Saturday, April 20, 2024
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पैगंबर मोहम्मद और आयशा के निकाह पर सऊदी अरब के मौलाना ने कहा – 100% सही, अब थमेगा नूपुर शर्मा पर बवाल?

अल हकीम वही मौलाना हैं, जिन्होंने साल 2020 में कहा था कि इस्लाम में विरोध प्रदर्शन और धरना आदि की इजाजत नहीं है। यह हराम है। अल हकीम ने लोकतंत्र को भी इस्लाम विरोधी बताया था। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र इस्लामी शरीया के खिलाफ है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व नेता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) पर दिए गए बयान को भारी हंगामा हुआ था। उनके बयान को पैगंबर का अपमान बताया गया था। हालाँकि, जो बात नूपुर शर्मा ने कही थी उसे सऊदी अरब के मौलाना ने सौ फीसदी सच कहा है।

सऊदी अरब के मौलाना अस्सीम अल हकीम से ट्विटर पर मौलाना फयाज नाम के यूजर ने पूछा, “भारत में यह कहा जाता है कि पैगंबर मुहम्मद ने 6 साल की उम्र में आयशा से निकाह किया और 9 साल की उम्र में हमबिस्तरी की। क्या यह सच है? कृपया स्पष्ट करें।”

इसका जवाब मौलाना अस्सीम अल हकीम ने हाँ में दिया। उन्होंने मौलाना फयाज नाम के यूजर के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, “यह सौ फीसदी सच है।”

इसी तरह के सवाल को लेकर अमांडा फ्यगेरा नाम की एक पत्रकार ने साल 2016 में अल हकीम से पूछा था, “क्या यह सच है कि आयशा जब पैगंबर के पाई थी वह 9 साल की थी? मैं इन्वेस्टिगेशन को पढ़ रही हूँ और उसमें कहा गया है कि उस समय वह 17 साल की थी।”

इस पर मौलाना अल हकीम ने जवाब दिया था, “ये सब झूठ है! आयशा ने खुद हमें (मुस्लिमों को) बताया था कि वह नौ साल की थी! यह सही बुखारी और अन्य हदीसों में भी है।”

क्या है हदीस अल बुखारी

हदीस अल बुखारी इस्लाम में कुरान के बाद दो सबसे भरोसेमंद हदीसों में से एक है। इसे पैैगंबर के मौत के लगभग 200 साल बाद यानी 846 ईस्वी में मौलाना बुखारी (पूरा नाम- अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन इस्माईल बिन इब्राहिम बिन अल-मुघिरा अल-जाफा) द्वारा संकलित किया गया था।

कहा जाता है कि इसे संकलित करने में उन्होंने 16 साल लगाए थे। इसको संकलित करने के लिए उन्होंने लगातार यात्राएँ की थी। बुखारी का जन्म वर्तमान ईरान (तब फारस) में हुआ था। अल बुखारी की आयतों पर मुस्लिमों का पूर्ण विश्वास होता है।

नूपुर शर्मा के बयान पर विवाद

इस्लामी मौलाना इस्लाम का सच बता रहे हैं। वहीं, नूपुर शर्मा ने जब एक टीवी डिबेट के दौरान यह बात कही तो सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ईरान जैसे कई मुस्लिम मुल्कों ने भारत पर निशाना साधकर कर अपना दोहरा चरित्र जाहिर किया था। इन मुल्कों ने इस पैगंबर का अपमान बताया था। बाद में सरकार ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को पार्टी से निकाल दिया था।

इतना ही नहीं, पैगंबर के इस कथित अपमान को लेकर देश भर में दंगे किए गए थे। कानपुर से लेकर हैदराबाद और बिहार तक मुस्लिमों की भीड़ ने पत्थरबाजी, आगजनी, हिंसा और सुरक्षा बलों पर हमला किया था। इसे पूरे देश में बड़े ही सुनियोजित ढंग से लागू किया गया था।

क्या कहा था नूपुर शर्मा ने

गौरतलब है कि ज्ञानवापी शिवलिंग मामले में 26 मई 2022 की शाम को टाइम्स नाउ पर एक बहस हुई थी। इस डिबेट में नुपूर ने ज्ञानवापी के शिवलिंग पर मजाक बनाने वाले से सवाल किया था कि जैसे उनके भगवान का मजाक उड़ रहा है, क्या वो भी दूसरे मजहब पर इस तरह बात रख सकती हैं? उसके बाद कुरान और हदीसों का हवाला देकर पैगंबर के निकाह का जिक्र किया।

इसी के बाद AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने नुपूर शर्मा पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाते हुए एक ऑनलाइन कैंपेन चलाया था। इसी कैंपेन के बाद कट्टरपंथी नुपूर को और उनके परिवार को जान से मारने और रेप की धमकियाँ दे रहे थे। वहीं, कुछ कट्टरपंथियों ने नूपुर की हत्या करने वाले को इनाम देने का ऐलान किया था।

हाल ही में ऑपइंडिया के साथ एक इंटरव्यू में नूपुर शर्मा ने कहा था कि उन्होंने पैगंबर मुहम्मद पर कोई अपनी राय नहीं दी थी। उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसका उल्लेख उनकी अपनी हदीस में पहले से ही है। उन्होंने कहा था, “शिवलिंग पर टिप्पणियों से नाराज होने के बाद मैंने केवल इतना ही पूछा था कि क्या उनको भी उनकी मजहबी आस्था का मजाक उड़ाना शुरू कर देना चाहिए, जैसे वे हमारा मजाक उड़ाते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कोई स्थापित इस्लामी विद्वान उसे ठीक करने के लिए आगे आएगा तो उन्हें अपनी टिप्पणी वापस लेने में खुशी होगी। उन्होंने कहा था, “अगर मैं तथ्यात्मक रूप से गलत हूँ, तो मुझे अपने बयान वापस लेने में खुशी होगी।”

कौन है मौलाना अल हकीम

अल हकीम वही मौलाना हैं, जिन्होंने साल 2020 में कहा था कि इस्लाम में विरोध प्रदर्शन और धरना आदि की इजाजत नहीं है। यह हराम है। अल हकीम ने लोकतंत्र को भी इस्लाम विरोधी बताया था। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र इस्लामी शरीया के खिलाफ है।

इसी मौलाना ने नवरात्री को ‘कुफ्र (काफिरों द्वारा किया जाने वाले कार्य)’ बताते हुए साल 2021 में कहा था कि अगर किसी मुस्लिम व्यक्ति की बीवी इसमें हिस्सा लेती है या फिर उपवास रखती है तो उसे तुरंत तलाक दे देना चाहिए। मौलाना बिटकॉइन को भी हराम बता चुका है।

मौलाना असीम अल हकीम सऊदी अरब में जाना-पहचाना नाम है और वो अक्सर टीवी व रेडियो के जरिए अंग्रेजी व अरबी में इस्लाम के बारे में बताता है। ‘हुडा टीवी’ और जाकिर नाइक की ‘पीस टीवी’ के माध्यम से वो कुरान और हदीथ पढ़ाता है। उसने ‘किंग अब्दुल अजीज यूनिवर्सिटी’ से ‘भाषा विज्ञान’ में स्नातक कर रखा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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