कोरोना का संक्रमण इस समय हर देश को प्रभावित कर रहा है और हर देश की जनता इससे पीड़ित है। मगर, बावजूद इसके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का रवैया देखकर लग रहा है कि वे अब भी इस बीमारी को गंभीरता से नहीं ले रहे। कल मुल्क को संबोधित करते हुए उनका एक विडियो सामने आया। वि़डियो में उन्होंने कोरोना वायरस को आधार रखकर अपने देशवासियों से बात की। यहाँ उन्होंने चीन की तारीफ करने से अपने बात की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि चीन एक ऐसा मुल्क है, जिसने लॉकडाउन करके इस समस्या से निजात पा लिया और अगर उनके देश (पाकिस्तान) में भी ऐसी हालात होते तो वो शहर बंद कर देते। मगर, इससे कुछ नहीं होगा।
एक ओर जहाँ पूरा विश्व लॉकडाउन को अंतिम विकल्प की तरह मान रहा है, वहीं पाक पीएम इस कॉन्सेप्ट को ही खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये उपाय उनके देश के लिए सही नहीं है। उनकी परेशानी ये है कि अगर लॉकडाउन होगा तो करीब 8-9 करोड़ लोग दो वक्त की रोटी नहीं खा पाएँगे। वे कहते हैं कि अगर वे देश के लोगों को खाना उपलब्ध नहीं करा सकते, तो यह लॉकडाउन सफल नहीं हो सकता।
इसके बाद इमरान खान करीब पाँच मिनट तक अपनी देश की जनता को यही समझाते नजर आए कि वो लॉकडाउन क्यों नहीं कर रहे। इस बीच उन्होंने हिंदुस्तान का उदाहरण दिया और कहा यहाँ हालत ऐसे हैं कि पहले लॉकडाउन लगा दिया गया, बाद में प्रधानमंत्री जनता से माफी माँग रहे हैं। इस दौरान इमरान अपनी जनता को ये बताते नजर आए कि पाकिस्तान और अमेरिका में कितना फर्क है।
इस गंभीर समय में भी जब हर किसी का मानना है कि धर्म, मजहब से ऊपर उठकर इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए, तब इमरान खान अपने देशवासियों को मजहब का हवाला देते हैं, इमान का पाठ पढ़ाते हैं। वे उन्हें उन इस्लामिक देशों के बारे में बताते हैं, जो सबसे ज्यादा खैरात देते हैं। इसके बाद इस लड़ाई को लड़ने के लिए वो जागरूक करने से ज्यादा अपने देश के युवाओं पर विश्वास जताते हैं और कहते हैं कि अब इन दोनों ताकतों (इमान और युवा) का उन्हें इस्तेमाल करना है ताकि कोरोना से लड़ा जा सके। वे कहते हैं कि अब युवा ही उनकी कमियों को पूरा करेगी। इसके लिए वे युवाओं की टाइगर फोर्स की घोषणा करते हैं। वे बताते हैं कि अब यही युवा कभी सेना के साथ मिलकर तो कभी प्रशासन के साथ मिलकर उनकी मदद करेंगे।
अब इमरान खान की सबसे हैरान करने वाली बात सुनिए। एक ओर जहाँ विश्व जल्द से जल्द इसके हर आयामों को अवलोकन करने के लिए प्रयासरत हैं। वहाँ इमरान खान इतने फिक्रमंद हैं कि वो कहते हैं कि उनकी एक टीम जो पीएमओ में बैठी है, वो यही डेटा एनालाइज कर रही है और एक हफ्ते के अंदर उन्हें सब पता चल जाएगा। आज भारत ने जिस कार्य को हर नागरिक के कंधे पर सौंपा है और कई संस्थाएँ खुद जागरूकता फैलाने का जिम्मा उठा रही हैं, वहीं पाकिस्तान में इसके लिए अलग से फोर्स बनी है। खुद सोचिए उस देश के लोग क्या जागरूक होंगे, जिनके प्रधानमंत्री पहले खुद कहते हैं कि कई घरों में 7-8 लोग साथ में रहते हैं। मगर थोड़ी देर बाद कहते हैं कि जरूरी नहीं स्वास्थ्य सुविधाएँ ली जाएँ। हम चाहें तो घर में रहकर भी ठीक हो सकते हैं।
अपनी बात को जोर देते हुए इमरान खान ये भी कहते हैं कि ये कोरोना वायरस केवल बुजुर्गों और बीमारों पर हमला करता है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। जबकि वास्तविकता ये है कि कोरोना हर वर्ग और हर श्रेणी के लोगों के लिए खतरनाक है। क्योंकि ये संक्रामक है। हाँ, इससे लड़ेंगे कैसे ये हम पर और हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम पर निर्भर करता है। लेकिन इमरान खान की बातें सुनकर लगता है कि उन्होंने विश्वव्यापी प्रकोप पर जानकारी भी कम जुटाई है। वे खुद बताते हैं कि उनकी टीम अब भी आँकड़ों का अवलोकन करने में ही जुटी है ताकि कोरोना के कारण पीड़ित मरीजों की संख्या में उछाल जान सके।
वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह अपने मुल्क में पीएम राहत कोष की घोषणा करते हैं। लेकिन यहाँ भी हमेशा की तरह अपने गैर जिम्मेदारी दिखाते हुए कहते हैं कि इस अकॉउंट में हर कोई पैसे डाल सकता है। मगर ये परसों से खुलेगा और तब लोग जितना चाहें उसमें उतना दान कर सकते हैं। उनसे पैसों को लेकर कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा। बल्कि वो चाहेंगे तो उन्हें टैक्स रिलीफ दिया जाएगा। इसके बाद वे इसी पैसे से अपने देश की जनता की मदद करेंगे।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए इमरान खान कहते हैं कि जो भी व्यापारी अपने मजदूरों को इस मुश्किल की घड़ी में वेतन देने से मना नहीं करेंगे, उन्हें वे सस्ते दरों पर लोन देगा। अब इसके बाद एक और हास्यास्पद बात- प्रधानमंत्री इमरान खान इस विडियो में चैरिटी का भी तरीका समझाते हैं और कहते हैं कि इसके लिए उन्होंने फेसबुक पर इंतजाम किया है, वे वहाँ रजिस्टर करें। जिसके बाद एनालाइज करके बताएँगे कि किसे कहाँ कौन सी चीज की जरूरत है।