Thursday, April 25, 2024
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ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, त्रिपुरा में निकाय चुनाव पर रोक लगाने से किया इनकार

''हमारा विचार है कि चुनाव स्थगित करने से पहले, टीएमसी (TMC) द्वारा व्यक्त की गई आशंका के मद्देनजर त्रिपुरा सरकार को निर्देश जारी करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नगरपालिका चुनाव के शेष चरण शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हों।''

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 नवंबर 2021) को त्रिपुरा निकाय चुनाव स्थगित करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनावों के लिए प्रचार आज शाम 4 बजे खत्म हो जाएगा। चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मतदान 25 नवंबर को और मतगणना 28 नवंबर को है। चुनाव स्थगित करना अंतिम विकल्‍प होता है।

कोर्ट ने यह भी कहा, ”हमारा विचार है कि चुनाव स्थगित करने से पहले, टीएमसी (TMC) द्वारा व्यक्त की गई आशंका के मद्देनजर त्रिपुरा सरकार को निर्देश जारी करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नगरपालिका चुनाव के शेष चरण शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हों।”

अदालत ने आदेश दिया है कि DGP और IGP लॉ एंड ऑर्डर बुधवार (24 नवंबर 2021) को राज्य चुनाव आयोग से अर्धसैनिक बलों को लेकर बैठक करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार से आग्रह कर और सुरक्षा बल तैनात किए जाएँगे, ताकि त्रिपुरा में चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह शांतिपूर्ण हो।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिपुरा हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने आज तृणमूल कॉन्ग्रेस की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान TMC की ओर से पेश हुए वकील जयदीप गुप्ता ने शीर्ष न्यायालय को कुछ तस्वीरें दिखाई, उन्‍होंने कहा कि त्रिपुरा में गंभीर स्थिति है। पुलिस वहाँ मौजूद है, लेकिन कुछ कर नहीं रही है। पत्रकार की पिटाई की गई है। नारे लगाने के लिए पार्टी की सदस्य शायनी घोष के खिलाफ FIR दर्ज की गई। पीड़ित होने के बावजूद हत्या के प्रयास के आरोप का सामना करना पड़ रहा है।

जयदीव गुप्ता ने आगे कहा कि वहाँ के लोग हमला कर रहे हैं और पुलिस इधर-उधर देख रही है। TMC ने अपनी अवमानना याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को बावजूद त्रिपुरा में चुनावों के दौरान हालात खराब हो रहे हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट त्रिपुरा के अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करे।

इसको लेकर अदालत ने आदेश दिया, “याचिकाकर्ताओं द्वारा एक गंभीर शिकायत व्यक्त की गई है कि एफआईआर दर्ज करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है, प्रतिवादी इस अदालत के समक्ष दर्ज की गई शिकायतों का एक सारणीबद्ध विवरण प्रस्तुत करेंगे, जो प्राथमिकी दर्ज की गई है, जो कार्रवाई की गई है और जो गिरफ्तारियाँ की गई हैं।” अदालत इस मामले पर 25 नवंबर तक त्रिपुरा सरकार से अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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