Tuesday, April 30, 2024
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स्कूल में नमाज बैन के खिलाफ हाई कोर्ट ने खारिज की मुस्लिम छात्रा की याचिका, स्कूल के नियम नहीं पसंद तो छोड़ दो जाना : भारत में मचा था बड़ा बवाल

इस स्कूल में नमाज पर बैन लगाने के बावजूद 30 स्कूली बच्चों ने अपना स्वेटर बिछाया और उसपर नमाज पढ़ी थी। इसी के बाद स्कूली छात्रा ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

ब्रिटेन में एक स्कूल की मुस्लिम छात्रा ने स्कूल परिसर में नमाज बैन के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की, जिस पर उसे झटका लगा है। हाई कोर्ट ने छात्रा की अपील की खारिज कर दिया और साफ कहा कि अगर स्कूल में पढ़ना है तो स्कूल के नियमों के हिसाब से ही चलना होगा। अगर स्कूल का कोई भी नियम छात्रा या उसके माता-पिता को नहीं पसंद तो वो स्कूल छोड़ने के लिए आजाद हैं।

ये मामला ब्रिटेन के सबसे सख्त स्कूलों में से एक ब्रेंट में स्थिल मिशेला कम्यूनिटी स्कूल से जुड़ा है। इस स्कूल में धार्मिक शिक्षा पर सख्ती से रोक है। इस स्कूल के कंपाउंड में किसी भी तरह के धार्मिक कार्य करने पर रोक है। इस स्कूल में 700 बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें आधे से अधिक मुस्लिम हैं। इस स्कूल में नमाज पर बैन लगाने के बावजूद मार्च 2023 में 30 स्कूली बच्चों ने अपना स्वेटर बिछाया और उसपर नमाज पढ़ी। इसके बाद स्कूल ने कड़ा कदम उठाया और सभी को चेतावनी दी। इसी के बाद स्कूली छात्रा ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

इस मामले में हाई कोर्ट की जस्टिस लिंडेन ने 83 पेजों के फैसले में कहा कि इस स्कूल में एडमिशन से पहले सभी बच्चों और उनके माता-पिता को बताया जाता है कि इस स्कूल में धार्मिक क्रिया कलापों की कोई जगह नहीं है। इस स्कूल को गैर आस्था स्कूल के तौर पर बनाया गया है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद संस्थापक और मुख्य शिक्षक कैथरीन बीरबलसिंह ने कहा कि यह फैसला “सभी स्कूलों की जीत” है।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्कूल ने कहा, “स्कूलों को एक बच्चे और उसकी माँ को अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने फैसला किया है कि उन्हें स्कूल में कुछ पसंद नहीं है। अगर माता-पिता को मिशेला जैसी चीज़ पसंद नहीं है, तो उन्हें अपने बच्चों को हमारे पास भेजने की ज़रूरत नहीं है।”

भारत में हिजाब को लेकर हुआ था जबरदस्त बवाल

बता दें कि फरवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के बाद विवाद शुरू हुआ था। इस नियम को और भी कई संस्थानों ने लागू कर दिया और बाद में उस समय की बसवराज बोम्मई सरकार ने एक आदेश जारी किया। इस आदेश में शैक्षिक संस्थानों के अंदर हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया गया था। आदेश में कहा गया कि ऐसी ड्रेसिंग को अनुमति नहीं दी जाएगी, जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को खराब करे। आदेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके चलते कुछ दिनों के लिए शैक्षिक संस्थानों को बंद करना पड़ा।

फिर यह मामला हाईकोर्ट पहुँचा और 15 मार्च, 2022 को फैसला आया। हाई कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने राज्य सरकार के इस आदेश को भी सही ठहराया कि स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म का पूरी तरह से पालन होना चाहिए। ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुँचा था और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हालाँकि 2023 में विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस की जीत हुई सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धारमैया ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगे बैन को हटा दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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