Friday, April 26, 2024
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BJP कार्यकर्ता को TMC के गुंडों ने पीट-पीटकर मार डाला, बेटी से कहा- तेरा भी यही हाल करेंगे: परिजनों ने बताया रॉबिन के साथ क्या हुआ था

परिवार वालों ने आरोप लगाया कि जब रॉबिन को उसकी बेटी ने पानी देने का प्रयास किया तो तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उसे रोक दिया। उन्होंने रॉबिन की बेटी को मौके पर धमकाया कि अगर वह अपने पिता की मदद करती है तो उसका भी यही हाल कर दिया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा चरम पर पहुँच चुकी है। इसे सत्ताधारी दल का पूरा संरक्षण मिला है। इस तरह की एक घटना पश्चिम बंगाल के कलना स्थित पथर घाटा में हुई। यहाँ रॉबिन पॉल नाम के भाजपा कार्यकर्त्ता की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। 

मृतक के परिवार वालों का कहना है कि उनके घर के सामने मनरेगा के तहत काम हो रहा था। मनरेगा कर्मचारी घर के सामने मौजूद पेड़ काटने लगे तो रॉबिन ने इस पर आपत्ति जताई। दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई और कुछ ही देर में यह हिंसक हो गया। मौके पर तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के लगभग 50 से अधिक कार्यकर्ता इकट्ठा हो गए और उन्होंने रॉबिन की लिंचिंग कर दी।

पहले उसे तृणमूल कॉन्ग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने मिल कर पीटा। फिर उसे नज़दीक के गाँव लेकर गए। वहाँ टीएमसी के डिप्टी चीफ ने उसके साथ जम कर मारपीट की। जैसे ही परिवार वालों को इसकी जानकारी मिली वह परेशान होकर घटनास्थल पर पहुँचे।

परिवार वालों ने आरोप लगाया कि जब रॉबिन को उसकी बेटी ने पानी देने का प्रयास किया तो तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उसे रोक दिया। उन्होंने रॉबिन की बेटी को मौके पर धमकाया कि अगर वह अपने पिता की मदद करती है तो उसका भी यही हाल कर दिया जाएगा।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके घटनास्थल पर पहुँची और रॉबिन को कलना स्थित जिला अस्पताल में भर्ती कराया। फ़िलहाल परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जाँच शुरू हो चुकी है। 

मरने से पहले रॉबिन ने भी इस मामले में होना बयान दिया था। उसने कहा था, “भारी संख्या में लोग आए और उन्होंने मेरे साथ बेरहमी से मारपीट की। वह मनरेगा में काम करने वाले लोग थे।” इसके बाद रिपोर्टर ने घटना में शामिल लोगों का नाम पूछा। जवाब में उसने बतया, “वे एक राजनीतिक दल के लोग थे। तृणमूल कॉन्ग्रेस के लोग।” रविवार (6 सितंबर 2020) को भारतीय जनता पार्टी (बंगाल) ने इस घटना पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया। 

ट्वीट में लिखा था, “टीएमसी के गुंडों ने कलना के भाजपा कार्यकर्ता रॉबिन पॉल की पीट-पीट कर लिंचिंग कर दी। टीएमसी की खूनी राजनीति की वजह से आज एक और भाजपा कार्यकर्ता ने अपनी जान गँवा दी। टीएमसी इस तरह खून बहा कर नेताओं में दहशत फैलाना चाहती है। भारतीय जनता पार्टी, टीएमसी द्वारा की जाने वाली हिंसा का अंत तक सामना करेगी।” 

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर कहा था, “भाजपा कार्यकर्ता रॉबिन पॉल को पश्चिम बंगाल के कलना में टीएमसी के गुंडों ने पीट-पीटकर मार डाला। राज्य में हिंसा की राजनीति अपने चरम पर पहुँच चुकी है। ममता बनर्जी की सुरक्षा और संरक्षा में यह गुंडे भाजपा कार्यकर्ताओं के दिमाग में डर पैदा करना चाहते हैं। लेकिन हम डरने वालों में से नहीं हैं। आखिर कब तक अराजकता का यह माहौल बना रहेगा?”

एक भाजपा कार्यकर्ता ने एबीपी आनंदा से बात करते हुए इस बारे में कई अहम जानकारी दी। भाजपा कार्यकर्ता ने कहा, “हत्या बादल पात्रा ने कराई है जो टीएमसी का सक्रिय नेता है। 100 दिन के रोज़गार (मनरेगा योजना) की आड़ में उन्होंने रॉबिन पर हमला किया। उन्होंने पेड़ काटने जैसी मामूली बात पर विवाद किया और 50 से 60 लोगों ने उसकी लिंचिंग कर दी। यह एक जघन्य अपराध है और हम इस मामले में सीबीआई जाँच की माँग करते हैं।” 

अपने बचाव में कलना के टीएमसी अध्यक्ष ने कहा, “हम मौके पर मनरेगा योजना संबंधी काम कर रहे थे। मैं पेड़ काट कर सड़क जोड़ने का काम कर रहा था, तभी रॉबिन वहाँ आया और उसने मुझ पर हमला किया।” आरोपों के लेकर टीएमसी नेता ने कहा, “यह पूरी तरह झूठ है। बादल पात्रा मनरेगा के कामकाज की देख-रेख कर रहा था, तभी रॉबिन पॉल ने धारदार हथियार से उस पर हमला किया। उसने बिना कारण पात्रा पर हमला किया और हमला इतना घातक था कि उसे 20 से 25 टाँके तक लगाए गए। फ़िलहाल उसकी हालत दयनीय है। रॉबिन अक्सर हथियार लेकर चलता था. जिसकी वजह से टीएमसी के कार्यकर्ता डर के माहौल में रहते थे।”

पश्चिम बंगाल में हिंसा की ऐसी घटनाएँ नई नहीं है। बीते 28 अगस्त को रायगंज के घुघुदंगा स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर कुछ शरारती तत्वों ने दो व्यापारियों से 1 लाख रुपए लूट लिए थे। पुलिस ने शुरुआत में कुल 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद रायगंज पुलिस ने अनूप कुमार रॉय नाम के भाजपा नेता को पूछताछ के लिए बुलाया था। पुलिस के मुताबिक़ अनूप कुमार रॉय पूछताछ के दौरान थाने में बीमार हो गए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें रायगंज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उनकी मौत हो गई। 

पुलिस के इस दावे पर सवाल उठाते हुए बंगाल बीजेपी के प्रमुख ने कहा था, “एक भाजपा कार्यकर्ता जिसने महज़ 8 महीने पहले सीपीआईएम से इस्तीफ़ा देकर पार्टी की सदस्यता ली थी, पुलिस ने उस व्यक्ति को उसके घर से उठा लिया। इसके बाद पुलिस ने उसके साथ इतना अत्याचार किया कि उसकी किडनी खराब हो गई। फिर पुलिस उसे किसी अन्य जगह पर लेकर गई और वहाँ उसे 5 गोलियाँ मारी। पुलिस ने उसके परिवार वालों को बताए बिना उसका पोस्टमार्टम तक कर दिया।”

उन्होंने कहा था, “पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने परिजनों को सूचित करके शव लेकर जाने के लिए कहा। यह पूरी प्रक्रिया गैर कानूनी है, पुलिस उसे थाने क्यों लेकर गई? फिर पुलिस ने उसके साथ इतनी बुरी तरह मारपीट क्यों की? सबसे अहम उस पर गोलियाँ क्यों चलाई गई?”        

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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