Wednesday, April 24, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयचीन के वैज्ञानिकों ने ही वुहान लैब में तैयार किया कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों को...

चीन के वैज्ञानिकों ने ही वुहान लैब में तैयार किया कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों को सैंपल पर मिले फिंगरप्रिंट से सनसनीखेज खुलासा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मामले की तुरंत जाँच का ऐलान किया है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि आखिर यह वायरस कहाँ से आया है। क्या यह चीन की वुहान प्रयोगशाला से लीक हुआ है या कहीं और से आया है? उन्होंने 90 दिनों के भीतर जाँच रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

दुनियाभर में कोरोना महामारी का प्रकोप जारी है। भारत समेत हर देश अपने नागरिकों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए जीतोड़ कोशिशें कर रहा है। इसी बीच एक बार फिर पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के वुहान लैब से लीक होने की खबर सुर्खियों में है। इसको लेकर डेली मेल ने शनिवार (29 मई 2021) को सनसनीखेज खुलासा किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) में कोविड-19 वायरस को तैयार किया है। वैज्ञानिकों को कोविड-19 सैंपल पर फिंगरप्रिंट मिले हैं। इसके अलावा दावा किया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientist) ने कोरोना वायरस को तैयार करने के बाद इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन डब्ल्यूएचओ (WHO) पर इस मामले की जाँच के लिए दबाव बना रहे हैं।

बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुता​बिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मामले की तुरंत जाँच का ऐलान किया है। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि आखिर यह वायरस कहाँ से आया है। क्या यह चीन की वुहान प्रयोगशाला से लीक हुआ है या कहीं और से आया है? उन्होंने 90 दिनों के भीतर जाँच रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

डेली मेल के अनुसार, इस स्टडी को ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश (Angus Dalgleish) और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ. बिर्गर सोरेनसेन (Dr. Birger Sørensen) ने किया है। उन्हें इस संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा लिखे गए 22-पृष्ठ की रिपोर्ट मिली है, जिसे बायोफिजिक्स डिस्कवरी की तिमाही समीक्षा में प्रकाशित किया जाना है।

इस स्टडी में उन्होंने लिखा है कि उनके पास एक साल से भी अधिक समय से चीन में वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सबूत हैं, लेकिन शिक्षाविदों और प्रमुख मैगजीन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। प्रोफेसर डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं। इन्हें ‘एचआईवी वैक्सीन’ बनाने के लिए भी जाना जाता है। वहीं, डॉ सोरेनसेन एक वायरोलॉजिस्ट और Immunor नामक कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है।

वुहान लैब में जानबूझकर सारा डाटा नष्ट किया गया

स्टडी में खुलासा किया गया है कि वुहान लैब में जानबूझकर सारा डाटा नष्ट किया गया। जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर अपनी आवाज उठाई, उन्हें चीन द्वारा या तो चुप करा दिया या फिर गायब कर दिया गया। बताया जा रहा है कि जब डल्गलिश और सोरेनसेन वैक्सीन बनाने के लिए कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे, उसी दौरान उन्होंने वायरस में एक ‘खास फिंगरप्रिंट’ को खोजा। इसको लेकर उनका कहना है कि ऐसा लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ करने के बाद ही संभव है। दोनों वैज्ञानिकों का कहना है कि जब उन्होंने इस रिजल्ट को जर्नल में प्रकाशित करना चाहा तो कई साइंटिफिक जर्नल ने इसे खारिज कर दिया।

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के रिटायर्ड साइंस एडिटर ने लगाई थी पत्रकारों को लताड़

बीते दिनों (25 मई 2021) अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के रिटायर्ड साइंस एडिटर निकोलस वेड ने उन पत्रकारों को लताड़ लगाई थी, जिन्होंने कोरोना वायरस के चीन के वुहान स्थित लैब से लीक होने की संभावनाओं को एकदम से नकार दिया या नजरंदाज कर दिया था। निकोलस वेड का मानना है कि मीडिया के लोग चीन के प्रोपेगेंडा के चक्कर में आ गए और उन्होंने खुद का रिसर्च करने की बजाए चीन की बात मानने में ही भलाई समझी।

उन्होंने ‘फॉक्स न्यूज’ के एक इंटरव्यू में कहा था कि कोरोना वायरस का मूल स्रोत क्या है, इस संबंध में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है, क्योंकि चीन पर शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे दबा दिया है। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा इस सम्बन्ध में एक बृहद प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने मीडिया के अंधेपन को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसने वैज्ञानिक चीजों में भी राजनीति घुसाई।

कोरोना केस सामने आने से पहले ही ‘वुहान लैब के शोधकर्ता पड़ गए थे बीमार’

हाल ही में (24 मई, 2021) एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि चीन में कोरोना वायरस के पहले मामले की पुष्टि से हफ्तों पहले ही ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ के कई शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चीन ने कहा था कि वुहान में कोरोना का पहला मामला 8 दिसंबर 2020 को सामने आया था, लेकिन इस अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक वुहान लैब के तीन शोधकर्ता उससे पहले ही नवंबर 2019 में बीमार पड़ गए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अमेरिका की यूनिवर्सिटी में आजादी के नारे और पुलिस पर हमला… फिलीस्तीन का समर्थन करने वालों पर सख्त हुआ US प्रशासन, 130+ गिरफ्तार

अमेरिका की यूनिवर्सिटियों से हिंसा की घटना प्रकाश में आने के बाद वहाँ का प्रशासन सख्त हैं और गिरफ्तारियाँ की जा रही हैं। NY यूनिवर्सिटी में 133 लोग गिरफ्तार किए गए थे।

‘सैम पित्रोदा हमारे गुरु’ कहकर कॉन्ग्रेस ने किया ‘मरने के बाद टैक्स’ वाला आइडिया खारिज: नुकसान से बचने के लिए ‘गोदी मीडिया’ पर निशाना

सैम पित्रोदा के विरासत टैक्स वाले बयान से कॉन्ग्रेस ने किनारा कर लिया है। कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने इसे निजी बयान बताया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe