Thursday, April 18, 2024
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UPA राज की डील में मिलना था ₹167 करोड़ कमीशन, ₹75 करोड़ ही मिला: राहुल-वाड्रा के करीबी संजय भंडारी ने किया केस

संजय भंडारी ने अदालत के दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया कि UPA शासन में रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के साथ मिलकर थेल्स को मिराज जेट का अपग्रेड बेचने में मदद की थी। कंसल्टिंग फीस के तौर पर उसे €20 मिलियन (167 करोड़ रुपए) चाहिए थी, लेकिन उसे केवल €9 मिलियन (75 करोड़ रुपए) ही मिले।

भारत में आर्म्स डीलिंग (Arms dealer) के मामले में वॉन्टेड आर्म्स डीलर संजय भंडारी (Sanjay Bhandari) को लेकर यूनाइटेड किंगडम टेलीग्राफ में सोमवार (10 जनवरी 2022) को एक रिपोर्ट पब्लिश की गई। इसमें ये दावा किया गया कि फ्रेंच बिजनेसमैन थेल्स के खिलाफ कमीशन के 92 करोड़ रुपयों के लिए केस दायर किया है। भंडारी ने दावा किया है कि यूपीए के शासनकाल के दौरान भारत में साइन किए गए एक रक्षा लेन-देन के मामले में उसका कमीशन अभी तक बकाया है। यहाँ ये स्पष्ट कर दें कि ऑपइंडिया ने ही संजय भंडारी के राहुल गाँधी के साथ संबंधों को उजागर किया था।

ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन के मामले में संजय भंडारी वॉन्टेड है और वो अब यूके में शरण माँग रहा है।

साल 2011 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल में भारतीय वायु सेना (IAF) के मिराज-2000 फाइटर प्लेन को अपग्रेड करने के लिए €2.4 बिलियन (2,01,29,14,37,496 रुपए) का डील हुई थी।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांसीसी कंपनी पर आरोप है कि उसने इंटरनेशनल कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए बिचौलियों का सहारा लिया था। भंडारी ने अदालत के दस्तावेजों का हवाला देते हुए रक्षा मंत्रालय (Defence ministry) के एक शीर्ष अधिकारी के साथ मिलकर थेल्स को ‘मिराज जेट का अपग्रेड बेचने में मदद की थी।’ उसने ये भी दावा किया है कि कंसल्टिंग फीस के तौर पर उसे €20 मिलियन (167 करोड़ रुपए) चाहिए थी, लेकिन उसे केवल €9 मिलियन (75 करोड़ रुपए) ही मिले।

भगोड़े हथियार लॉबिस्ट का आरोप है कि वो कॉन्ग्रेस पार्टी (Congress party) का करीबी है, इसीलिए उसे राजनीतिक कारणों से 2016 में फँसाया गया। उसने आरोप लगाया है कि सत्ता में आते ही BJP ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया था। इसी कारण से वो ब्रिटेन भाग गया, जहाँ वो प्रत्यर्पण के मामले का सामना कर रहा है। बता दें कि भंडारी यूके में राजनीतिक शरण माँग रहा है।

भंडारी ने केस में खुद ‘भारत में हथियारों और रक्षा में शामिल प्रसिद्ध वाणिज्यिक मध्यस्थ’ बताया है, जिसने ‘भारतीय मंत्रालय के साथ मिलकर हथियारों के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर उनकी सहायता करने के लिए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रक्षा कंपनियों के साथ काम किया है। हालाँकि, अभी यह मामला चल ही रहा है और इस पर साल के अंत तक फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है।

द प्रिंट ने फ्रेंच कंपनी के हवाले से कहा, “थेल्स SA ने भंडारी के दावों का खंडन किया है। थेल्स ने कहा है कि उसने इस प्रोजेक्ट के लिए भंडारी या उसकी कंपनियों के साथ कभी भी कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया।” रिपोर्ट के मुताबिक, थेल्स कानून का पालन करता है और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन करता है। समूह अपनी इंटेग्रिटी प्रोग्राम का नियमित रूप से मूल्यांकन और संशोधन करता है।

