Sunday, July 13, 2025
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयइधर खालिस्तान को हवा, उधर क्यूबेक में 'आजादी-आजादी' का नारा: जानिए क्या है कनाडा...

इधर खालिस्तान को हवा, उधर क्यूबेक में ‘आजादी-आजादी’ का नारा: जानिए क्या है कनाडा की दुखती रग, जिस पर हाथ रखते ही बिलबिला उठेंगे ट्रूडो

दरअसल, अलगाव ना चाहने वाले 50.06 प्रतिशत के मुकाबले अलगाव चाहने वालों की संख्या 49.04 प्रतिशत रही। इस थोड़़े से अंतर के कारण ये जनमत संग्रह गिर गया था और क्यूबेक स्वतंत्र देश बनते-बनते रह गया था। बाद में क्यूबेक को अधिक स्वायत्तता दे दी गई। हालाँकि, अलग देश की माँग अभी भी जारी है।

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा और भारत के बीच इस समय तनाव है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ठोस सबूत सार्वजनिक किए बगैर भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव चरम पर पहुँच गया है।

कनाडा ने भारतीय राजनयिक को अपने देश से निकलने का आदेश दिया तो जवाब में भारत ने भी ऐसा ही किया। कनाडा ने कश्मीर की यात्रा करने वाले कनाडाई नागरिकों के लिए सुरक्षा संबंधित एडवायजरी जारी की तो भारत सरकार ने भी कनाडा में रहने वाले भारतीयों के लिए ऐसी ही एडवायजरी जारी की। इस बीच भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष और चार बार के सांसद बैजयंत जय पांडा ने कनाडा की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।

भाजपा के उपाध्यक्ष ने रखा कनाडा की दुखरी रग पर हाथ

बैजयंत जय पांडा ने कनाडा की ओर से खालिस्तानी आतंकियों के बचाव और उन्हें मिल रहे समर्थन पर क्यूबेक (Quebec) जैसी दुखती रग पर हाथ रख दिया। पांडा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “कनाडा के साथ दोस्ती को देखते हमें भारत में क्यूबेक की स्वतंत्रता के मुद्दे पर एक ऑनलाइन जनमत संग्रह कराने की व्यवस्था पर विचार करना चाहिए (खालिस्तानी अलगाववादियों को कनाडा की धरती पर ऐसा करने की अनुमति देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए)।”

उन्होंने आगे लिखा, “शायद हमें क्यूबेक स्वतंत्रता आंदोलन के आयोजनों के लिए उनके बलिदानों, बमबारी और हत्या के प्रयासों (फिर से, जैसे कनाडा खालिस्तानियों को अनुमति देने के लिए इतना विचारशील रहा है) के लिए भारतीय जमीन की पेशकश भी करनी चाहिए।” यहाँ उनका तात्पर्य अलगाववादियों को शरण देने से है।

जय पांडा ने कनाडा को निशाना बनाते हुए आगे लिखा, “ऐसा करने से हम दोनों ही देशों में ‘फ्री स्पीच’ जैसी साझे उद्देश्य को बढ़ा सकेंगे और स्वतंत्र क्यूबेक के लिए भी समर्थन बढ़ाया जा सकेगा (जैसा कि इस साल मीडिया में बताया गया है)।”

भाजपा नेता ने कहा, “चूँकि, क्यूबेक की स्वतंत्रता को समर्थन देने वाले कनाडाई नेता लगातार दुनिया भर की यात्रा कर रहे हैं। यूरोपीय नेताओं से मिल रहे हैं। ऐसे में हमें भी उनसे मिलना चाहिए और उनके विचारों को समझना चाहिए। भारत-कनाडा की दोस्ती और सहयोग की साझा भावना के तहत हम दोनों पक्षों की दिल्ली में बैठक की मेजबानी भी कर सकते हैं।”

क्या है क्यूबेक? क्यों माँगी जा रही आजादी?

दरअसल, क्यूबेक ही असली कनाडा (फ्रेंच कब्जे के समय) है। कनाडा को चार राज्यों के संघ के तौर पर बनाया गया था, जिसका प्रमुख स्तंभ है क्यूबेक। ये बाकी कनाडा से अलग इसलिए भी है, क्योंकि क्यूबेक में अंग्रेजी नहीं, बल्कि फ्रेंच भाषी लोग बहुमत में हैं।

क्यूबेक में 94 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषी (लिखना-पढ़ना-बोलना) हैं और वो बाकी के अंग्रेजी भाषी कनाडा से खुद को अलग देखते हैं। क्यूबेक की आजादी के लिए 1980 और 1995 में दो बार जनमत संग्रह भी हो चुका है। साल 1995 में जनमत संग्रह के नतीजों में सिर्फ 1 प्रतिशत का अंतर था।

दरअसल, अलगाव ना चाहने वाले 50.06 प्रतिशत के मुकाबले अलगाव चाहने वालों की संख्या 49.04 प्रतिशत रही। इस थोड़़े से अंतर के कारण ये जनमत संग्रह गिर गया था और क्यूबेक स्वतंत्र देश बनते-बनते रह गया था। बाद में क्यूबेक को अधिक स्वायत्तता दे दी गई। हालाँकि, अलग देश की माँग अभी भी जारी है।

कनाडा के कई हिस्सों में अलगाववादी आंदोलन

क्यूबेक कनाडा में आबादी और क्षेत्रफल, दोनों के मामले में क्रमश: पहले और दूसरे नंबर का राज्य है। कनाडा से क्यूबेक के निकलने का मतलब होगा, कनाडा की कमर टूट जाना। वैसे, कनाडा में सिर्फ क्यूबेक ही नहीं, बल्कि कस्काडिया, वेस्टर्न कनाडा, अल्बर्टा और सस्केचेवान जैसे राज्य भी आजादी की माँग करते रहे हैं। ऐसे में अगर भारत ने कनाडा के अलगाववादियों की माँग को हवा दी, तो कनाडा कहीं का नहीं रहेगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

छांगुर पीर ने सरकारी तालाब को पाट कर की 30000 स्क्वायर फीट जमीन पर अवैध प्लॉटिंग, खड़ी की महँगी प्रॉपर्टी: धर्मांतरण के सरगना के...

छांगुर ने उतरौला में कई लोगों के नाम पर पहले जमीन खरीदी और फिर सरकारी जमीनों पर कब्जा जमा लिया। इसके लिए जमीनों पर गरीबों का नाम दिखा कर कागजों में हेर-फेर भी की।

पश्चिम बंगाल में मधु मुल्ला ने भगवान शिव पर आपत्तिजनक पोस्ट की शेयर, भड़के आम हिंदू: BJP नेता सुवेंदु अधिकारी ने की गिरफ्तारी की...

भगवान शिव पर आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने वाले मधु मुल्ला के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है। बीजेपी ने सख्त कार्रवाई की माँग की है।
- विज्ञापन -