अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (29 जून 2023) को Affirmative Action जैसे एक तरह के आरक्षण पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयो में नस्ल के आधार पर होने वाले एडमिशन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा है कि नस्ल को अब एडमिशन का आधार नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने दशकों से चली आ रहीं उच्च शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) दुखी हैं। इस फैसले से अश्वेत और एशियाई अमेरिकी छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने देश से सबसे पुराने निजी विश्वविद्यालय हार्वर्ड विश्वविद्यालय और चैपल हिल स्थित सबसे पुराने सरकारी विश्वविद्यालय उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय (UNC) की परंपराओं को खारिज कर दिया। इसके तहत एडमिशन के दौरान नस्ल को सबसे बड़ा कारक माना जाता था।
सुप्रीम कोर्ट ने दो अलग-अलग फैसलों में कहा कि ये प्रथाएंँ 14वें संशोधन में दिए गए समान सुरक्षा की गारंटी का उल्लंघन करती हैं। चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने दो विश्वविद्यालयों की नस्ल-आधारित प्रवेश परंपराओं को खारिज करने के लिए अदालत की राय ली थी।
चीफ जस्टिस रॉबर्ट्स ने 6-3 बहुमत से मिली राय के बाद अपने फैसले में इस परंपरा को पलट दिया। उन्होंने कहा कि ये परंपराएँ नस्ल को नकारात्मक तरीके से नियोजित करते हैं और इसमें नस्लीय रूढ़िवादिता शामिल है और तार्किक बिंदुओं की कमी है।
उन्होंने कहा, “हमने एडमिशन प्रोग्राम को कभी भी इस तरह से चलाने की अनुमति नहीं दी है और हम आज भी ऐसा नहीं करेंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो विद्यार्थियों के साथ एक व्यक्ति के रूप में उसके अनुभवों के आधार पर व्यवहार किया जाना चाहिए, नस्ल के आधार पर नहीं।”
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से दुखी हैं। ओबामा ने अपनी पत्नी के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा, “और अधिक न्यायपूर्ण समाज बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल कभी भी पूर्ण उत्तर नहीं थी। लेकिन, उन छात्रों की पीढ़ियों के लिए, जिन्हें अमेरिका के अधिकांश प्रमुख संस्थानों से व्यवस्थित रूप से बाहर रखा गया था – इसने हमें यह दिखाने का मौका दिया कि हम इससे कहीं अधिक योग्य हैं।”
Affirmative action was never a complete answer in the drive towards a more just society. But for generations of students who had been systematically excluded from most of America’s key institutions—it gave us the chance to show we more than deserved a seat at the table.
— Barack Obama (@BarackObama) June 29, 2023
In the… https://t.co/Kr0ODATEq3
उन्होंने कहा कि सकारात्मक कार्रवाई नीतियों ने उन्हें और उनकी पत्नी मिशेल सहित छात्रों की पीढ़ियों को यह साबित करने की अनुमति दी कि हम उनके हैं। ये नीतियाँ यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थीं कि नस्ल की परवाह किए बिना सभी छात्रों को सफल होने का अवसर मिले।