Friday, March 29, 2024
Homeरिपोर्ट...तो सोशल मीडिया पर भी छाएगी चुप्पी, चुनाव के 48 घंटे पहले ये है...

…तो सोशल मीडिया पर भी छाएगी चुप्पी, चुनाव के 48 घंटे पहले ये है EC का प्लान

चुनाव आयोग ने विधि सचिव को लिखा, "राजनीतिक दल और उम्मीदवार इस अवधि के दौरान समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करते हैं, जिसमें मतदान का दिन भी शामिल होता है।"

चुनाव आयोग ने क़ानून मंत्रालय को पत्र लिख कर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 126 में संशोधन करके इसका दायरा सोशल माडिया, इंटरनेट, केबल चैनल्स और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात कही है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 126 के अंतर्गत ‘इलेक्शन साइलेंस’ की बात आती है। इसके अनुसार चुनाव वाले क्षेत्र में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगाने का प्रावधान है। साथ ही आयोग ने अधिनियम में अनुच्छेद 126(2) भी जोड़ने की बात की है, जिसके अंतर्गत इलेक्शन साइलेंस का दायरा बढ़ाने के बाद उल्लंघन पर कार्रवाई भी की जा सकेगी।

केंद्र सरकार को यह बातें लगभग तीन सप्ताह पहले ही पत्र के माध्यम से बता दी गई हैं। इस पर जल्द विचार करने का आग्रह किया गया, जिससे इसे साल 2019 में होने वाले आम चुनाव में लागू किया जा सके।

वर्तमान में सेक्शन 126 केवल सिनेमाघरों, टेलीविज़न या इसी तरह के उपकरणों के माध्यम से सार्वजनिक बैठकों या चुनावी मामले के किसी भी प्रदर्शन या आंदोलन को प्रतिबंधित करता है। चुनाव आयोग ने 17 जनवरी को विधि सचिव को भेजे गए अपने पत्र कहा कि इस सेक्शन में प्रिंट मीडिया का उल्लेख नहीं है। चुनाव आयोग ने लिखा, “राजनीतिक दल और उम्मीदवार इस अवधि के दौरान समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करते हैं, जिसमें मतदान का दिन भी शामिल होता है।”

चुनाव आयोग ने बताया कि उसने सेक्शन 126 के प्रावधानों की समीक्षा के लिए गठित एक समिति की 10 जनवरी की रिपोर्ट पर विचार किया था। 10 जनवरी की रिपोर्ट में समिति ने 48 घंटे पूर्व लगने वाले इस बैन के दायरे को बढ़ाने की सिफ़ारिश की थी। इसमें यह बात भी शामिल है कि कोई भी कोर्ट सेक्शन 126(1) के अंदर होने वाले उल्लंघनों का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकता जब तक आयोग या राज्य चुनाव अधिकारी इसकी अनुशंसा नहीं करता। यह बात 13 जून 2014 को चुनाव आयोग को दिए गए एक राय में पूर्व अटॉर्नी जनरल अशोक देसाई द्वारा किए गए प्रस्ताव के अनुरूप थी।

चुनाव आयोग, मीडिया को परिभाषित करते हुए सेक्शन 126(2) को जोड़ना चाहता है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इंटरनेट, रेडियो, टेलीविज़न, केबल चैनल, प्रिंट मीडिया के इंटरनेट या डिजिटल संस्करण आते हैं। वहीं प्रिंट मीडिया में न्यूज़ पेपर, मैग़ज़ीन और प्लेकार्ड को भी शामिल किया गया है।

आपको बता दें कि विधि आयोग ने अपने 255वें रिपोर्ट में सेक्शन 126 में संशोधन की बात कही थी। पूर्व चुनाव आयोग एसवाई क़ुरैशी ने भी 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चुनाव के 48 घंटे पूर्व प्रचार पर लगने वाले प्रतिबंध में प्रिंट मीडिया को शामिल करने के लिए पत्र लिखा था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का नोटिस थमाया, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी पार्टी की याचिका: टैक्स असेसमेंट...

आयकर विभाग ने कॉन्ग्रेस को ₹1700 करोड़ का रिकवरी नोटिस भेजा है। यह नोटिस वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए भेजा गया है।

इधर मुख्तार अंसारी की मौत, उधर 14 साल बाद मन्ना सिंह की तस्वीर पर चढ़ी माला: गाजीपुर में दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था,...

मन्ना सिंह की हत्या 29 अगस्त 2009 को मऊ जनपद के गाजीपुर तिराहे पर हुई थी। हत्या के साजिशकर्ता में मुख्तार अंसारी का नाम था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe