Thursday, March 28, 2024
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‘बाद में आऊँगा’: भीमा-कोरेगाँव जाँच समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे ‘पवार साहेब’, 2020 में भी समन के बावजूद नहीं गए थे

2020 में भी जाँच समिति ने उन्हें समन भेजा था, लेकिन तब करना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए लगे लॉकडाउन को कारण बताते हुए वो पेश नहीं हुए थे।

NCP सुप्रीमो शरद पवार भीमा-कोरेगाँव हिंसा की जाँच कर रही समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे। उन्हें 23-24 फरवरी, 2022 को जाँच समिति ने पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने अब सन्देश भिजवाया है कि वो नहीं आ सकेंगे। महाराष्ट्र में अल्पसंख्यांक विकास मंत्रालय एवं औकाफ, कौशल विकास और उद्योजकता मंत्रालय संभाल रहे NCP के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने वीडियो के माध्यम से बयान जारी कर के कहा कि शरद पवार भविष्य में भीमा-कोरेगाँव जाँच समिति के समक्ष ज़रूर पेश होंगे।

बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे स्थित ‘वॉर मेमोरियल’ के इर्दगिर्द जनवरी 2018 में हुई हिंसा के मामले में सबूत रिकॉर्ड कराने के लिए जाँच समिति ने शरद पवार से कहा था। उन्हें इस महीने की शुरुआत में ही 23-24 तारीख़ को पेश होने के लिए कह दिया गया था। इससे पहले 2020 में भी जाँच समिति ने उन्हें समन भेजा था, लेकिन तब करना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए लगे लॉकडाउन को कारण बताते हुए वो पेश नहीं हुए थे। नवाब मलिक ने कहा कि इन्क्वायरी कमीशन ने ‘पवार साहेब’ को पेश होने के लिए कहा था।

उन्होंने इन्क्वायरी कमीशन को लिखित में भेजा है कि वो इस बार उसके समक्ष पेश नहीं हो पाएँगे। साथ ही उन्होंने जाँच समिति के समक्ष अपनी बात बाद में रखने की बात कही है। NCP की मुंबई यूनिट के अध्यक्ष और मुंबई के ही अनुशक्ति नगर से विधायक नवाब मलिक ने दावा किया कि शरद पवार भविष्य में ज़रूर जाँच समिति के सामने पेश होंगे। सन् 1818 में हुए भीमा-कोरेगाँव युद्ध की 100वीं बरसी पर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 10 पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हुए थे।

इस मामले में कई अर्बन नक्सली जेल में बंद हैं। दिसंबर 2017 में ‘एल्गार परिषद कॉन्क्लेव’ के दौरान इन अर्बन नक्सलियों द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण हिंसा भड़की थी। 8 अक्टूबर, 2018 को एनसीपी सुप्रीमो ने इस मामले में कोर्ट में एक एफिडेविट पेश किया था। फरवरी 2020 में ‘विवेक विचार मंच’ नामक संगठन ने मीडिया में शरद पवार द्वारा इस मामले के सम्बन्ध में दिए गए बयानों को लेकर उन्हें समन किए जाने के लिए एप्लिकेशन दायर किया था।

मामला ये है कि शरद पवार ने 2018 में दावा किया था कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे और मनोहर भिड़े ने भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़काई थी। हालाँकि, 2020 में उन्होंने अदालत में दिए गए एफिडेविट में अपने बयान से पलटते हुए दावा किया था कि वो किसी व्यक्ति या संगठन का नाम लेने की स्थिति में नहीं हैं। 2018 में रिटायर्ड चीफ जस्टिस जयनारायण पटेल और पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक के नेतृत्व में जाँच समिति का गठन किया था। अब शरद पवार का कहना है कि वो विस्तृत सूचनाओं के साथ अतिरिक्त एफिडेविट दायर करेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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