चीन (China) नेपाल (Nepal) के अंदरूनी मामलों में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है। इसको लेकर नेपाल के सियासी तबकों से लेकर आम लोगों तक ने आवाज उठाई है। इसको लेकर एक बार फिर गुरुवार (27 जनवरी 2022) को नेपाल के राष्ट्रीय एकता अभियान ने बिराटनगर, मोरंग और खाबरहुब में चीन के खिलाफ प्रदर्शन (Protest) किया। देश के नागरिक समाज ने नेपाल के आंतरिक मामलों में चीन के हस्तक्षेप और उत्तरी सीमा के इलाके में अतिक्रमण का विरोध किया है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय एकता अभियान के सदस्यों ने महेंद्र चौक से बिराटनगर के भट्टा चौक तक मार्च निकाला। साथ ही चीन की विस्तारवादी नीति और नेपाल के शीर्ष राजनीतिक क्षेत्र में इसके अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला भी फूँका।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने नेपाली व्यापारियों को दबाने के लिए बॉर्डर प्वाइंट्स पर अनौपचारिक नाकाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही वह उन नेपाली छात्रों के प्रति भी उदासीनता दिखा रहा है, जो चीनी विश्वविद्यालयों से अपनी मेडिकल की डिग्री अभी तक पूरी नहीं कर पाए हैं। संगठन के मोरंग समन्वयक जितेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने समाज और सरकार को नेपाल के आंतरिक मामलों में चीन के व्यापक हस्तक्षेप का एहसास कराने के लिए विरोध प्रदर्शन किया है।
अक्टूबर 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग नेपाल की यात्रा पर आए थे। इसके बाद से चीन नेपाल के राजनीतिक और सरकारी एजेंडे को निर्देशित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि नेपाल ही एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ चीन एक निश्चित प्रकार का लाभ उठाता है। हालाँकि, माना जाता है कि जुलाई 2021 में जब से केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया, तब से चीन के लिए स्थिति मुश्किल हो गई है।
उल्लेखनीय है कि चीन के खिलाफ नेपाल में विरोध प्रदर्शन आम बात हो गई है। इससे पहले 13 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय एकता अभियान ने इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया था और राजधानी काठमांडू में चीनी राजदूत होउ यांकी की फोटो को जलाया था। प्रदर्शनकारियों ने यांकी के खिलाफ नारे लगाए और तख्तियों का प्रदर्शन किया था, जिस पर लिखा था ‘चीन वापस जाओ’।