Friday, April 19, 2024
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कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग रोकी तो अच्छा, नहीं तो एक्शन होगा: ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी में हिंदू छात्रों को मुस्लिम सोसायटी की धमकी

मीटिंग के दौरान हिंदूफोबिक टिप्पणी करते हुए महमूद ने पूछा कि कश्मीर में कितने हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया था और कितने हिंदू मारे गए थे। उसने बार-बार यह सवाल किया। वहीं, इस घटना को लेकर विश्वविद्यालय ने कहा कि उसके कैंपस में धार्मिक उत्पीड़न अस्वीकार्य है।

हिंदू होने की वजह से ऑस्ट्रेलिया (Australia) के एनएसडब्ल्यू विश्वविद्यालय (University of NSW- UNSW) में भारतीय छात्रों को प्रताड़ित करने की घटना सामने आई है। पिछले दो सप्ताहों से उत्पीड़न से प्रताड़ना झेल रहे भारतीय छात्रों ने विश्वविद्यालय से काउंसलिंग की माँग की है।

दरअसल, UNSW हिंदू सोसाइटी के सदस्यों ने कश्मीरी हिंदुओं को उत्पीड़न और पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था। इसके खिलाफ UNSW मुस्लिम स्टूडेंट्स एसोसिएशन (UNSWMSA) ने छात्रों ने उन्हें धमकाया था। इसके बाद से वे लगातार हिंदू छात्रों को परेशान कर रहे है।

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कश्मीरी हिंदू छात्र ने ऑस्ट्रेलिया टुडे को बताया कि साल 1990 में जब कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार और पलायन हुआ था, तब उनके दादा-दादी और माता-पिता ने कैसा महसूस किया होगा। छात्र का कहना है कि उस घटना को सुनकर वह आज भी रात को डरकर जाग जाता है। छात्र ने बताया कि उस दौरान उसकी माँ के दो रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। वह वहाँ की दर्दनाक कहानियों को सुन-सुनकर बड़ा हुआ है।

कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार के पीछे की सच्चाई पर चर्चा के लिए UNSW हिंदू सोसाइटी ने 9 जून को विश्वविद्यालय के कैंपस के कोलंबो थिएटर में फिल्म की स्क्रीनिंग कराने के लिए मतदान किया था। सोसाइटी ने इसे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर साझा भी किया था।

इसके बाद मुस्लिम सोसाइटी ने इसका विरोध किया। हिंदू सोसाइटी ने इसका समाधान निकालने की कोशिश की और दोनों सोसाइटी ने 7 जून को इस संबंध में जूम पर मीटिंग की। इस मीटिंग में फिल्म की स्क्रीनिंग करने पर मुस्लिम सोसाइटी ने हिंदुओं को धमकी दी, जिसे रिकॉर्ड कर लिया गया है।

मीटिंग के दौरान UNSWMSA के प्रवक्ता उस्मान महमूद ने हिंदू छात्रों को डराने के लिए धार्मिक नेताओं, पत्रकारों और राजनेताओं का नाम लिया। इस दौरान हिंदुओं को फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने के लिए धमकी भी दी गई।

महमूद ने धमकाते हुए कहा, अगर आप लोग (हिंदू) इस फिल्म की स्क्रीनिंग रोकते हो तो बहुत अच्छा है और मुस्लिम सोसाइटी एवं दुनिया के मुस्लिम समाज की ओर से इसकी सराहना करते हैं। अगर नहीं माने तो इसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा और यह एक्शन कोई प्यारा सा एक्शन नहीं होगा।”

महमूद ने डराने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रीन्स पार्टी के सीनेटर महरीन फारुकी, पत्रकार मुस्तफा रचवानी, ऑस्ट्रेलिया के ग्रैंड मुफ्ती अबू मोहम्मद, एबीसी न्यूज (एशिया पैसिफिक के चीफ ऑफ स्टाफ) के मोसिकी आचार्य, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय इमाम परिषद के शेख विसम, यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन के शेख उमर अल-ग़ज़ का नाम लिया। उसने कहा कि वे सब उसकी मदद करेंगे।

मीटिंग के दौरान हिंदूफोबिक टिप्पणी करते हुए महमूद ने पूछा कि कश्मीर में कितने हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया था और कितने हिंदू मारे गए थे। उसने बार-बार यह सवाल किया। वहीं, इस घटना को लेकर विश्वविद्यालय ने कहा कि उसके कैंपस में धार्मिक उत्पीड़न अस्वीकार्य है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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