पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को तगड़ा झटका लगा है। AAP के 3 विधायकों ने कॉन्ग्रेस का रुख किया है, जिसमें खालिस्तानी एजेंडा ‘रेफेरेंडम 2020’ का समर्थन करने वाले सुखपाल सिंह खैरा भी शामिल हैं। उनके साथ दो अन्य विधायक पिरमल सिंह और जगदेव सिंह कमालू भी कॉन्ग्रेस में शामिल हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने तीनों विधायकों से मुलाकात की।
इसे कैप्टेन द्वारा पंजाब कॉन्ग्रेस में अपने कद को बरक़रार रखने के संघर्ष के रूप में भी देखा जा रहा है क्योंकि राज्य में पार्टी अभी अंतर्कलह से गुजर रही है। पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू समेत कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने भी कैप्टेन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कैप्टेन अमरिंदर सिंह भी आज पार्टी आलाकमान द्वारा नियुक्त पैनल से मुलाकात के लिए दिल्ली में हैं। दिल्ली जाने से ठीक पहले उन्होंने तीनों विधायकों को कॉन्ग्रेस की सदस्यता दिलाई।
सुखपाल सिंह खैरा फ़िलहाल कपूरथला के भोलाथ से विधायक हैं। ये कॉन्ग्रेस में उनकी घर-वापसी है क्योंकि 1994 में रामगढ़ के पंचायत सदस्य के रूप में राजनीति शुरू करने वाले खैरा पंजाब यूथ कॉन्ग्रेस के उपाध्यक्ष, पंजाब कॉन्ग्रेस के सचिव, कपूरथला में कॉन्ग्रेस के जिलाध्यक्ष और पंजाब कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता जैसे संगठन के अहम पदों पर रह चुके हैं। दिसंबर 2015 में वो AAP में शामिल हो गए थे।
उन पर हेरोइन तस्कर गुरदेव सिंह को संरक्षण देने का आरोप लग चुका है। इस मामले में उनके खिलाफ 17 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन एक सरकारी पैनल ने सभी को गलत करार दिया। जनवरी 2018 में अलग खालिस्तानी मुल्क की सिख कट्टरपंथियों की माँग का समर्थन करने के कारण AAP में ही कई लोग उनके खिलाफ हो गए थे। तब इन्हीं कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने उनके बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि वो पंजाब के इतिहास और अपने बयान के दुष्परिणामों की समझ से दूर ‘ड्रामा’ कर रहे हैं।
Chief Minister @capt_amarinder Singh before leaving for Delhi today welcomed @SukhpalKhaira MLA and former Leader of Opposition and his two AAP MLA colleagues namely Jagdev Singh Kamalu, MLA Maur and Pirmal Singh Dhaula, MLA Bhadaur into the party fold. pic.twitter.com/wMe9d5AMYU
— Punjab Congress (@INCPunjab) June 3, 2021
तब एक AAP नेता ने ही कहा था कि भारी वित्तीय फंडिंग के लिए खैरा इस तरह के बयान दे रहे हैं। कनाडा, अमेरिका और यूरोप में सिख कट्टरवादी अक्सर इन चीजों को बढ़ावा देते हैं। AAP ने उन्हें उसी साल पार्टी विरोधी गतिविधियों में सलिप्त रहने के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया था। फिर उन्होंने अपनी अलग ‘पंजाब एकता पार्टी’ का गठन किया था। उस समय खैरा पंजाब में नेता प्रतिपक्ष थे। अब कैप्टेन अमरिंदर उनका स्वागत कर रहे हैं।
ये भी गौर करने वाली बात है कि ये 3 नेता कॉन्ग्रेस में तब आए हैं, जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और प्रभारी हरीश रावत दिल्ली में विधायकों से बातचीत और कलह सुलझाने में व्यस्त हैं। सीएम अमरिंदर ने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अनुमति से इन तीनों को पार्टी में लाया गया है और प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी का ‘आशीर्वाद’ भी कुछ दिनों में लिया जाएगा, क्योंकि वो अभी व्यस्त हैं।
पंजाब में कॉन्ग्रेस की कलह सुलझाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल के रूप में एक तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। आलाकमान पर दबाव बनाने के लिए 6 कैबिनेट मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अमरिंदर की वर्चुअल बैठक के बहिष्कार का मन बना लिया था, लेकिन अंत में उन्होंने इसे ठीक नहीं समझा। आज अमरिंदर सिंह के साथ बैठक के बाद पैनल आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेगा।