Sunday, April 28, 2024
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‘भूख से तड़प कर मर जाएँ…’: चीन के शंघाई से नागरिकों का चीखते-चिल्लाते हुए वीडियो, नल में पानी नहीं, सुपरमार्केट खाली

चीनी प्रशासन वहाँ लगातर बढ़ते कोरोना की रोकथाम के लिए कदम उठा रहा है लेकिन उनकी सख्ती सामान्य जन को काफी महंगी पड़ रही है। खाने की कमी इस समय शंघाई शहर के नागरिकों के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात है।

चीन के शंघाई में हालात बद्तर होते जा रहे हैं। कोरोना ने वहाँ जो त्राहि मचाई है वो अलग है, लेकिन जो प्रशासन के कारण वहाँ हालात उपजे हैं उन्होंने नागरिकों को हिंसक बना दिया है। वहाँ लोग खाने के लिए लड़ रहे हैं। बुजुर्गों को समय से दवाई नहीं मिल पा रही। एक वीडियो सामने आया है जिसमें स्थानीय सड़कों पर आकर पीपीई किट पहने लोगों के सामने अपना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वीडियो को विदेशी पत्रकार माइकल स्मिथ ने शेयर किया है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि क्या चीन ऐसे कोरोना को रोकने के लिए ये कड़े प्रतिबंध लगा रहा है जिसे लेकर उसका दावा है कि उसने किसी की जान नहीं ली।

सोशल मीडिया पर यूजर्स उतार रहे गुस्सा

बता दें कि चीन के शंघाई में पहले कोविड के मद्देनजर 5 अप्रैल तक लॉकडाउन था। लेकिन बाद में इसे अनिश्चित समय तक बढ़ा दिया। स्थानीय अब बुनियादी जरूरतें न पूरी होने के चलते प्रशासन से नाराज हैं। वीबो साइट पर लिख लिखकर स्थानीय लोग अपना गुस्सा उतार रहे हैं। इनमें से एक ने लिखा, “मतलब ही नहीं है कि तुम कहाँ रहते हो। तुम्हारे पास पैसे हैं या नहीं। तुम्हें चिंता इस बात की होनी चाहिए कि तुम क्या-क्या खा सकते हो और कैसे करके चीजों को खरीद सकते हो।” वहीं दूसरे शख्स ने प्रशासन को लिखा कि क्या आप चाहते हो कि बोशन के लोग भूख से तड़प कर मर जाएँ।

बता दें कि शंघाई के हाल इस समय ये हैं कि मेडिकल वॉलिंटियर भी महामारी में खाना पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जबकि उन्हें खुद प्रशासन ने भेजा है। उनके सवाल हैं कि आखिर जो आपूर्ति भेजी जा रही है क्या वो सिर्फ शंघाई लोगों के लिए है। उनके लिए कुछ नहीं जो इस महामारी को झेल रहे हैं। वीडियो सामने आई है जहाँ यूजर्स प्रशासन पर चिल्लाकर बता रहा है कि वो भूख से मरा जा रहा है।

ड्रोन से चीन दे रहा चेतावनी

मालूम हो कि एक ओर शंघाई की ये हालत है और दूसरी ओर से चीन से पिछले दिनों खबरें आई थी कि वहाँ ड्रोन की मदद से स्थानीय लोगों को धमकाया जा रहा है कि वे बालकनी में न आएँ और घर के अंदर ही रहें। हालात ऐसे हैं कि अन्य जगह के लोग शंघाई की स्थिति पर दुख जताने के सिवा कुछ नहीं कर पा रहे। अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद 2022 में शंघाई में ऐसी किल्लत रहे।

खाने की किल्लत से जूझ रहा शंघाई शहर

प्रशासन वहाँ लगातर बढ़ते कोरोना की रोकथाम के लिए कदम उठा रहा है लेकिन उनकी सख्ती सामान्य जन को काफी महंगी पड़ रही है। खाने की कमी इस समय शंघाई शहर के नागरिकों के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात है। रिपोर्ट बताती हैं कि वहाँ के सुपरमार्केट खाली हो गए हैं, सरकार समय से डिलिवरी नहीं दे रही। इसके अलावा जो लोग खाने तक अपनी पहुँच बना पा रहे हैं उन्हें फूड प्वॉयसनिंग का  सामना करना पड़ रहा है। उन्हें हालातों के मद्देनजर पुरानी सब्जियाँ खानी पड़ रही हैं। घर में आने वाला पानी भी ऐसा नहीं है कि उसे इंसान पी सके। जिन लोगों के घर में पानी का फिल्टर लगा है वो संख्या शंघाई में बेहद कम है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि शहर में लॉकडाउन लगने के बाद इस बार आपूर्ति की कमी के अलग-अलग कारण हैं। प्रशासन माल लाने वाले ट्रकों के ड्राइवरों को क्वारंटाइन करता है। माल ढुलाई करने वाले ड्राइवर फिर माल ढुलाई के लिए ज्यादा भुगतान (करीब 2000 यूआन) माँगते हैं और जिन्हें ये देने से मना किया जाता है वो शंघाई में सामान पहुँचाने से मना कर देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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