सियासी संकट में फॅंसे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब प्रधानमंत्री आवास पर प्रदर्शन की चेतावनी दी है। इससे पहले उन्होंने गवर्नर के घेराव की धमकी दी थी।
गहलोत ने शनिवार (जुलाई 25, 2020) को कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी राष्ट्रपति से मुलाकात करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो राजस्थान में मौजूदा स्थिति के संबंध में प्रधानमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन भी करेगी। जयपुर के होटल फेयरमोंट में आयोजित कॉन्ग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा, “जरूरत पड़ने पर हम राष्ट्रपति से मिलने राष्ट्रपति भवन जाएँगे। साथ ही, आवश्यकता पड़ने पर हम पीएम के आवास के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे।”
We will go to Rashtrapati Bhawan to meet the President, if needed. Also, if required, we will stage protest outside PM’s residence: Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot, during Congress Legislative Party (CLP) meeting at Fairmont Hotel in Jaipur. pic.twitter.com/aGDIu2HtbW
— ANI (@ANI) July 25, 2020
गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने का वक्त भी मॉंगा है। इस दौरान वे विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर प्रस्ताव दे सकते हैं। शुक्रवार को राज्यपाल पर दबाव बनाने की कोशिश करते हुए गहलोत ने कहा था, “राज्यपाल बिन दबाव में आए सत्र बुलाएँ। वरना पूरे राज्य की जनता अगर राजभवन को घेरने के लिए आ गई तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।”
राज्यपाल से मुलाकात के बाद काफी देर तक कॉन्ग्रेस विधायक राजभवन में ही डटे रहे थे। इसके बाद राज्यपाल का एक पत्र सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था, “इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता, आपने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि राजभवन घेराव होता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है।”
उन्होंने लिखा था, “अगर आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की रक्षा नहीं कर सकता तो राज्य में कानून-व्यवस्था का क्या होगा? राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? मैंने कभी किसी सीएम का ऐसा बयान नहीं सुना। क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहाँ विधायक राजभवन में विरोध-प्रदर्शन करते हैं?”
राज्यपाल सचिवालय ने बताया था कि राज्य सरकार के जरिए 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली पेश की गई। पत्रावली का एनालिसिस किया गया और कानून विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया। इस संबंध में जो दस्तावेज दिए गए हैं उसमें न तो सत्र बुलाने की तारीख का उल्लेख है और न इस संबंध में कैबिनेट की मॅंजूरी मिलने का जिक्र।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और गहलोत के बीच मतभेद सामने आने के बाद कॉन्ग्रेस सरकार पर संकट मॅंडरा रहा। पायलट को उपमुख्यमंत्री के साथ ही 14 जुलाई को पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में भी रूप में हटा दिया गया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पायलट और 18 अन्य विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेजा था। इस पर कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी है।