Friday, March 29, 2024
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श्रीलंका के संकट का अंत नहीं: संसद ने रानिल विक्रमसिंघे को चुना राष्ट्रपति, विरोध में सड़क पर पब्लिक; गो रानिल गो के लग रहे नारे

रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी उनके खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले के प्रदर्शनों में भी लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा देखने को मिला है।

आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में बुधवार (20 जुलाई, 2022) को सांसदों ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे को अगला राष्ट्रपति चुन लिया। श्रीलंका की संसद में 44 वर्षों में पहली बार अस्थिरता के बीच हुए त्रिकोणीय राष्ट्रपति चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे को 134 सांसदों का समर्थन मिला है। उनके प्रतिद्वंदी दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिले। तीसरे उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट ही मिले। बताया जा रहा है कि रानिल अब नवंबर, 2024 तक पूर्णकालिक राष्ट्रपति रहेंगे और इसके बाद फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होंगे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता सजिथ प्रेमदासा ने मंगलवार को ही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस ले लिया था। उन्होंने कहा कि वह इस पद के लिए प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार डलास का समर्थन कर रहे हैं। जो कि अब चुनाव हार चुके हैं। बता दें कि श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भाग जाने के बाद यह चुनाव हुआ है। गोटाबाया देश छोड़कर पहले मालदीव और फिर सिंगापुर गए। सिंगापुर पहुँचने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।

वहीं अब विक्रमसिंघे के कंधों पर अब श्रीलंका को अपूतपूर्व राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से बाहर निकालने की जिम्मेदारी होगी। हालाँकि, उनके राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी उनके खिलाफ लोग सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले के प्रदर्शनों में भी लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति के रूप में रानिल उन्हें मंजूर नहीं हैं। उनके खिलाफ ‘गो रानिल गो’ के नारे लग रहे हैं।

बता दें कि रानिल विक्रमसिंघे को राजनीति का लंबा अनुभव है। वे श्रीलंका के पाँच बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। रानिल राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार और वकील भी रह चुके हैं। वे 1977 में पहली बार आम चुनाव जीतकर संसद सदस्‍य बने थे। जबकि वह 1993 में पहली बार पीएम बने थे। इसके अलावा राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ कर भागने के बाद वह कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे।

गौरतलब है कि आर्थिक हालात बिगड़ जाने पर श्रीलंका ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है। देश में महँगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है। यहाँ तक कि खाने-पीने की चीजें, दवाएँ, पेट्रोल-डीजल आम आदमी की पहुँच से बाहर हैं। बता दें कि श्रीलंका में विरोध-प्रदर्शन शुरू होने के बाद इसी साल मई में रानिल विक्रमसिंघे को देश का पीएम चुना गया था। पीएम चुने जाने पर उन्होंने देश की संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि श्रीलंका बहुत ही कठिन हालात का सामना कर रहा है और आगे अभी बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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