Friday, March 29, 2024
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‘महाठगबंधन’ की बारात में ‘तानाशाह’ दीदी से लेकर दोमुँहे साँप केजरी ‘सड़जी’ फन फैलाए बैठे हैं

सवाल उठता है कि आखिर ये इनका दोहरा रवैया झूठ, फ़रेब, धोखा, भ्रष्टाचार, घोटाले के अलावा इस राष्ट्र को क्या दे सकता है?

देश में जिस महागठबंधन को लेकर आज माहौल बनाया जा रहा है, वह सही मायने में ‘चोरों’ की एक ऐसी मंडली है जिसका इतिहास ही बाँटो, लूटो और राज करो का रहा है। अगर ये कहा जाए कि प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए सभी ‘चोरों’ का गिरोह एक साथ मैदान में उतर आया है तो गलत नहीं होगा। मौजूदा गाँठ जोड़ने वाली पार्टियों का सिर्फ़ एक ही लक्ष्य है कि ‘चौकीदार’ को हटाया जाए, और देश को लूटा जाए।

बिन दूल्हे की बारात जाएगी कहाँ?

सोचने वाली बात है कि बिन दूल्हे की बारात का आख़िर होगा क्या? पीएम मोदी जैसे सशक्त नेता के डर से गठबंधन तो कर लिया गया है, लेकिन गठबंधन में पीएम का विकल्प कौन होगा इस प्रश्न पर सन्नाटा है। कॉन्ग्रेस राहुल गाँधी को दूल्हा मानकर चल रही है, तो वहीं तृणमूल कॉन्ग्रेस का सपना दीदी ममता के सिर पर ताज सजाने का है। गठबंधन में शामिल हुए अलग-अलग पार्टी के दिग्गज नेताओं के मन में अलग ही रसगुल्ले इस बात को लेकर फूट रहे हैं कि शायद उनका जीवन बुढ़ापे में ही सुफल हो जाए।

खैर अब राहुल बाबा की कॉन्ग्रेस के 70 सालों के कारनामों को कौन नहीं जानता है? साम्प्रदायिकता के आधार पर देश को बाँटना हो, देश में हिंदू-मुस्लिम दंगा करवाना हो या फिर 2G, बोफ़ोर्स, कोल आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल में करोड़ों का घोटाला करना हो, यहाँ का इतिहास घोटालों से संपन्न है। बावजूद इसके स्टालिन का कहना है कि मोदी सरकार को हराने की ताक़त, और क़ूवत राहुल गाँधी में है।

दोमुँहे साँपों का है ये महागठबंधन

दोमुँहे साँपों की अगर बात करें तो उसमें सबसे पहला नाम ‘सर केजरी’ का आता है। ये मैं नहीं कह रहा हूँ, इसका प्रमाण ‘सड़जी’ ख़ुद दे चुके हैं। जनवरी 2014 में ‘सड़जी’ ने कहा था, “मैंने भ्रष्ट लोगों की सूची बनाई है, यह सिर्फ़ शुरूआत है और सूची बढ़ेगी। मैं आपके सामने सूची पेश कर रहा हूँ, और आप तय करें कि इन लोगों को वोट दिया जाना चाहिए या नहीं? इनको हराना ही मेरा लक्ष्य है।” बता दें कि उस वक़्त ‘सड़जी’ की लिस्ट में सबसे ऊपर कॉन्ग्रेस के शहज़ादे राहुल गाँधी हुआ करते थे। खैर, ‘सड़जी’ तो इन्हें हटाते-हटाते खुद ही इनमें लिप्त हो गए।

कर्नाटक CM कुमारस्वामी चाहते हैं ममता जी के सिर पर सजे ताज

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन से पूरी तरह ‘निराश’ हैं। इन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता जी में ‘कुशल प्रशासक’ दिखाई दे रहा है। स्वामी जी की मानें तो देश की अगुवाई करने की हर काबिलियत इनमें मौज़ूद है।

वहीं, दूसरी ओर कॉन्ग्रेस के पश्चिम बंगाल के नेता रंजन चौधरी की मानें तो ममता जी गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली महिला हैं, कट्टर, चालाक, तानाशाह उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। चलिए जाने अनजाने ही सही कोई खुलकर तो बोला। याद दिलाते चलें कि ये वही ममता बनर्जी हैं जो हमेशा से दोहरे आचरण को लेकर चलती आई हैं।

एक तरफ ये NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) के मुद्दे पर असम एनआरसी से बाहर रह गए 40 लाख घुसपैठियों की बात करती थीं, वहीं दूसरी ओर 2005 में संसद में पश्चिम बंगाल में अवैध प्रवासियों के ख़िलाफ़ स्थगन प्रस्ताव लेकर अपनी ही बात का खंडन किया। इन सब के बावज़ूद ममता जी 2018 में NRC को लेकर बीजेपी पर हमला करती हैं और कहती हैं कि 40 लाख लोग पूरी तरह भारतीय हैं।

ममता जी पर तानाशाही का आरोप भी लग चुका है, याद दिला दें कि पश्चिम बंगाल की ममता दीदी की रैली में सवाल पूछने वाले एक व्यक्ति को गिरफ़्तार करने का आदेश दे दिया गया था। क्योंकि उसने ये कह दिया था कि किसान मर रहे हैं और खोखले वादे से काम नहीं चलेगा। अब आप सोच सकते हैं कि ममता जी के पास कितनी ममता है, और राष्ट्र के लिए वो कितनी उपयोगी प्रधानमंत्री साबित हो सकती हैं।

झूठ, फ़रेब, धोखा, भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं देगा महागठबंधन

‘मुँह में राम बगल में छूरी’ की कहावत पूरी तरह से ‘महागठबंधन’ के प्रत्येक पार्टी और नेताओं पर सटीक बैठता है। ये वही पार्टियाँ हैं, जिनके पास राष्ट्र के लिए कोई विज़न नहीं है। दशकों से एक दूसरे से लड़ती-झगड़ती, आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए राजनीति करती आई हैं। सवाल उठता है कि अगर सत्ता में आईं तो राष्ट्र और राष्ट्र के नागरिकों के लिए क्या करेंगे? क्योंकि वोट बैंक की राजनीति और सत्ता में आना ही इनका एक मात्र लक्ष्य है।

ये पार्टियाँ एक तरफ संसद में जीएसटी, आर्थिक आधार पर आरक्षण देने वाले बिल पर पूरा समर्थन देती हैं, वहीं दूसरी और संसद के बाहर राष्ट्रहित के इन पैमानों की जमकर आलोचना करती हैं। इनके लिए केवल सत्ता पाना ही सब कुछ है, भले ही इसके लिए कितना भी झूठ और अफ़वाह क्यों न फै़लाया जाए। सवाल उठता है कि आखिर ये इनका दोहरा रवैया झूठ, फ़रेब, धोखा, भ्रष्टाचार, घोटाले के अलावा इस राष्ट्र को क्या दे सकता है?

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