पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की लड़कियों को अगवा कर जबरन उनके धर्मांतरण का सिलसिला थम नहीं रहा है। चांदरी कोलही नाम की युवती को सिंध प्रांत के मीरपुरखास के नोकोट से अगवा कर उससे जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया। फिर अल्लाह दीनो के साथ उनका निकाह करवा दिया गया।
टाइम्स नाउ के मुताबिक पीड़ित लड़की के परिजनों ने अगवा कर उसका जबरन धर्मांतरध करने की शिकायत दर्ज कराई है। हाल के समय में पाकिस्तान में ऐसी कई घटनाएँ सामने आई है। खासकर, हिंदू और सिख लड़कियों को अगवा कर उनके धर्मांतरण की।
चांदरी कोलही के जबरन धर्मांतरण की खबर हिन्दू लड़की नमृता चंदानी की हत्या के ठीक एक महीने बाद आई है। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने कहा था कि लड़की ने आत्महत्या की थी, मगर नमृता के परिजनों का दावा है कि उसकी हत्या की गई है।
इससे पहले इसी साल सितंबर महज़ एक दिन के भीतर 13 और 15 साल की दो बच्चियों को मजहब विशेष वालों द्वारा जबरन उठा ले जाने के मामले सामने आए थे। वहीं, एक सिख लड़की को अगवा कर मोहम्मद हसन नाम के युवक से उसका जबरन निकाह करवाया गया। वह हाफ़िज़ सईद के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा का सदस्य है। 29 अगस्त को रेणुका कुमारी को सिंध प्रांत के सुक्कुर स्थित उसके कॉलेज से अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल करवाया गया था। उसे सियालकोट में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ता मिर्जा दिलावर बेग के घर पर बंधक बना कर रखा गया था।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के एक स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ने देश में हिन्दू एवं ईसाई लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और निकाह पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि पिछले साल अकेले सिंध प्रांत में ऐसे तकरीबन 1000 मामले सामने आए थे। अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने कहा, “सरकार ने ऐसी जबरन शादियों को रोकने के लिए अतीत में बहुत कम कोशिशें की हैं।” इस कारण से एचआरसीपी ने सांसदों से इस चलन को खत्म करने के लिए प्रभावी कानून बनाने की गुजारिश की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने 335 पन्नों की 2018 में मानवाधिकार की स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि 2018 में सिर्फ सिंध प्रांत में ही हिन्दू एवं ईसाई लड़कियों से संबंधित अनुमानित 1,000 मामले सामने आए। जिन शहरों में बार-बार ऐसे मामले हुए हैं, उनमें उमरकोट, थरपारकर, मीरपुरखास, बदीन, कराची, टंडो अल्लाहयार, कश्मोर और घोटकी शामिल हैं।