महाराष्ट्र की सियासत में फिर बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। दरअसल, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के साथ ‘सीक्रेट मीटिंग’ की है। यह मीटिंग पुणे के बिजनेसमैन अतुल चोरड़िया के बंगले पर हुई। माना जा रहा है कि चाचा-भतीजे की यह मुलाकात दो फाड़ हो चुकी एनसीपी को एक करने के लिए हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शरद पवार और अजित पवार शनिवार (12 अगस्त, 2023) को पुणे पहुँचे। यहाँ दोनों ने कोरेगाँव पार्क क्षेत्र के लेन 3 में स्थित अतुल चोरड़िया के बंगले पर मुलाकात की। अजित और शरद पवार के बीच 1 घण्टे से अधिक समय तक मीटिंग चली। इस दौरान शरद पवार के साथ जयंत पाटिल भी मौजूद थे। कहा जा रहा है कि यह मीटिंग पहले एक होटल में होनी थी। हालाँकि फिर बिजनेसमैन के घर में हुई।
मीटिंग के बाद शरद पवार बंगले से बाहर निकल आए। वहीं, इसके करीब एक घण्टे बाद अजित पवार भी यहाँ से चले गए। इस मुलाकात को लेकर एनसीपी के दोनों धड़ों की ओर से कोई भी बयान सामने नहीं आया है। हालाँकि राजनीति हलकों में यह ‘सीक्रेट मीटिंग’ एनसीपी को एक करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। बता दें कि इससे पहले भी अजित पवार और शरद पवार के बीच मुलाकात हो चुकी है। 1 अगस्त को पुणे में ही आयोजित एक कार्यक्रम में दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंच साझा किया था। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वहीं, इससे पहले 18 जुलाई को एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल के साथ अजित पवार ने शरद पवार से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में अजित और प्रफुल्ल ने शरद पवार से एनसीपी को एकजुट करने का आग्रह किया था। वहीं 14 जुलाई को अजित पवार अपनी चाची और शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार से मिलने उनके घर पहुँचे थे। इसके अलावा, अजित पवार गुट के कई अन्य नेता भी शरद पवार से मुलाकात कर एनसीपी को एक रखने की बात कर चुके हैं।
बता दें कि 2 जुलाई को अजित पवार ने एनसीपी के महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस दौरान उनके साथ एनसीपी के 8 विधायकों को भी मंत्री बनाया गया था। वहीं बाद में अजित पवार को वित्त मंत्रालय भी दिया गया था। अजित पवार के एनडीए में शामिल होने के बाद से NCP दो फाड़ हो चुकी है। यही नहीं, एनसीपी को लेकर चाचा-भतीजे (शरद-अजित) के बीच चल रही लड़ाई चुनाव आयोग भी पहुँच चुकी है। दोनों गुटों ने अपने विधायकों के समर्थन के साथ पार्टी के चिन्ह ‘घड़ी’ और नाम ‘राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी’ पर अपना-अपना दावा ठोंक रखा है।