इसी क्रम में रिपब्लिक टीवी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, 2009 से 2015 के बीच रॉबर्ट वाड्रा के करीबी भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी की दुबई स्थित उसकी कंपनियों को 400 करोड़ रुपए की घूस भी मिली थी। जाँच रिपोर्ट के दस्तावेज में कहा गया है, “संजय भंडारी जो न तो विमानन के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं और न ही किसी विश्वसनीय गतिविधि को अंजाम दिया है। उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए ट्रेनर प्लेन की खरीद के लिए स्विटजरलैंड की पिलाटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड से 328 करोड़ रुपए से अधिक का घूस हासिल किया था। यह रिश्वत दुबई में भंडारी के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियों को मिली थी।”

ऑपइंडिया ने राहुल गाँधी और संजय भंडारी के बीच संबंधों का किया था खुलासा

रॉबर्ट वाड्रा के करीबी संजय भंडारी ने 2012 से 2015 राफेल सौदे में ऑफसेट पार्टनर बनने की कोशिश की थी, लेकिन डसॉल्ट एविएशन ने उसे शामिल करने से मना कर दिया था। दरअसल, 126 राफेल जेट की खरीद वाली फाइल रक्षा मंत्रालय से अचानक से गायब हो गई और बाद में वो सड़क पर मिली। फाइल की चोरी का आरोप भंडारी पर लगा था। उस पर आरोप था कि भंडारी फाइलों की फोटोकॉपी करके उससे जुड़े लीड डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर को दे देता था।

मार्च 2019 में ऑपइंडिया ने एक जानकारी जुटाई, जिसमें कुछ संदिग्ध जमीन के सौदों जरिए राहुल गाँधी और संजय भंडारी के आपसी संबंधों का भी खुलासा हो गया। ऑपइंडिया ने 3 और 4 मई 2017 को एचएल पाहवा पर की गई ED खोज से संबंधित कागजात देखे। इससे पहावा और राहुल गाँधी के बीच जमीन सौदे का खुलासा हुआ। पाहवा को इस कार्य के लिए सीसी थम्पी द्वारा वित्त उपलब्ध कराया गया। सीसी थम्पी और संजय भंडारी के बीच रुपयों का कई बार लेन-देन हुआ। दोनों के बीच कई ट्रांजैक्शंस हुए थे। ये दोनों वाड्रा से भी जुड़े हुए हैं।

एचएल पाहवा के साथ राहुल गाँधी का जमीन का सौदा

ईडी द्वारा पाहवा के पास से जब्त की गई फाइलों से इस बात का खुलासा हुआ था कि हरियाणा के पलवल स्थित हसनपुर में 6.5 एकड़ जमीन एचएल पाहवा से राहुल गाँधी ने पंजीकरण दस्तावेज 4780 तारीख 3 मार्च 2008 को महज 26,47,000 रुपए में खरीदा था। 12 जनवरी 2008 को 24,00,000 और 17 मार्च 2008 को 2,47,000 रुपए का चेक पेमेंट करके जमीन खरीदी गई थी। लेकिन स्टांप ड्यूटी का पेमेंट नकद किया गया था।

ईडी की फाइल के पेज नंबर 60 में इस बात का खुलासा किया गया था कि पाहवा 33,22,003 में जमीन को बेचना चाहता था, लेकिन उसने राहुल गाँधी को 26,47,000 बेच दिया था। बाद में कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी संदिग्ध जमीन सौदे को स्वीकार किया था।

ईडी ने अगस्त 2020 में पिलाटस प्लेन घोटाले को लेकर भंडारी के 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। खास बात यह है भंडारी रॉबर्ट वाड्रा के लिए बेनामी संपत्तियाँ खरीदने के मामले में भी सीबीआई की जाँच के घेरे में है। CBI ने खुलासा किया था कि 2009 में संजय भंडारी की कंपनी को उसके सिंगापुर वाले बैंक अकाउंट से रिश्वत मिली थी। वहाँ से उस फंड को दुबई की भंडारी की कंपनी को भेजा गया बाद में उसी पैसे से लंदन में संपत्ति खरीदा गया। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने पहले ही अदालत में कहा था कि संजय भंडारी लंदन में वाड्रा के लिए जमीन खरीद रहा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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