प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सोमवार(16 मई, 2022) को बुद्ध जयंती के मौके पर नेपाल में लुंबिनी के एक दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं। इसे देखते हुए नेपाल सरकार ने फैसला किया है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान वो वेस्ट सेती प्रोजेक्ट (West Seti Project) के डेवलप करने के लिए भारत सरकार से बात करेगी। ये परियोजना बीते 6 दशक से इन्वेस्टमेंट की कमी के कारण लटका हुआ है।
मंगलवार (10 मई, 2022) को नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) ने अपने गृहनगर दधेलधुरा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी के साथ पश्चिम सेती परियोजना पर चर्चा की जाएगी। नेपाल में पश्चिमी सेती नदी पर बनने वाली प्रस्तावित 750 मेगावाट की वेस्ट सेती जलविद्युत परियोजना पिछले छह दशकों से कागजों पर अटकी हुई है। हाल ही में नेपाल सरकार ने 1,200 मेगावाट क्षमता वाली एक संयुक्त भंडारण प्रोजेक्ट को वेस्ट सेती और सेती नदी (SR-6) के रूप में फिर से तैयार किया है।
नेपाल पीएम देउबा ने कहा, “हम इस परियोजना में निवेश करने में विफल रहे। इसलिए, प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में हम उनके साथ इस मामले को उठाएँगे।” पीएम देउबा के मुताबिक, क्योंकि भारत सरकार नेपाल में चीनी कंपनियों द्वारा पैदा की गई ऊर्जा खरीदने के लिए अनिच्छुक है। उन्होंने ये भी कहा कि नई परियोजना के विकास के लिए एक विश्वसनीय भारतीय कंपनी के साथ निर्णायक बातचीत की आवश्यकता है। हमें शुष्क मौसम [सर्दियों] में ऊर्जा सुरक्षा के लिए भंडारण-प्रकार की परियोजनाओं में निवेश करने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही वेस्ट सेती के अलावा सरकार ने पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना को भी विकसित करने के लिए भारत के साथ बातचीत करने का फैसला किया है। पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना 1996 में नेपाल और भारत के बीच हस्ताक्षरित महाकाली संधि का एक प्रमुख अंग है, लेकिन यह परियोजना भी मतभेदों के कारण दशकों से अधर में लटकी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई 2021 में देउबा नेपाल के प्रधानमंत्री चुने गए थे। इसके बाद से ही उन्होंने इस परियोजना का विकास करने का फैसला किया था। इस मामले में नेपाल विकास बोर्ड के प्रमुख सुशील भट्ट के कहना है, “हमने जल विज्ञान और परियोजना में निवेश के तौर तरीकों पर स्टडी पूरी कर ली है।” यह प्रोजेक्ट 1980 के दशक की शुरुआत से ड्राइंग बोर्ड पर है। पहले नेपाल सरकार ने एक फ्रेंच कंपनी और फिर प्रसिद्ध चीनी कंपनी को इसका ठेका दिया था। लेकिन क्षेत्रीय राजनीति कारण यह प्रोजेक्ट पिछले ढाई दशकों से लटका हुआ है।
2018 में चीन को किया था बाहर
इससे पहले वर्ष 2018 में अगस्त में ऐसी खबर आई कि चीन नेपाल की वेस्ट सेती प्रोजेक्ट से बाहर होना चाहता है। इसके एक महीने के बाद सितंबर 2018 में नेपाल की 1.5 अरब डॉलर की वेस्ट सेती जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए चाइना थ्री जॉर्जेस कॉरपोरेशन के साथ एक समझौते को रद्द कर दिया था। उससे पहले भी इसको लेकर दोनों देशों के बीच साल 2009 में समझौता हुआ था। उस दौरान चीनी कंपनी ने इस परियोजना में 15 अरब रुपए का निवेश करने का फैसला किया था।
हालाँकि, बाद में वो इस परियोजना से ये कहकर बाहर हो गई कि नेपाल में निवेश का माहौल नहीं है। तमाम उतार चढ़ावों के बीच एक बार फिर से 29 अगस्त 2012 को इसे फिर से चीनी कंपनी को सौंप दिया गया। बाद में 2018 में चीन ने फिर से नौटंकी दिखाई, जिसके बाद उसे फाइनली इससे बाहर कर दिया गया।