Wednesday, November 27, 2024
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5-6 साल तक लैब में काम, वुहान में ट्रायल, फिर दुनिया में तबाही: चीनी वैज्ञानिक ने खोली कोरोना वायरस पर अपने देश की पोल

“इस वायरस का टार्गेट दुनिया के मेडिकल सिस्टम को बर्बाद करना था। मृत्यु दर काफी कम है लेकिन यह हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह से तोड़ने में सक्षम है। चीन पूरी दुनिया पर जीत हासिल करना चाहता था।"

कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। कोरोना के नए-नए म्यूटेंट सामने आ रहे हैं, जो लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। इन चिंताओं के बीच कोरोना महामारी की शुरुआत जिस चीन से हुई थी, वह एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरता नजर आ रहा है।

कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने इसकी जानकारी को दुनिया से छिपाया है। वहीं, एक बार फिर कोरोना को लेकर चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने आया है। चीनी वायरोलॉजिस्ट डॉ ली-मेंग येन ने दावा किया है कि कोरोना वायरस को सरकार के नियंत्रण वाले एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया था और ‘चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को दुनिया में फैलाया है।’ चीनी व्हिसिल ब्लोअर और वायरोलॉजिस्ट ली-मेंग यान ने चीन से फरार होने के बाद एक बार फिर दावा किया है कि कोविड-19 को चीन की वुहान की लैब में ही बनाया गया था।

दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी के हाथ में कुछ कागजात लगे हैं, जिसमें कहा गया है कि पाँच साल पहले से ही चीन कोरोना वायरस को तैयार कर रहा था और चीन तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी में जुटा हुआ था, जिसे वो जैविक हथियारों के सहारे लड़ने वाला था। इस खुलासे ने चीन की पोल-पट्टी दुनिया के सामने खोलकर रख दी है।

चीन की मशहूर वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ ली मेंग येन ने अमेरिकन रिपोर्ट पर मुहर लगाते हुए कहा है कि ‘चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस को दुनिया में फैलाया है।’ न्यूज 18 से बात करते हुए चीन की महामारी विशेषज्ञ ली मेंग येन ने कहा, “ये खुफिया दस्तावेज पूरी तरह से सही हैं और चीन की साजिशों का पोल खोलने के लिए काफी है।”

चीनी वैज्ञानिक ने ही खोली पोल 

न्यूज 18 से बात करते हुए चीन की मशहूर वायरोलॉजिस्ट ली मेंग येन ने कहा, “हाँ, ये दस्तावेज ये साबित करने के लिए काफी है कि चीन काफी लंबे वक्त से जैविक हथियार तैयार कर रहा था, ताकि वो युद्ध में इसका इस्तेमाल कर सके और जैविक हथियार के जरिए चीन पूरी दुनिया पर जीत हासिल करना चाहता था।”

ली मेंग येन ने न्यूज 18 से बात करते हुए कहा, “हाँ, आपने जिस डॉक्यूमेंट का हवाला दिया है और मैंने मार्च महीने में जिस डॉक्यूमेंट को दुनिया के सामने रखा था, वो यही कहता है कि चीन पारंपरिक युद्ध से हटकर जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने की कोशिश में था। इसके साथ ही चीन ने दुनिया के सामने कोरोना वायरस को लेकर गलत जानकारियाँ दी हैं, ताकि दुनिया को अँधेरे में रखा जा सके कि चीनी लैब से कोरोना वायरस नहीं निकला है।”

न्यूज 18 ने चीनी वैज्ञानिक से सवाल पूछा, “आपने कहा है कि इस वायरस को जानबूझकर रिलीज किया गया और ये हादसा नहीं था तो क्या इसे जानबूझकर फैलाया गया ताकि दुनिया का हेल्थ सिस्टम बर्बाद हो सके?” इस सवाल के जवाब में चीनी वैज्ञानिक ने कहा, “हाँ, इस वायरस का एक टार्गेट दुनिया के मेडिकल सिस्टम को बर्बाद करना भी था। दरअसल, 5-6 साल पहले चीनी अधिकारियों ने कहा था कि इस वायरस से मृत्यु दर काफी कम है लेकिन ये हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह से तोड़ने में सक्षम है, ये समाज को काफी नुकसान पहुँचा सकता है।”’

उन्होंने कहा कि पिछले साल वुहान में इस वायरस का ट्रायल किया गया था, जिससे वुहान की स्थिति काफी खराब हो गई थी। बातचीत को समाप्त करते हुए, डॉ यान ने बताया कि चीन अब देशों को अपने सस्ते टीके खरीदने के लिए धमका रहा है।

बता दें कि डेली मेल ने शनिवार (29 मई 2021) को इसे लेकर सनसनीखेज खुलासा किया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) में कोविड-19 वायरस को तैयार किया है। वैज्ञानिकों को कोविड-19 सैंपल पर फिंगरप्रिंट मिले हैं। इसके अलावा दावा किया गया कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientist) ने कोरोना वायरस को तैयार करने के बाद इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन डब्ल्यूएचओ (WHO) पर इस मामले की जाँच के लिए दबाव बना रहे हैं।

बता दें कि महिला वीरोलॉजिस्ट डॉ. ली-मेंग यान ने इससे पहले भी कोरोना वायरस के मानव निर्मित होने का दावा किया था। डॉ. ली-मेंग ने दावा किया था कि कोरोना वायरस को एक सरकार के नियंत्रण वाले प्रयोगशाला में तैयार किया गया था और उनके पास अपने दावे को साबित करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाण हैं। जिसे वह जल्द पेश करेंगी। हॉन्गकॉन्ग में काम करने वाली शीर्ष वैज्ञानिक ने दावा किया कि उन्होंने अपनी जाँच के दौरान एक कवर-अप ऑपरेशन का पता लगाया और कहा कि चीन की सरकार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से पहले ही वायरस के प्रसार की जानकारी थी। 

उल्लेखनीय है कि डॉक्टर ली मेंग यान ने हॉन्कॉन्ग छोड़ दिया है। वे हॉन्गकॉन्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में कार्यरत थीं। WHO से सम्बद्ध लैब की को-डायरेक्टर ली मेंग यान ने चीन के डर से यह कदम उठाया। उन्होंने कोरोना से जुड़े खुलासे को लेकर अपनी जान को खतरा बताया था। यान ने आरोप लगाया था कि चीन को कोरोना वायरस संक्रमण और उससे उपजने वाले खतरों के बारे में पहले से पता था। ‘वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन’ के एडवाइजर प्रोफेसर मलिक पेरिस के पास भी इसकी जानकारी होने और कुछ नहीं करने की बात भी उन्होंने कही थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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