एक आरटीआई याचिका से पता चला है कि केरल से कॉन्ग्रेस के सांसद शशि थरूर ने MPLADS (सांसद निधि योजना) से श्री चित्रा तिरूनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी को COVID-19 रैपिड टेस्टिंग डिवाइस खरीदने के लिए 1 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने की घोषणा तो की थी लेकिन उन्हें ऐसा कोई फंड प्राप्त नहीं हुआ है।
कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने हाल ही में दावा किया था कि COVID-19 टेस्ट किट बनाने के लिए उन्होंने श्री चित्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को फंड दिया। लेकिन केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने आरटीआई की एक तस्वीर पोस्ट करके शशि थरूर के इस दावे का विरोध किया है। जिसके बाद ट्विटर पर शशि थरूर ने कुछ स्पष्टीकरण शेयर किए हैं।
RTI plea busted @INCKerala MP @ShashiTharoor‘s claim of donating ₹1 Cr. MPLADS fund to @sctimst_tvm. They did not receive the fund either for R&D or for the purchase of Test Kits. Stop #Lying! @narendramodi @AmitShah @JPNadda pic.twitter.com/5FH3aAyroR
— V Muraleedharan (@VMBJP) July 1, 2020
इस RTI के जवाब में श्री चित्रा तिरूनल इंस्टीट्यूट का कहना उन्हें R & D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) के लिए या टेस्ट किट खरीदने के लिए कॉन्ग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर से किसी प्रकार का फंड नहीं मिला।
दरअसल, अप्रैल 17, 2020 को शशि थरूर ने एक न्यूज़ ट्वीट करते हुए इस बात का जिक्र किया था और कहा था कि उन्हें इस डोनेशन को देने पर गर्व है
शशि थरूर ने ट्वीट में लिखा था – “मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि मैंने अपने MPLADS फंड में से 1 करोड़ का उपयोग R&D को फंड करने के लिए इस्तेमाल किया, जिसके कारण तिरुवनंतपुरम के श्री चित्रा इंस्टीट्यूट में इस COVID-19 को लेकर बड़ी सफलता मिली। उनकी नई परीक्षण किट दो घंटे के नीचे नमूना-से-परिणाम लाएगी लेकिन श्री चित्रा इंस्टीट्यूट के पास इसके लिए पैसा नहीं था।”
I am proud to say that I used 1cr of my MPLADS funds to finance the R&D that led to this #COVID19 breakthrough at Thiruvananthapuram’s Sree Chitra Institute. Their new test kit will bring sample-to-result time below two hours but SCT didn’t have the money https://t.co/VzYxgvfXWD
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) April 17, 2020
जिस खबर को ट्वीट करते हुए शशि थरूर ने यह दावा किया था उसमें श्री चित्रा इंस्टिट्यूट द्वारा टेस्टिंग किट बनाने की बात कही गई थी।
आज ही भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय राज्य विदेश मंत्री वी मुरलीधरन ने एक ट्वीट में उस RTI का जिक्र करते हुए कहा कि श्री चित्रा इंस्टिट्यूट को शशि थरूर द्वारा कोई भी फंड नहीं मिला है और शशि थरूर का दावा झूठा है।
भाजपा नेता के इस ट्वीट के जवाब में शशि थरूर ने कहा है कि उनके द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं और उन्हें अपने शब्द वापस लेने चाहिए। शशि थरूर ने इस पर स्पष्टीकरण पेश करते हुए कुछ ट्वीट किए हैं, जिनमें उन्होंने लिखा है कि 30 मार्च को भारत सरकार द्वारा निलंबित MPLADS निधियों से पहले ही इस फंड को अधिकृत किया गया था।
1/8 A scurrilous tweet by a BJP MOS, @VMBJP , accusing me of “lying” about donating 1 cr to the Sree Chitra Thirunal Institute for Medical Sciences in Thiruvananthapuram, prompts this detailed clarification. The grant was authorised on 30 March before GOI suspended MPLADS funds. pic.twitter.com/txwOKhXbke
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 1, 2020
दरअसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद सदस्य को अप्रैल 01, 2020 से मिलने वाले भत्तों और पेंशन में एक वर्ष के लिए 30% की कटौती करने वाले संसद सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी है।
इसी का जिक्र करते हुए शशि थरूर ने कहा कि उनकी घोषणा के अनुसार फंड आवंटन 30 मार्च के पत्र द्वारा किया गया था, जिसके अनुसार कि किट विकसित होने पर ही SCTIMST को धन प्राप्त होना था, और इसी के अनुसार 1 करोड़ देने की घोषणा की गई थी।
थरूर ने कहा – “इसके बाद जिला प्रशासन (MPLAD वितरण के लिए नोडल एजेंसी) और संस्थान व्यवस्थापक ने मुझे खरीद के लिए वित्त के रूप में यह राशि देने का अनुरोध किया। क्यों? सरकार के स्वयं के संशोधित MPLAD दिशानिर्देशों ने विकास के समर्थन की अनुमति नहीं दी।”
थरूर ने कहा कि खरीदने के लिए उत्पादन और उत्पादन के लिए सरकार द्वारा अनुमति होनी चाहिए जो कि नहीं दी गई और इसी वजह से यह आवंटन भी नहीं हो सका। थरूर ने यह भी कहा कि मुझसे वो 1 करोड़ रूपए माँगे जा रहे हैं, जिन्हें सरकार ने नहीं दिया तो भाजपा नेता को यह आरोप नहीं लगाना चाहिए।
हालाँकि, इससे पहले शशि थरूर श्री चित्रा इंस्टिट्यूट को फंड देने की बात कहकर कई बार ट्विटर पर वाहवाही बटोर चुके हैं। थरूर के ट्वीट से पता चलता है कि उन्होंने यह वाहवाही तब लूटी थी, जब सांसद निधि को लेकर उनके द्वारा दिए जा रहे तर्क लागू भी हो चुके थे।
यानी वाहवाही लूटते समय शशि थरूर ने यह स्पष्टीकरण देना बेहतर नहीं समझा था, लेकिन इस वाहवाही को लेकर जब उनसे सवाल किए गए तो उन्होंने विस्तार से समझाया कि सरकार उन्हें ऐसा नहीं करने दे रही है इस वजह से वो यहाँ दान नहीं दे सके थे।
MPLAD (सांसद निधि योजना)
बता दें कि हर संसद सदस्य को सांसद निधि के रूप में हर साल पाँच करोड़ रुपए की राशि मिलती है जो वह अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में खर्च कर सकता है। MPLAD एक तरह का फंड है जिसके तहत सांसदों को साल में 5 करोड़ रुपए मिलते हैं, जो ढाई-ढाई करोड़ की दो किश्तों में जारी किए जाते हैं।
केंद्र सरकार यह पैसा लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 250 सांसदों से जुड़े ज़िलों के जिलाधिकारियों को भेजती है। जिसे जिलाधिकारी एक बैंक खाते में रखते हैं। फिर सांसदों के निर्देशों के पूरा करने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। इस फंड और इससे होने वाले कार्य की निगरानी के लिए जिले में एक नोडल अधिकारी होता है।