Friday, April 19, 2024
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यूक्रेन पर हमला बोल सकता है रूस, बेलारूस में बढ़ाई सैनिकों की तैनाती: USA ने जताई चिंता, वहाँ से रूस पर रखना चाहता था नजर

यूक्रेन ने पश्चिमी देशों के साथ संबंध स्थापित करने के इरादे से वर्ष 2013 के अंत में यूरोपीय संघ के साथ एक पॉलिटिकल और व्यापारिक समझौता किया। इसी के साथ दोनों देशों के बीच विवाद की उत्पत्ति हुई।

समूचे विश्व को रूस और यूक्रेन (Russia And Ukraine) के बीच युद्ध (War) की आशंका सता रही है। दुनियाभर के देश इस बात पर चिंतित हैं कि रूस कभी भी पड़ोसी यूक्रेन पर हमले कर सकता है। अमेरिकी विदेश विभाग (America) ने ये आशंका जताई है कि रूस बेलारूस के रास्ते से यूक्रेन पर हमले कर सकता है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह चिंता करने वाली बात है कि रूस संयुक्त सैन्य अभ्यास की आड़ में बेलारूस में अपने सैनिको की तैनाती कर रहा है। ताकि उत्तर से यूक्रेन को घेर सके।

अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, “इस तरह के हमले में बेलारूस की मिलीभगत बेलारूसियों के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य होगी।” दरअसल, बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको ने ऐलान किया था कि अगले महीने से रूस और बेलारूस की सेनाएँ युद्धाभ्यास करेंगी। रूसी समाचार एजेंसी तास ने अमेरिकी विदेश विभाग के हवाले से कहा कि सामान्यतः इस युद्धाभ्यास में 42 दिनों की नोटिस और 9000 सैनिक हिस्सा लेते थे। लेकिन इस बार इसमें 1,30,000 सैनिक शामिल हैं। अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि ये पूरी तरह से अलग है। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि मध्य जनवरी से मध्य फरवरी तक रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है।

हालाँकि, रूस इससे इनकार कर रहा है। दोनों देशों में तनाव के मद्देनजर अमेरिका के विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकन बुधवार (19 जनवरी, 2022) को कीव के दौरे पर आ रहे हैं। वहीं नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने रूस को यूक्रेन संकट पर और बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। लेकिन मॉस्को आगे किसी भी चर्चा में शामिल होने से पहले पश्चिमी देशों से सुरक्षा माँगों की व्यापक लिस्ट चाहता है।

रूस-यूक्रेन विवाद पर क्या कर रहे दुनिया के देश

रूस और यूक्रेन में युद्ध की आशंकाओं के बीच अमेरिका समेत दुनियाभर के कई देश यूक्रेन के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं। हाल ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की को भरोसा दिलाया था को अगर रूस ने उस पर हमला किया तो अमेरिका और उसके सहयोगी देश जवाबी कार्रवाई करेंगे। इस संभावित युद्ध के खतरे को भाँपते हुए ब्रिटेन ने तो रूस को एंटी टैंक हथियारों का सप्लाई की है। जबकि, कनाडा ने यूक्रेन के समर्थन में अपने स्पेशल फोर्स की टुकड़ियों को भेजा है। इसके अलावा फ्रांस और जर्मनी भी यूक्रेन के साथ खड़े हो गए हैं। हालाँकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी नाटो को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वो आक्रामक रूख अख्तियार कर बातचीत करते हैं तो रूसी सेनाएँ कार्रवाई करेंगी।

गौरतलब है कि रूस ने अपने एक लाख सैनिकों को यूक्रेन की सीमा पर तैनात कर रखा है। हाल ही में उस पर ये आरोप भी लगा था कि उसने यूक्रेन पर साइबर हमले कर उसकी कई सरकार वेबसाइटों को ध्वस्त कर दिया था।

कब से चल रहा ये विवाद

दरअसल, सोवियत संघ के विघटन से पहले यूक्रेन और रूस सब एक थे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, एक नए देश का आकार ले चुके यूक्रेन ने पश्चिमी देशों के साथ संबंध स्थापित करने के इरादे से वर्ष 2013 के अंत में यूरोपीय संघ के साथ एक पॉलिटिकल और व्यापारिक समझौता किया। इसी के साथ दोनों देशों के बीच विवाद की उत्पत्ति हुई। हालाँकि, बाद में यूक्रेन के रूसी समर्थक तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने वार्ता को स्थगित कर दिया। लेकिन बाद में कथित तौर पर मॉस्को के दबाव में कीव में कई हफ्तों तक विरोध प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं हुईं।

इसके अगले साल 2014 में रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के स्वायत्त क्षेत्र क्रीमिया पर हमला करके उसे अपने कब्जे में ले लिया। इसको लेकर रूस ने तर्क दिया कि वो क्षेत्र के रूसी बोलने वाले नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए ऐसा कर रहा है। रूस ने क्रीमिया में जनमत संग्रह भी करवाया और उस पर अपना कब्जा कर लिया। हालाँकि, यूक्रेन समेत दुनिया के बाकी देशों ने इसका विरोध किया। उस घटना के बाद के यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में रूसी समर्थक अलगाववादियों ने भी राजधानी कीव में अपनी स्वतंत्रता का ऐलान कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप महीनों लड़ाई चली। 2015 में मिन्स्क में जर्मनी और फ्रांस की मध्यस्थता में कीव और मॉस्को के बीच शाँति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालाँकि, इसके बाद भी बार-बार संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं होती रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक, मार्च 2014 से अब तक पूर्वी यूक्रेन में इस हिंसा के कारण 3,000 से अधिक लोगों की जानें गई हैं। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने क्रीमिया और पूर्वी यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों के जवाब में उस पर कई एक्शन भी ले चुके हैं। इसमें व्यक्तियों पर प्रतिबंध, आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के उपाय शामिल रहे हैं। हालाँकि, इन सब से रूस डिगा नहीं है। रूस यूक्रेन पर मिंस्क समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है।

यूक्रेन में नाटो और अमेरिका की मौजूदगी है विवाद

गौरतलब है कि रूस बार-बार इस बात से इनकार करता रहा है कि वो यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है। लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस की सीमाओं की ओर यूक्रेन में अमेरिका और नाटो बलों की मौजूदगी को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। वहीं यूक्रेन की सरकार का कहना है कि मॉस्को उन्हें नाटो के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने से नहीं रोक सकता। रूस को इस मामले में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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