या राजस्थान से कॉन्ग्रेस का राज्यसभा गणित बिगाड़ेंगे ZEE वाले सुभाष चंद्रा

राजस्थान में ओमप्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, राम कुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यसभा की चार सीटें खाली होने वाली हैं और इन पर 10 जून को मतदान होना है। ये चारों सीटें भाजपा के पास थीं और इनका कार्यकाल 4 जुलाई तक है। 

ZEE समूह के मालिक मीडिया टाइकून सुभाष चंद्रा (Media Tycoon Subhash Chandra) इस बार हरियाणा (Haryana) के बजाय राजस्थान (Rajasthan) से राज्यसभा के लिए चुनावी मैदान में हैं। प्रदेश में राज्यसभा की चार सीटों पर होने वाले चुनाव में सुभाष चंद्रा की इंट्री ने कॉन्ग्रेस का पूरा ‘गणित’ बिगाड़ कर रख दिया है। कॉन्ग्रेस (Congress) के वर्तमान हालत साल 2016 में हरियाणा में हुए राज्यसभा चुनावों की याद दिला रही है।

साल 2016 में हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में सुभाष चंद्रा मैदान में थे और भाजपा (BJP) ने उन्हें बाहर से समर्थन किया था। दूसरी ओर, कॉन्ग्रेस और INLD ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आरके आनंद को अपना उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में कॉन्ग्रेस के 14 विधायकों के वोट डालने के लिए गलत पेन का इस्तेमाल कर लिया था, जिसके कारण उनका वोट रद्द हो गया था। इस तरह संख्या बल नहीं होने के बावजूद सुभाष चंद्रा चुनाव जीत गए थे। चुनाव जीतने के बाद सुभाष चंद्रा ने कहा कि था, “मैं हारी बाजी जीतना जानता हूँ।”

इस कहानी को याद दिलाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि राजस्थान का वर्तमान चुनावी समीकरण ने कॉन्ग्रेस के लिए परेशानी खड़ा कर दिया है। कॉन्ग्रेस ने तीन सीटों के लिए अपने उम्मीदवार रणदीप सिंह सूरजेवाला (Randeep Singh Surjewala), मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik) और प्रमोद तिवारी (Pramod Tiwari) को मैदान में उतारा है। भाजपा की तरफ से घनश्याम तिवाड़ी (Ghanshyam Tiwari) मैदान में हैं। वहीं, सुभाष चंद्रा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है, लेकिन भाजपा ने उन्हें बाहर से समर्थन देने की घोषणा की है।

राज्यसभा की एक सीट को जीतने के लिए 41 विधायकों के मतों की जरूरत है। राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में कॉन्ग्रेस के पास 108, भाजपा के पास 71, हनुमान बेनीवाल की पार्टी RLP के 3, BTP के 2, माकपा के 2 और RLD के एक विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों की संख्या 13 है। यही निर्दलीय विधायक कॉन्ग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं।

सिर्फ निर्दलीय ही नहीं, बल्कि कॉन्ग्रेस के अंदर से भी बाहरी लोगों के खिलाफ आवाज उठने लगी है। कॉन्ग्रेस ने जिन तीन लोगों को मैदान में उतारा है, इनमें से कोई भी राजस्थान से नहीं है। वहीं, पिछले हालातों को देखें तो कॉन्ग्रेस के विधायक भी पार्टी से खफा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की सरकार में नौकरशाही के हावी के आरोप में कई विधायकों ने इस्तीफा सौंपा था और मंत्री अशोक चाँदना (Ashok Chandna) ने भी इस्तीफे की पेशकश की थी। कुछ विधायकों एवं मंत्रियों ने इस मामले में राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) को पत्र लिखकर भी शिकायत की थी।

बाहरी लोगों के विरोध में कॉन्ग्रेस विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र भी लिखा है। पत्र में भरत सिंह ने कहा कि बाहरी उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद ‘लाट साहब’ बन जाते हैं और विधायकों से मिलते तक नहीं हैं। निर्दलीय विधायक एवं सीएम गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने भी बाहरी उम्मीदवारों का विरोध किया है।

वर्तमान विधायकों की स्थिति के अनुसार, कॉन्ग्रेस को दो सीटों के लिए और भाजपा को एक सीट के लिए बहुमत है, इन पर उनकी जीत पक्की मानी जा रही है। वहीं, असली लड़ाई तीसरी सीट के लिए है। अगर तीसरी सीट के लिए कॉन्ग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी होते हैं तो उनका जीतना मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस ने इसके लिए तैयारी अपनी तरफ से शुरू कर दी है। कॉन्ग्रेस ने प्रशिक्षण के नाम पर विधायकों को जयपुर के एक होटल में बंद कर रखा है। वहीं, सीएम गहलोत हाल ही में विधानसभा से इस्तीफा देने वाले कॉन्ग्रेस विधायक एवं यूथ कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश घोघरा को मानने मनाने में लगे हैं।

कॉन्ग्रेस का कहना है कि 11 निर्दलीय, 2 माकपा और 2 बीटीपी और 1 आरएलडी विधायकों को समर्थन मिलेगा। राजस्थान में मंत्री महेश जोशी का दावा है कि कॉन्ग्रेस को 126 विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं भाजपा ने वर्तमान हालात को अपने पक्ष में बताया है। भाजपा को दूसरी सीट के लिए 30 अतिरिक्त मत है। ऐसे में सुभाष चंद्रा को जिताने के लिए सिर्फ 11 वोटों की जरूरत है। माना जा रहा है कि RLP के तीन विधायक सुभाष चंद्रा को वोट देंगे। इस तरह सुभाष चंद्रा के 8 वोटों की जरूरत पड़ेगी।

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने कहा कि कॉन्ग्रेस के कई विधायक उनसे संपर्क में हैं। भाजपा ने कहा कि निर्दलीय विधायकों का समर्थन उसे मिलेगा। ऐसे में सुभाष चंद्रा की जीत भी तय माना जा रहा है, क्योंकि अपनी पार्टी से नाराज कॉन्ग्रेस विधायकों में क्रॉस वोटिंग की संभावना अधिक है। वहीं, सीएम गहलोत को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों में से भी कुछ चंद्रा को वोट दे सकते हैं। इस तरह भाजपा ने कॉन्ग्रेस के पूरे समीकरण को बिगाड़ दिया है।

बता दें कि राजस्थान में ओमप्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, राम कुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल खत्म होने के बाद राज्यसभा की चार सीटें खाली होने वाली हैं और इन पर 10 जून को मतदान होना है। ये चारों सीटें भाजपा के पास थीं और इनका कार्यकाल 4 जुलाई तक है। 

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

सुधीर गहलोत
सुधीर गहलोत
इतिहास प्रेमी

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘AI कोई मैजिक टूल नहीं, डीपफेक से लग सकती है देश में आग’: बिल गेट्स से बोले PM मोदी, गिफ्ट किए तमिलनाडु के मोती...

पीएम मोदी ने कहा, "अगर हम AI को अपने आलसीपन को बचाने के लिए करते हैं तो यह इसके साथ अन्याय होगा। हमें AI के साथ मुकाबला करना होगा। हमें उससे आगे जाना होगा "

‘गोरखनाख बाबा का आशीर्वाद’: जिन पर मुख्तार अंसारी ने चलवाई थी 400 राउंड गोलियाँ-मरने के बाद कटवा ली थी शिखा… उनके घर माफिया की...

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके द्वारा सताए गए लोग अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। भाजपा के पूर्व विधायक कृष्णानंदके परिवार ने तो आतिशबाजी भी की।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe