रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते विवाद ने यूक्रेन में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने 1 लाख से ज्यादा सैनिक तैनात किए हुए हैं और वो कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकते हैं। इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का फेसबुक पोस्ट भी सामने आया है। इस फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि उन्हें बताया गया है कि 16 फरवरी यूक्रेन पर हमले का दिन होगा। लेकिन यूक्रेन इस दिन एकता दिवस मनाएगा। इससे जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
"US still does not believe Putin has made a decision to invade, but possible he could move with little to no warning," says Pentagon spokesperson
— ANI (@ANI) February 14, 2022
इस संबंध में व्हाइट हाउस का बयान भी आया है। उन्होंने बताया है कि वो इस पूरे मुद्दे पर भारत सहित सहयोगियों के साथ काम कर रहे हैं। हालाँकि यूक्रेन राष्ट्रपति के पोस्ट के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग के कार्यालय पेंटागन ने बयान जारी कर कहा है, “अमेरिका अब भी नहीं मानता कि पुतिन ने विध्वंस का निर्णय लिया है। लेकिन ये भी संभव है कि वो बिना किसी चेतावनी के आगे बढ़ें।”
यूक्रेन और रूस के बीच क्या विवाद है?
यूक्रेन और रूस के बीच का पूरा विवाद नाटो में शामिल होने को लेकर है। यूक्रेन की सालों से कोशिशें हैं कि वो नाटो का हिस्सा बने जबकि ऐसा नहीं चाहता। उसकी दिक्कत है नाटो जो कि एक सैन्य समूह है उसमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे 30 देश शामिल हैं और रूस के कई पड़ोसी देश इसका हि्सा हैं। रूस का पक्ष है कि अगर यूक्रेन भी नाटो का हिस्सा बनातो वो चारो ओर से अपने दुश्मनों से घिर जाएगा और अमेरिका जैसे देश उस पर हावी होंगे। इसके अलावा यदि भविष्य में रूस ने यूक्रेन पर कोई हमला किया तो भी उसके नाटो से जुड़ने पर 30 देश रूस के दुश्मन बन जाएँगे और यूक्रेन की सैन्य सहायता में आगे रहेंगे।
रूस-यूक्रेन विवाद पर अभी के हालात?
अमेरिकी अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यूक्रेन सीमा पर रूस के 1 लाख 30 हजार सैनिक तैनात हैं। इनमें 1.12 लाख जवान सेना के हैं और 18 हजार नौसेना व वायुसेना के हैं। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार यूक्रेन को रूस ने तीन ओर से घेरा हुआ है। इनमें एक जगह तो पूर्वी यूक्रेन हैं, दूसरी बेलारूस और तीसरी क्रीमिया है। यूक्रेन की मदद करने के लिए अमेरिका लगातार आगे आ रहा है। उसके अलावा ब्रिटेन समेत यूरोपीय देश भी यूक्रेन के साथ कड़े मालूम पड़ते हैं। हाल में यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेस्की रेजनीकोव द्वारा जानकारी दी गई थी कि उन्हें अभी तक 1500 टन की सैन्य सामाग्री की मदद मिल गई है।
कई देशों के नागरिकों ने खाली किया यूक्रेन
यूक्रेन और रूस के बीच उपजे विवाद ने कई अन्य देशों की चिंता को बढ़ा दिया है। पिछले दिनों खबर आई ती कि अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकलने की सलाह दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन तो पहले ही अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकलने की सलाह दे चुके हैं, उनके अलावा यूक्रेन जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा, नॉर्वे और डेनमार्क जैसे देशों ने भी अपने नागरिकों को वहाँ से निकलने को कहा था।
भारत के 20 हजार लोग यूक्रेन में फँसे
भारत की बात करें तो यूक्रेन में भारत के हजारों छात्र इंजीनियरिंग, मेडिसीन की पढ़ाई कर रहे हैं। ये लोग राजस्थान, आँध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और पंजाब के हैं। इन्हें सुरक्षित यूक्रेन से निकालने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन में 20 हजार भारतीय फँसे हुए हैं, जिनमें 18 हजार छात्र हैं जो यूक्रेन में पढ़ रहे हैं। इनमें कोटा से 40 हैं और पूरे राजस्थान से ये संख्या 1000 के आसपास की है।
भारत देगा किसका साथ?
इस पूरे विवाद में भारत के लिए दोनों ही देश महत्व है। जहाँ भारत अब भी अपने 55 फीसद हथियार रूस से खरीदने का काम करता है। वहीं यूक्रेन के लिए भारत एशिया का वो पहला देश है जिसने फरवरी 1993 में अपना दूतावास खोला था। इसके बाद से भारत और यूक्रेन के बीच व्यापारिक, राणनीतिक, और राजनयिक संबंध मजबूत हुए हैं जिसका मतलब है कि भारत इन दोनों ही देशों के खिलाफ़ कोई कदम उठाने का जोखिम नहीं ले सकता। यही वजह है कि हाल में जब अमेरिका सहित 10 देश संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर प्रस्ताव लाए तो भारत ने किसी के पक्ष में मतदान नहीं किया।