Tuesday, September 10, 2024
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एक नंबर की बकलोल हैं स्वरा भास्कर, बिना पढ़े-लिखे मोदी को किसानों का हत्यारा बता दिया

स्वरा 'बकलोल' हैं क्योंकि राज्य में हुई घटना के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता - खासकर तब जब मसला कानून-व्यवस्था से जुड़ा हो। 'बकलोल' हैं क्योंकि ट्वीट करती हैं मगर पेपर पढ़ने से चिढ़ है। पेपर और रिपोर्ट पढ़तीं तो ऐसी बकलोली नहीं करतीं।

देश में चुनावी माहौल छाया हुआ है। इसमें आम जनता के साथ-साथ बॉलीवुड सेलेब्स की भी काफी सक्रियता देखने को मिल रही है। इन्हीं सेलेब्स में से एक हैं स्वरा भास्कर। ये आए दिन कोई न कोई उटपटांग बयान देती रहती हैं, जिसका कोई मतलब ही नहीं होता है। अभी स्वरा ने शुक्रवार (मई 3, 2019) को राजस्थान के सीकर शहर में एक रैली के दौरान केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों पर गोलियाँ चलवा दीं।

स्वरा का ये बयान बे सिर-पैर का लग रहा है। क्यों? क्योंकि राज्य में हुई घटना के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता – खासकर तब जब मसला कानून-व्यवस्था से जुड़ा हो। देश की सरकारी कार्यप्रणाली में सभी का कार्य क्षेत्र बँटा हुआ है और अगर किसी राज्य के अंदर किसी तरह की कोई घटना होती है, तो उसके लिए राज्य सरकार वहाँ का प्रशासन जिम्मेदार होता है, ना कि केंद्र सरकार। खैर, इतना भारी-भरकम शायद ही समझ में आए स्वरा भास्कर को! क्योंकि समझने के लिए पढ़ना पड़ता है पर अफसोस ‘लाल-सलाम’ वालों ने किताब से दोस्ती कभी की नहीं। गाहे-बगाहे कभी की भी तो मार्क्स, लेनिन के सपनों की सैर करते रह गए और चे-गुआरा की टी-शर्ट से आगे निकल नहीं पाए!

और वैसे भी स्वरा भास्कर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की जिस घटना के बारे में बात करते हुए उसे किसानों की हत्या ठहरा रही हैं, वो असल में हत्या नहीं, अपितु आत्मरक्षा थी, जो कि न्यायसंगत था। न्यायसंगत पर अटक मत जाइए, क्योंकि मंदसौर में हुए गोली काँड की जाँच के लिए गठित की गई न्यायिक जाँच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस और सीआरपीएफ को क्लीन चिट दे दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भीड़ को तितर-बितर करने और आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना आवश्यक और न्यायसंगत था। तब कई रिपोर्ट ऐसी भी आई थीं, जिसमें स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा किसानों को बरगलाने और तत्कालीन शिवराज सरकार के खिलाफ भड़काने वाली बातें कही गई थीं।

न्यायिक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि उस दौरान सीआरपीएफ और राज्य पुलिस का गोली चलाना न तो अन्यायपूर्ण था और न ही बदले की भावना से उठाया गया कदम। इसके साथ ही, जाँच आयोग ने निलंबन पर चल रहे तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और एसपी ओपी त्रिपाठी को भी सीधा दोषी नहीं ठहराया था। इस जाँच रिपोर्ट के सामने आने के बाद तो राज्य सरकार पर भी ऊँगली नहीं उठाया जा सकता। ये रिपोर्ट तो पिछले साल ही आ गई थी। अगर स्वरा ने ये रिपोर्ट देखी होती तो शायद इस तरह की अनर्गल बयानबाजी नहीं करतीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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