Tuesday, March 11, 2025
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शेख हसीना सरकार के बाद बांग्लादेश की फौज में तख्तापलट की थी तैयारी: ISI ने रची थी साजिश, ‘जमाती जनरल’ दे रहा था साथ

हाल ही में बांग्लादेश फ़ौज के मुखिया जनरल वकार उज जमान ने लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान पर नजर रखने का आदेश दिया है। फैजुर रहमान वकार उज जमान का तख्तापलट करना चाहता है।

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद अब अगला निशाना उसकी फ़ौज के मुखिया को बनाया जा रहा है। शेख हसीना की देश से बेदखली के समय फ़ौज के हाथ बाँधने वाले जनरल वकार उज़ जमान के तख्तापलट की तैयारी पाकिस्तान कर रहा है। इसके लिए लगातार साजिश रची जा रही है। इसके लिए बांग्लादेशी फ़ौज के ही बड़े अफसर लगाए गए हैं। वह फ़ौज के भीतर जनरल जमान के खिलाफ समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।

तख्तापलट करना चाहता है ‘जमाती जनरल’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाल ही में बांग्लादेश फ़ौज के मुखिया जनरल वकार उज जमान ने लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान पर नजर रखने का आदेश दिया है। फैजुर रहमान वकार उज जमान का तख्तापलट करना चाहता है। रहमान बीते कुछ दिनों में बांग्लादेशी फ़ौज के कई बड़े अधिकारियों से मिल रहा है।

यह अधिकारी फ़ौज के अलग-अलग कमान का नेतृत्व करते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इन अधिकारियों का समर्थन जनरल जमान के खिलाफ जुटा रहा है। जनरल रहमान जमात-ए-इस्लामी से लिंक रखने वाला माना जाता रहा है। बांग्लादेशी फ़ौज में बड़ा हिस्सा अब भी इस्लामी कट्टरपंथियों का समर्थक है।

जनरल रहमान फ़ौज के अलावा पाकिस्तान के कई राजनयिकों से भी मिल रहा था। उसने ISI के कुछ समर्थकों से भी मुलाक़ात की थी। उसने फ़ौज के दूसरे बड़े जनरल के साथ बैठकें मार्च के पहले सप्ताह में की थीं। इसके बारे में भनक लगने पर जनरल जमान ने चूड़ियाँ कसी हैं। बताया गया है कि फैजुर रहमान की इन हरकतों के बारे में दूसरे अधिकारियों ने ही सूचित किया था।

जिस जमाती जनरल रहमान के ऊपर बांग्लादेशी फ़ौज के मुखिया ने कार्रवाई की है, उसका कद अगस्त, 2025 में शेख हसीना के तख्तापलट होने के बाद बढ़ा था। उसे अगस्त में बांग्लादेशी फ़ौज की खुफिया विंग का मुखिया बनाया गया था। उस दौरान वह मेजर जनरल था।

इसके बाद उसका कद बढ़ा कर लेफ्टिनेंट जनरल बना दिया गया था। गौरतलब है कि तख्तापलट के बाद ISI की हरकतें बांग्लादेश में बढ़ी हैं, खुफिया विंग का प्रमुख होने के चलते उसका पाकिस्तान से भी सम्पर्क हुआ था। ऐसे में वह जनरल जमान को हटाना चाहता था।

जनरल जमान ने दी थी चेतावनी

तख्तापलट की इन बातों को हाल ही में जनरल जमान द्वारा दिए गए एक बयान से भी बल मिला है। जनरल जमान ने हाल ही में देश के नेताओं को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि देश के नेता आपस में लड़ने में व्यस्त हैं और देश के अस्तित्व को खतरा है। उन्होंने फ़ौज के लगातार बांग्लादेश में तैनात रहने पर भी चिंता जताई थी।

जनरल जमान ने बताया था कि नेताओं के आपस में लड़ने के चलते अपराध लगातार बढ़ते जा रहे थे। उनका यह निशाना मोहम्मद यूनुस सरकार की तरफ माना गया था। यूनुस सरकार पर निशाने के बाद ही तख्तापलट की यह बातें सामने आई हैं। हालाँकि, अभी इस पर आधिकारिक रूप से कुछ सामने नहीं आया है।

जनरल जमान का रुख भी बीते कुछ महीनों में यूनुस सरकार से थोड़ा अलग दिखा है। उन्होंने जनवरी, 2025 में एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है और बांग्लादेश उसके हितों को कभी नुकसान नहीं पहुँचाएगा। उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बताया था। यह रुख यूनुस सरकार से थोड़ा अलग था।

तख्तापलट में फ़ौज की भूमिका पर सवाल

बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट में फ़ौज की भूमिका पर भी प्रश्न उठे थे। तख्तापलट में जब इस्लामी कट्टरपन्थी लगातार पुलिस पर हमला कर रहे थे और सड़कों पर उत्पात मचा रहे थे तब फ़ौज हाथ बाँधे खड़ी थी। फ़ौज ने आखिर वक्त में शेख हसीना की सरकार का साथ देने से मना कर दिया था।

इसके बाद शेख हसीना भारत चली आईं थी। कयास लगाया जा रहा है कि जनरल वकार उज जमान तब से ही परदे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। हालाँकि, अब उनको हटाने की भी साजिश सामने आ गई है। हाल ही में सामने आया था कि बांग्लादेश की फ़ौज ने शेख हसीना की सरकार को संयुक्त राष्ट्र (UN) के दबाव में नहीं बचाया था।

5 मार्च, 2025 को BBC के हार्डटॉक कार्यक्रम में UNHCR प्रमुख वोल्कर तुर्क से गाजा, सूडान, बांग्लादेश समेत बाकी इलाकों पर बात की थी। वोल्कर तुर्क ने कहा था, “मैं आपको बांग्लादेश का उदाहरण दे रहा हूँ। जुलाई-अगस्त के दौरान, छात्रों द्वारा वहाँ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ था। वह शेख हसीना सरकार से तंग आ चुके थे, वहाँ बड़े पैमाने पर दमन हो रहा था।”

उन्होंने आगे बताया था, “उनके लिए (प्रदर्शनकारियों) सबसे बड़ी उम्मीद वास्तव में हमारी आवाज़, मेरी आवाज़ और हम जो कर पाए, वह थी। हमने स्थिति पर ध्यान दिया और फ़ौज को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रोका, तो उन्हें शांति अभियानों में सैनिक नहीं भेजने दिए जाएँगे। इसके बाद फ़ौज के रुख में बदलाव आया।”

क्यों UN की धमकी से डरी बांग्लादेशी फ़ौज

गौरतलब है कि बांग्लादेश संयुक्त राष्ट्र के शान्ति मिशन में बड़ी संख्या में सैनिक भेजता है। वर्तमान में बांग्लादेश ने लगभग 5000 सैनिक UN मिशन में भेजे हुए हैं। UN मिशन में गए सैनिकों को औसत तनख्वाह से अधिक पैसा मिलता है और फ़ौज को भी इससे कमाई होती है।

बांग्लादेश को शान्ति मिशन से हर साल लगभग ₹2600 करोड़ की कमाई होती है। इनमें से आधा ही वह अपने सैनिकों को देता है। बाकी पैसा फ़ौज के हिस्से जाता है। इससे उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी बड़ी जगह मिलती है।

ऐसे में UN की यह धमकी फ़ौज पर काम कर गई थी और उन्होंने अंत समय में शेख हसीना के आदेश मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा और दंगाइयों ने हिंसा जारी रखी। मोहम्मद यूनुस ने इसके बाद सत्ता पर कब्जा कर लिया था। लेकिन अब फ़ौज के भीतर उथलपुथल से नए संकेत मिल रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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