Thursday, April 25, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयतालिबान का पूरे मुल्क पर कब्जा, पर बैंक से हाथ नहीं लगेगी फूटी कौड़ी?...

तालिबान का पूरे मुल्क पर कब्जा, पर बैंक से हाथ नहीं लगेगी फूटी कौड़ी? : बायडेन प्रशासन ने संपत्ति फ्रीज कर किया कंगाल

अफगान केंद्रीय बैंक के प्रमुख अजमल अहमदी ने बुधवार को बताया कि अफगान सेंट्रल बैंक की कुल संपत्ति का तालिबान केवल 0.1%-0.2% एक्सेस कर सकता है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अधिकतर फंड अंतरराष्ट्रीय अकॉउंट्स में फ्रीज हो चुके हैं।

अफगानिस्तान पर फतह हासिल करने के बाद तालिबानी एक ओर जहाँ फूले नहीं समा रहे तो वहीं दूसरी ओर मुल्क की आर्थिक स्थिति से जुड़ी एक नई जानकारी सामने आई है। इस जानकारी के मुताबिक, बायडेन प्रशासन ने सोमवार को अमेरिकी बैंकों में रखी अफगान सरकार की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है यानी साफ है कि तालिबान को आसानी से अफगान केंद्रीय बैंक की तकरीबन 10 अरब डॉलर की संपत्ति नहीं मिल पाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और ओबामा प्रशासन के दौरान विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय के निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार रहे एडम स्मिथ ने बताया कि अमेरिका को इस संपत्ति को फ्रीज करने का पहले से ही अधिकार मिला हुआ है। वहीं, न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इस मामले से अवगत एक अन्य स्रोत के हवाले से बताया कि अधिकांश संपत्ति अफगानिस्तान के बाहर रखी गई है, जहाँ तक पहुँच पाना तालिबान के लिए मुश्किल भरा काम है। रिपोर्ट्स ये भी बता रही हैं कि अमेरिका में रखी अफगान केंद्रीय बैंक की संपत्ति तालिबान को उपलब्ध नहीं कराई जाएगी।

एक अफगान अधिकारी के अनुसार, देश के केंद्रीय बैंक ‘द अफगानिस्तान बैंक’ के पास विदेशी मुद्रा, सोना और अन्य खजाना है। हालाँकि, यह कुल संपत्ति कितनी है, इसकी सही-सही जानकारी नहीं मिल पाई है। लेकिन, यूनेस्को के अनुसार, अफगान केंद्रीय बैंक की तिजोरी में 2,000 साल पुराने सोने के आभूषण, गहने और सिक्के हैं जिन्हें बैक्ट्रियन ट्रेजर कहा जाता है। लगभग 21,000 प्राचीन कलाकृतियाँ केंद्रीय बैंक के तहखाने में मिली थीं, जबकि 2003 तक माना जा रहा था कि ये गुम हो चुकी हैं। ये कलाकृतियाँ तालिबान की नजर से बची हुई थीं। कुछ न्यूज के मुताबिक अफगान नेताओं ने चोरी और लूटपाट के भय से खजाने को विदेश में रखने का विचार रखा था।

इस मामले पर अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक (DAB) के प्रमुख अजमल अहमदी ने बुधवार (अगस्त 18, 2021) को लगातार कई ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देश की करीब 9 अरब डॉलर की राशि में से 7 अरब डॉलर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बॉन्ड, संपत्तियों और सोने में जमा है। उन्होंने ये भी बताया कि अफगानिस्तान के पास अमेरिकी मुद्रा का भंडार ‘शून्य’ है। उन्होंने कहा कि तालिबान द्वारा देश पर कब्जे के बीच देश को नकदी का भंडार नहीं मिल पाया है।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर की कमी से अफगानिस्तान की मुद्रा का मूल्य गिरेगा और महंगाई बढ़ेगी। इसका प्रत्यक्ष असर गरीब जनता पर पड़ेगा। अमेरिका की सरकार ने तालिबान पर प्रतिबंध लगा रखा है। इस कारण विदेशों में जमा भंडार को लाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि तालिबान ने भले ही सैन्य रूप से जीत हासिल कर ली है लेकिन अब उसके लिए देश चलाना आसान काम नहीं होगा। गवर्नर कहते हैं कि अफगान सेंट्रल बैंक की कुल संपत्ति का तालिबान केवल 0.1%-0.2% एक्सेस कर सकता है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि अधिकतर फंड अंतरराष्ट्रीय अकॉउंट्स में फ्रीज हो चुके हैं।

ब्लूमबर्ग के आँकड़ों के मुताबिक देश की करेंसी अफगानी की कीमत मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 1.7 फीसदी गिरकर 83.5013 के भाव पर आ गई। ऐसे में कई निवेशकों को डर है कि पाकिस्तान में भी कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो सकती है और तालिबान के सपोर्ट के कारण पाकिस्तान दुनिया में अलग-थलग पड़ सकता है।

उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से कहा जा रहा है कि बायडेन प्रशासन इस मामले में अहम फैसले लेगा, लेकिन मालूम हो कि अभी तक तालिबान पर कार्रवाई को लेकर व्हाइट हाउस से कोई बयान नहीं जारी किया गया है। बस कहा जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन तालिबान से सीधे संवाद करेगा और अफगानिस्तान की मदद जारी रहेगी।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe