Friday, June 13, 2025
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राशन चाहिए तो कलमा पढ़ो: इनकार किया तो लॉकडाउन में जरूरत का सामान नहीं दिया

इससे पहले भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ महामारी में हो रहे भेदभाव का एक वीडियो सामने आया था। इसमें एक व्यक्ति लाचार होकर बता रहा था कि सिंध प्रांत में प्रशासन ने हिंदू-ईसाई समुदाय के लोगों को राशन देने से मना कर दिया है। उनकी मदद नहीं की जा रही है। उन्हें खाना नहीं दिया जा रहा है।

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं है। वहॉं भी इस पर काबू पाने के लिए कई हिस्सों में लॉकडाउन है। इस दौरान लोगों को जरूरत का सामान मुहैया कराने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है। लेकिन, गैर मुस्लिमों को राशन देने में भेदभाव किया जा रहा है। उनके सामने मदद पाने के लिए कलमा पढ़ने की शर्त रखी जा रही है।

घटना कराची के कोरंगी इलाके की है। कलमा पढ़ने से इनकार किए जाने के बाद यहॉं ईसाइयों को जरूरत का सामान देने से मना कर दिया गया। एक स्थानीय ईसाई महिला के मुताबिक, “उन्होंने (प्रशासन ने) हमें राशन नहीं दिया। कहा कि राशन तभी मिलेगा जब आप ‘ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुन रसूलुल्लाह’ पढ़ेंगे। जब हमने इससे मना किया तो उन्होंने राशन देने से इनकार करते हुए चले जाने को कह दिया।”

उल्लेखनीय है कि कलमा-तैयब इस्लाम मजहब का सूत्र है जिसे धर्मांतरण के दौरान बुलवाया जाता है। कहते हैं कि इस्लाम कबूलने के लिए कलमा पढ़ना जरूरी है।

पाकिस्तान शायद अकेला मुल्क है जहॉं इस महामारी के वक्त भी धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव के आरोप प्रशासन पर लग रहे हैं। जानकारी के मुताबिक प्रशासन इस समय सिर्फ़ मुस्लिमों की मदद कर रहा है। हिंदू और इसाइयों को खाने की सामग्री ये कहकर नहीं पहुँचा रहा है कि वे लोग गैर मुस्लिम हैं। यह सब तब हो रहा है जब कई प्रांतों की सरकार ने स्थानीय एनजीओ और प्रशासन को दिहाड़ी मजदूरों को राशन मुहैया कराने का निर्देश दे रखा है। इसके बाद खाद्य आपूर्ति का वितरण तो जिला प्रशासन कर रहा है, लेकिन गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव भी कर रहा है।

इससे पहले भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ महामारी में हो रहे भेदभाव का एक वीडियो सामने आया था। इसमें एक व्यक्ति लाचार होकर बता रहा था कि सिंध प्रांत में प्रशासन ने हिंदू-ईसाई समुदाय के लोगों को राशन देने से मना कर दिया है। उनकी मदद नहीं की जा रही है। उन्हें खाना नहीं दिया जा रहा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा किसी से छिपी नहीं हैं। वहाँ की कुल आबादी में अब केवल 4 फीसदी हिंदू और 2 फीसद ईसाई ही बचे हैं। इन्हें बुनियादी मानवाधिकारों से भी वंचित रखा जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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